अमरनाथ यात्रा, हिंदू लोगों के लिए सबसे पवित्र यात्रा में से एक है। भोलेनाथ के बर्फ स्वरूप की यहां आराधना की जाती है। जहां जाने के लिए भक्तों को पंजीकरण करवाना पड़ता है। यात्रा की बात करें तो बीते 30 जून से बाबा की यात्रा शुरू हो गई है, जो अगले 11 अगस्त तक चलेगी। लेकिन मंगलवार रात से ही वहां का मौसम काफी खराब चल रहा है और काफी बारिश भी हो रही है, जिसके चलते यात्रा पर रोक लगा दी गई है।
सूत्रों की मानें तो मौसम साफ होने तक यात्रियों को पहलगाम के बेस कैंप पर ही रोका गया है। मौसम साफ होने के बाद ही यात्रा शुरू करवाई जाएगी। दरअसल, बाबा का धाम बर्फीली पहाड़ियों के बीच बसा है, जिसके चलते कई बार लैंड-स्लाइड या बर्फीली तूफान का सामना करना पड़ता है।
बर्फीली शिवलिंग के रूप में मौजूद है अमरनाथ बाबा
अमरनाथ धाम को बाबा बर्फानी का धाम भी कहा जाता है। यहां बाबा खुद बर्फ के शिवलिंग के रूप में उपस्थित है। इस धाम को जितना पवित्र माना जाता है, उतना ही ये धाम चमत्कारी भी है। यहां बाबा खुद ही शिवलिंग के रूप में प्रकट होते हैं और खुद ही बर्फ में मिल जाते हैं। भगवान भोलेनाथ का ये शिवलिंग मात्र दो महीने के लिए ही बनता है और लोगों को दर्शन देता है। इस धाम की यात्रा देश के सबसे कठिन यात्रा में से एक है।
कबूतरों के दर्शन के बिना अधूरी है ये पवित्र यात्रा
पौराणिक मान्यता की मानें तो यहां पर इसी गुफा में भगवान शिव ने मां पार्वती को अमर कथा सुनाई थी, इसीलिए इस धाम का नाम अमरनाथ धाम पड़ा। लेकिन कहा जाता है कि माता कथा के बीच में ही सो गई थी और यहां पर एक कबूतर का जोड़ा था, जिसने पूरी कथा सुन ली थी, वो कबूतर का जोड़ा आज भी जिंदा है, जो दर्शन के समय गुफा में दिखाई देता है। कबूतर को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो कोई इन कबूतरों के दर्शन कर लेता है, उसका अमरनाथ धाम आना सफल हो जाता है।