महाराष्ट्र के मुंबई शहर स्थित सिद्धिविनायक मंदिर भगवान गणेश को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसकी गिनती देश के सबसे व्यस्त धार्मिक स्थलों में की जाती है। गणपति बप्पा के दर्शन के लिए यहां हजारों की तादाद में देश-विदेश से श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आगमन होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है। सिद्धिविनायक मंदिर हर साल भारी दान प्राप्त करता है, इसलिए इसकी गितनी भारत के सबसे अमीर मंदिरों में भी होती है।
यहां दर्शन करने के लिए बॉलीवुड स्टार से लेकर नेता, बड़े उद्योगपतियों का आगमन भी होता है। खासकर गणेश चतुर्थी के दौरान यहां भक्तों का भारी जमावड़ा लगता है। इस दौरान मंदिर में भव्य आयोजन किए जाते हैं। इस लेख में आज हम आपको सिद्धिविनायक मंदिर से जुड़े उन रोचक तथ्यों से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिनके विषय में अधिकांश लोगों को पता नहीं, जानिए इस मंदिर और यहां विराजमान भगवान गणेश से जुड़ी दिलचस्प बातों को।
मंदिर क्यो कहा जाता सिद्धिविनायक ?
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क्या आपको पता है, क्यों इस मंदिर को सिद्धिविनायक कहा जाता है ? सिद्धिविनायक, भगवान गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है, जिसमें उनकी सूंड दाईं और मुडी होती है, जानकारी के अनुसार गणेश की ऐसी प्रतिमा वाले मंदिर सिद्धपीठ कहलाते हैं, और इसलिए उन्हें सिद्धिविनायक मंदिर की संज्ञा दी जाती है। माना जाता है सिद्धिविनायक सच्चे मन से मांगी गई भक्तों की मुराद अवश्य पूरी करते हैं।
नवसाचा गणपति
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सिद्धीविनायक को "नवसाचा गणपति" या "नवसाला पावणारा गणपति" के नाम से भी संबोधित किया जाता है। ये नाम मराठी भाषा है, जिसका मतलब है कि जब भी कोई भक्त सिद्धीविनायक की सच्चे मन से प्रार्थना करता है, बप्पा उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं।
कब हुआ था निर्माण ?
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भारत के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 19 नवंबर 1801 को एक लक्ष्मण विथु पाटिल नाम के एक स्थानीय ठेकेदार द्वारा किया गया था। बहुत कम लोग इस तथ्य को जानते हैं कि इस मंदिर के निर्माण में लगने वाली राशी एक कृषक महिला ने दी थी, जिसकी कोई संतान नहीं थी। वो इस मंदिर को बनवाने में मदद करना चाहती थी, ताकि भगवान के आशीर्वाद से कोई भी महिला बांझ न हो, सबको संतान प्राप्ति हो।
इस मंदिर के द्वार हर धर्म जाति के लोगों के लिए खुले हैं। यहां किसी को आने की मनाई नहीं है। सिद्धी विनायक मंदिर अपनी मंगलवार की आरती के लिए बहुत प्रसिद्ध है जिसमें श्रद्धालुओं की कतार कभी-कभी 2 किलोमीटर तक पहुंच जाती है।
प्रारंभिक संरचना
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सिद्धिविनायक मंदिर की मूल संरचना पहले काफी छोटी थी, जिसका आकार 3.6 मीटर x 3.6 मीटर वर्ग का था। प्रारंभिक संरनचा मात्र ईंटों की बनी हुई थी, जिसका गुंबद आकार का शिखर भी था। बाद में इस मंदिर का पुननिर्माण कर आकार को बढ़ाया गया।
अमीर मंदिरों में शामिल
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सिद्धिविनायक मंदिर की गिनती भारत के सबसे अमीर मंदिरों में की जाती है, जानकारी के अनुसार यह मंदिर हर साल 100 मिलियन से 150 मिलियन धनराशी दान के रूप में प्राप्त करता है। इस मंदिर की देखरेख करने वाली संस्था मुंबई की सबसे अमीर ट्रस्ट है।
गणेश की मूर्ति
माना जाता है कि यहां भगवान गणेश की प्रतिमा काले पत्थर से बनाई गई है, जिसकी सूंड दाई तरफ है। यहां भगवान गणेश अपनी दोनों पत्नी रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हैं। ये प्रतिमाएं देखने में काफी आकर्षक लगती हैं। मंदिर के दर्शन करना शुभ माना जाता है।
एक लोकप्रिय मंदिर
सिद्धिविनायक एक लोकप्रिय मंदिर हैं, जहां दर्शन के लिए आम श्रद्धालुओं के अलावा राजनेता, बॉलीवुड स्टार, बड़े उद्योगपतियों का भी आगमन होता है। न सिर्फ भारत के नामचीन लोग बल्कि यहां दर्शन के लिए टिम कुक (ऐप्पल सीईओ) जैसी हस्तियां भी चुकी हैं।
चांदी के चूहे
मंदिर के अंदर चांदी से बनी चूहों की दो बड़ी मूर्तियां मौजूद हैं, माना जाता है कि अगर आप उनके कानों में अपनी इच्छाएं प्रकट करते हैं वे आपका संदेश भगवान गणेश तक पहुंचाते हैं। इसलिए यह धार्मिक क्रिया करते हुए आपको बहुत से श्रद्धालु मंदिर में दिख जाएंगे। ये थे सिद्धिविनायक मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए।