इस वीकेंड रोड ट्रिप के जरिये कीजिये सॉउथ इंडिया के अलग अलग गणपतियों के दर्शन
इन मंदिरों की वास्तुकला ना केवल सुंदर और आकर्षक है बल्कि यहां आकर आपके मन को शांति का अहसास होगा। दक्षिण भारत के मंदिरों से कई प्राचीन दिव्य चरित्र जुड़े हुए हैं। इंटरनेट पर देखने से कई बेहतर है कि आप यहां जाकर अपनी आंखों से इनकी सुंदरता को अपनी आंखों में समेट लें।
गुरुवयूर, केरल
थिरुस्सुर जिले में स्थित गुरुवयू को धरती पर भगवान कृष्ण का वैकुंठ भी कहा जाता है। दक्षिण भारत के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से ये एक है। इस मंदिर में मुख्य रूप से भगवान कृष्ण की पूजा होती है। यहां उन्हें गुरुवयूरप्पन के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा यहां गणेश जी, देवी और सस्था की मूर्ति स्थापित है। गुरुवयूर, दक्षिण भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है और इसे गुरुवयूर देवास्वोम बोर्ड द्वारा व्यवस्थित किया जाता है। यहां हर रोज़ भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
तिरुमला, आंध्र प्रदेश
समुद्रतल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थित तिरुमला की पहाड़ियों पर बना श्री वैंकटेश्वकर मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। आन्ध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले के तिरुपति में स्थित वेंकटेश्वर मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। वेंकटेश्वर मन्दिर को दुनिया में सबसे अधिक पूजनीय स्थल कहा गया है। विश्व के सर्वाधिक धनी धार्मिक स्थानों में से एक यह स्थान भारत के सबसे अधिक तीर्थयात्रियों के आकर्षण का केंद्र है।
माना जाता है कि वेंकट पहाड़ी का स्वामी होने के कारण ही इन्हें वैंकटेश्वर कहा जाने लगा। इन्हें सात पहाड़ों का भगवान भी कहा जाता है। वैष्णव संप्रदाय से उत्पन्न इस मंदिर की महिमा का वर्णन विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
जो भक्त व श्रद्धालु वैकुण्ठ एकादशी के अवसर पर यहाँ भगवान के दर्शन के लिए आते हैं, उनके सारे पाप धुल जाते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि यहाँ आने के पश्चात् व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के बन्धन से मुक्ति मिल जाती है।PC:Chandrashekhar
सबरीमाला, केरल
दक्षिण भारत के राज्य केरल में सबरीमाला में स्थित अय्यप्पा स्वामी मंदिर करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। भगवान अयप्पा स्वामी को समर्पित इस मंदिर को मक्का-मदीना की तरह विश्व के सबसे बड़े तीर्थ स्थानों में से एक माना जाता है। मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह रहकर यहां एक ज्योति दिखती है। इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं। बताया जाता है कि जब-जब ये रोशनी दिखती है इसके साथ शोर भी सुनाई देता है।
माना जाता है कि अय्यप्पा भगवान शिव और विष्णु अवतार मोहिनी के पुत्र थे। 914 मीटर की ऊंचाईं पर स्थित इस मंदिर की चढ़ाई पैदल ही करनी पड़ती है। तीर्थयात्रा के आरंभ होने के अवसर पर मंदिर में करोड़ों रूपयों का चढ़ावा चढ़ता है। मंदिर में सभी जाति और धर्म के लोगों के प्रवेश की अनुमति है किंतु 10 से 50 वर्ष की महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित है।PC:Abhilash Pattathil
मदुरई मीनाक्षी मंदिर, तमिलनाडु
मां पार्वती और भगवान शिव के मिलन का साक्ष्यण है मदुरई का ऐतिहासिक मंदिर मीनाक्षी टैंपल। भारत के तमिलनाडु राज्य के मदुरई नगर में स्थित इस मन्दिर का स्थापत्य एवं वास्तु आश्चर्यचकित कर देने वाला है, जिस कारण यह आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों की सूची में प्रथम स्थान पर स्थित है एवं इसका कारण इसका विस्मयकारक स्थापत्य ही है।
यह भारत और विदेशों से आने वाले पर्यटकों का आकर्षण केन्द्र होने के साथ हिन्दु् धार्मिक यात्राओं के महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। मदुरई के लोगों के लिए यह मंदिर उनकी सांस्कृंतिक तथा धार्मिक जिंदगी का केन्द्र है।
ऐसी मान्यता है कि शिव पार्वती ने विवाह के उपरांत यहां कई वर्षों तक शासन किया तथा दोनों ने उस स्था।न से ही स्वतर्ग की यात्रा आरंभ की जहां यह मंदिर आज स्थित है। मीनाक्षी मंदिर में अप्रैल और मई के महीने में मदुरई का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार चिथिरई मनाया जाता है।
PC: Unknown
थंजावुर, तमिलनाडु
तमिलनाडु में स्थित थंजावुर प्राचीन चोल वंश द्वारा निर्मित है। दक्षिण भारत के कई दर्शनीय स्थल यहां पर स्थित हैं। ये जगह भगवान शिव के बृहदेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
विश्व के प्रथम ग्रेनाइट मंदिर के रूप में प्रसिद्ध बृह्देश्वदर मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में स्थित है। इस मंदिर के शिखर ग्रेनाइट के 80 टन के टुकड़े से बनें हैं। यह विश्व का सबसे ऊंचा मंदिर है। तंजौर का यह मंदिर वास्तुकला, पाषाण व ताम्र में शिल्पांकन, प्रतिमा विज्ञान, चित्रांकन, नृत्य, संगीत, आभूषण एवं उत्कीर्ण कला का भंडार है।
भगवान शिव को समर्पित यह अपने समय की विश्व के विशालतम संरचनाओं में गिना जाता था। इस मंदिर के निर्माण कला की एक विशेषता यह है कि इसके गुंबद की परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती। बृहदेश्वर मंदिर तंजौर के किसी भी कोने से देखा जा सकता है।
PC:Veera
हंपी, कर्नाटक
तुंगभद्रा नदी के तट पर बसा कर्नाटक का हंपी शहर प्राचीन समय में विजयनगर राजवंश की राजधानी हुआ करता था। हंपी नाम तुंगभद्रा नदी के पुराने नाम पंपा से पड़ा है जोकि ब्रह्मा जी की पुत्री हैं। इस शहर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है क्योंकि इस शहर में विजयनगर शासनकाल के अनेक मंदिर और महल मौजूद हैं। बैंगलोर से 350 किमी दूर स्थित इस ऐतिहासिक शहर हंपी को देखने आप वीकएंड पर आ सकते हैं।
हंपी का नाम आते ही सबसे पहले विजयनगर की शानदार इमारतें याद आ जाती हैं। हालांकि, अब यहां स्थापित सभी इमारतें खंडहर हो चुके हैं। विजयनगर साम्राज्य का शासन हंपी पर हुआ करता था और यहां पर आपको होयसला स्थापत्यकला की शानदार इमारतें देखने को मिलेंगीं। यहां भगवान शिव का विरुपक्षा मंदिर देख सकते हैं। इसके अलावा इस शहर में कई दर्शनीय स्थल हैं जो आपको इतिहास के बारे में बताएंगें।
PC:Hakri's
दंबरम, तमिलनाडु
भगवान शिव के इस मंदिर में उनके नटराज स्वरूप की पूजा होती है। इस मंदिर में भगवान शिव को थिल्लई कूथान के रूप में पूजा जाता है और ये तमिलनाडु के पंच बूथा स्थलम में से एक है।
श्रीपुरम स्वर्ण मंदिर, तमिलनाडु
तमिलनाडु के वेल्लोवर जिले में एक भव्यक स्वओर्ण मंदिर स्थित है जिसे श्रीपुरम स्वसर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है। अपनी भव्यता के कारण महालक्ष्मी मंदिर कुछ ही सालों में दक्षिण के स्वर्ण मंदिर के तौर पर प्रसिद्ध हो गया है। यह स्वुर्ण मंदिर पर्यटकों को दूर से ही आकर्षित करता है।
देवी नारायणी को समर्पित इस मंदिर को महालक्ष्मीं मंदिर, श्री लक्ष्मीव नारायण मंदिर आदि कई नामों से जाना जाता है। 15,000 किलो विशुद्ध सोने से निर्मित इस मंदिर की संरचना वृताकार है। मंदिर परिसर में देश की सभी प्रमुख नदियों से पानी लाकर सर्व तीर्थम सरोवर का निर्माण कराया गया है।
तमिलनाडु जाने वाले श्रद्धालु अब महालक्ष्मी मंदिर वेल्लोर जरूर जाते हैं। रात में जब इस मंदिर में प्रकाश किया जाता है, तब सोने की चमक देखने लायक होती है। स्व र्ण मंदिर के चारों ओर हरियाली फैली हुई है। स्व्र्ण से निर्मित इस मंदिर का स्वमरूप अद्भुत है। इसके साक्षात दर्शन करने से लगता है मानो यह रावण की सोने की लंका है।
PC:Dsudhakar555
चामुंडी पर्वत, कर्नाटक
चामुंडी पर्वत की चोटी पर स्थित बाहवीं शताब्दी का चामुंडेश्वरी मंदिर चामुंडी देवी को समर्पित है। इसे होयसला राजवंश के द्वारा बनवाया गया था। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी ने राक्षस महिषासुर का वध किया था।
चामुंडी देवी इस शहर की प्रमुख देवी हैं और वोडेयार राजवंश में भी उनकी पूजा की जाती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए अनेक सीढियां चढ़नी पड़ती हैं। यहां नंदी की मूर्ति भी स्थित है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु इसकी पूजा करते हैं।
पुरी, उड़ीसा
पुरी का जगन्नाथ मंदिर कई रहस्यों से भरा है। इस मंदिर का न केवल प्राचीन महत्व है बल्कि यह अपने अनजाने चमत्कारों और रहस्यों के लिए भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है। पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं।
पुरी के इस मंदिर में विराजमान भगवान जगन्नाथ का ये स्वरूप पृथ्वी पर कहीं और देखने को नहीं मिलता। यहां पर भगवान का विग्रह नीम की लकड़ी से बना है जो कि अद्भुत है। मान्यता है कि इसके अंदर स्वयं श्रीकृष्ण बसते हैं। जगन्नाथ मंदिर की चोटि पर लगा झंडा हर समय विपरीत दिशा में लहराता है।