काँगड़ा घाटी में स्थित पहाड़ी शहर पालमपुर अपने शानदार परिदृश्य और शांत वातावरण के लिये जाना जाता है। चीड़ और देवदार के घने जंगल और स्वच्छ पानी की धाराएँ यहाँ के आकर्षण को बढ़ाती हैं। यह स्थान छुटियाँ बिताने के लिये आदर्श है, क्योंकि यह किसी भी व्यावसायिक पर्यटन स्थल के जैसा नही है।
समुद्र सतह से 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह स्थान प्रकृति और कला प्रेमियों के लिये उपयुक्त है। इस स्थान का नाम हिमाचली शब्द ‘पुलुम’ के नाम पर पड़ा जिसका अर्थ है पानी की प्रचुरता। इस शहर की खोज 19 वीं सदी में हुई थी जब ब्रिटिश लोगों ने इस स्थान के ढलानों पर चाय की झाडियाँ लगाने का निश्चय किया।
इसलिए पालमपुर को राज्य की चाय काउंटी के नाम से भी जाना जाता है, जो विभिन्न ब्रांड के तहत चाय का निर्यात करता है। छोटे शहर, धान के खेत, मंदिर, गाँव, औपनिवेशिक बंगले और बर्फ से ढका कुंआ धौलाधार पर्वत इस स्थान को स्वर्ग बनाते हैं।
यात्री पालमपुर की सैर साल में कभी भी कर सकते हैं, क्योंकि यहाँ तापमान सामान्य रहता है। गर्मियों में यहाँ का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 29 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है जो दर्शनीय स्थलों की यात्रा और खोज के लिये आदर्श है। मानसून के मौसम में पर्यटकों को बारिश के लिये तैयार रहना चाहिए।
यहाँ ठंड का मौसम नवंबर के महीने में प्रारंभ होता है। इस समय यहाँ का तापमान-2 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है और बर्फ़बारी भी होती है। गग्गल जिसे धरमशाला–काँगड़ा हवाई अड्डे के नाम से भी जाना जाता है, पालमपुर का निकटतम हवाई अड्डा है।
यह हवाई अड्डा प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली और मुंबई से सीधे जुड़ा हुआ है। वे पर्यटक जो पालमपुर रेल द्वारा पहुँचना चाहते हैं वे छोटी लाइन के रेलवे स्टेशन मरंदा तक रेल का लाभ उठा सकते हैं जबकि पठानकोट निकटतम ब्रॉड गेज मुख्यालय है जो शहर से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इसके अलावा रास्ते द्वारा भी पालमपुर तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। पर्यटक मंडी, पठानकोट और धरमशाला से निजी या राज्य संचालित बसों से भी यहाँ पहुँच सकते हैं।