बाबर, भारत के पहले मुगल सम्राट ने कई सारी मस्जिदें बनवायी थीं, कुछ मूल रूप से तो कुछ हिन्दू मंदिरों को नष्ट कर के, उन्हीं में से एक अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी। करनाल में बाबर की मस्जिद, भारत के विभिन्न भागों में बनवायी गईं कई अन्य मस्जिदों की...
यह करनाल से 11 किलोमीटर और तरौरी से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, नारायणा भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। तरौरी में ही शहाब-उद-दीन मुहम्मद घूरी, जिन्हें मोहम्मद बिन सैम कहते थे, को दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान ने 1191...
कर्ण झील का नाम महान योद्धा और महाभारत में दाता के नाम से प्रसिद्ध कर्ण पर रखा गया, यह करनाल के मुख्य शहर से सिर्फ 13-15 मिनट की दूरी पर है। संयोग से, शहर खुद भी कर्ण के नाम पर है।
शास्त्रों के अनुसार प्रसिद्ध योद्धा कर्ण उन दिनों इसी झील में नहाते थे,...
शब्द 'दरगाह' ने फारसी भाषा से अपना मूल लिया है। इसका मतलब है श्रद्धेय मुस्लिम सूफी संतों और महात्माओं, जिन्हें 'दरवेश', भिक्षुक या 'मुर्शीद', भी बुलाया जाता है, जिनका मतलब है आध्यात्मिक शिक्षक की कब्रों के ऊपर बनी हुई समाधि या पुण्यस्थान। मुसलमान धार्मिक योग्यता...
करनाल छावनी चर्च टॉवर क्षेत्र में सिख की बढ़ती सैन्य शक्ति की चुनौती का सामना करने के लिए वर्ष 1805 में ब्रिटिश सरकार द्वारा निर्मित छावनी में सेंट जेम्स चर्च का एक हिस्सा था।
जब इलाके मे मलेरिया की महामारी फैली तब ब्रिटिश सरकार ने छावनी छोड़ दी और 1843 ई....
इसे कोस मिनार या मील के खंभे भी कहते हैं, मिनार का इस्तेमाल सड़क के किनारे एक मील की दूरी दर्शाने के लिये सदियों से किया जा रहा है। एक कोस 1.1 मील या 3.2 किमी के बराबर होता है. वे पहले शेर शाह सूरी, अफगान शासक द्वारा बनाए गए थे। देश की लंबाई-चौड़ाई पर स्थित...
दुर्गा माता या दुर्गा भवानी को भारत में और विदेशों में लाखों हिंदू मानते हैं। यद्यपि सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के आधार पर उनके भक्तों की अपनी खुद की विचारधारा है, उन्हें पूरे विश्व में माना जाता है कि वह न सिर्फ मनुष्यों की...
गोगरीपुर करनाल जिले में निसिंग ब्लॉक में एक गांव है। यह करनाल शहर के दक्षिण में 7 किलोमीटर दूर स्थित है और बज़िदा जतन रेलवे स्टेशन से पहुँचा जा सकता है। यह गांव एक मुस्लिम संत या एक पीर, बू अली कलंदर को समर्पित एक लोकप्रिय मंदिर के लिए जाना जाता है शब्द 'कलंदर' का...
कलंदर शाह का मकबरा बो अली कलंदर शाह नाम के एक सूफी संत की स्मृति में दिल्ली के सम्राट घिआस उद दीन, द्वारा बनाया गया था। यह करनाल शहर के ठीक बाहर इसके पूर्वी हिस्से में स्थित है। सूफी संत क्षेत्र के आसपास के सभी समुदायों द्वारा प्रतिष्ठित एक उच्च सम्मानित व्यक्ति...
गोल्फ का खेल ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में आया था क्योंकि अंग्रेजी पुरुष गोल्फ के शौकीन खिलाड़ी होते थे। उन्होंने ब्रिटेन के बाहर भारत को इसका पहला मेजबान बनाते हुए वर्ष 1829 में कलकत्ता में पहली गोल्फ कोर्स की स्थापना की। इसे रॉयल कलकत्ता गोल्फ कोर्स कहा जाता है...
गुरुद्वारा मंजी साहब ग्रैंड ट्रंक रोड के राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 1 से एक किलोमीटर की दूरी पर करनाल के व्यस्त सर्राफा बाजार में स्थित है। इतिहास के अनुसार, सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी उदासी नामक अपनी पहली धार्मिक यात्रा पर वर्ष 1515 में इस जगह आये थे।...
मिरान साहिब, जिनका पूरा नाम अस्थान सयद महमूद था, एक पुण्य व्यक्ति थे, जिन्हें जाति, समुदाय या धर्म से ऊपर उठकर उनके मानवता और धर्मार्थ कार्यों के लिये जाना जाता है। एक कथा के अनुसार, एक राजा ने एक ब्राह्मण लड़की का अपहरण कर लिया और उसे छोड़ने...
पुराने किले के रूप में भी जाना जाने वाला करनाल फोर्ट, का एक रंग-बिरंगा इतिहास रहा है। इसे जींद के शासक गजपत राय द्वारा 1764 ई. के आसपास बनवाया गया था. इसके बाद इस पर मराठों, जॉर्ज थॉमस और फिर लाड़वा के शासक द्वारा कब्जा कर लिया गया था। बाद में इस पर ब्रिटिश सेना...
ब्रिटिश सैन्य कमांडरों, जनरलों, सार्जण्टों और अज्ञात हमवतन सहित अंग्रेजी पुरुषों और महिलाओं की कब्रों और स्मारकों को स्थान देने के लिए करनाल सहित उत्तरी भारत भर में विशेष कब्रिस्तानों की स्थापना की। करनाल में वर्ष 1808 में स्थापित ईसाई कब्रिस्तान, देश के सबसे...
ओएसिस परिसर ग्रैंड ट्रंक रोड के राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 1 पर करनाल में गांव उचाना में स्थित है। यह शांत और निर्मल कर्ण झील के किनारे पर स्थित एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। इस झील पर उड़ान भरते सुंदर पंक्षि और उसके बीच आकर्षक नौका विहार की सुविधा वाकई दिल को छू लेने...