भारत में ऐसी कई प्राचीन संरचनाएं और इमारते हैं जिन्हें खुदाई के दौरान बाहर निकाला गया था। हर एक इमारत से कोई ना कोई कहानी जुड़ी हुई है। अप्रत्याशित जगहों पर अविश्वसनीय तरीकों से इनके बारे में पता चला है।
ऐसा ही एक स्थान है ओडिशा में सीताबिनजी जिसने कई सालों से अपने अंदर इतिहास को संजोकर रखा है। यह विशाल चट्टान पर बना है जोकि सैनिक की तरह प्राचीन खजाने की रक्षा कर रहा है।
इस स्थान को यह नाम पास ही में स्थित नदी से मिला है। इस नदी का नाम सीता है। इस छोटे से गांव सीताबिनजी में 1000 से भी कम लोग रहते हैं। इस स्थान से कई ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुईं हैं। किवदंती है कि भगवान राम द्वारा माता सीता को त्यागने के बाद देवी सीता ने यहां वास किया था और यहां पर अपनी कुटिया भी बनाई थी।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि इसी स्थान पर देवी सीता ने अपने दो पुत्रों लव और कुश को जन्म दिया था। यहां पर एक छोटा सा मंदिर भी है जिसमें देवी सीता के साथ उनके दोनों पुत्रों की मूर्ति भी स्थापित है।
यहां एक और बड़ा सा रहस्यमयी पत्थर है जिसे भंडारगृह कहा जाता है। कहा जाता है कि इस जगह पर डकैत रत्नाकर चोरी किए गए खजाने को छिपाता था। उन्होंने ही बाद में वाल्मीकि बनकर रामायण जैसे महाग्रंथ की रचना की थी।
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इतिहासकारों के अनुसार यहां पर कुछ ऐसे साक्ष्य भी मिले हैं जो ये बताते हैं कि हिनायन समुदाय के लोग चौथी से छठी शताब्दी के बीच यहां बौद्ध भिक्षु बनकर रहे थे।
रावण छाया और टेंपेरा पेंटिंग
सीताबिनजी में सबसे प्रसद्धि संरचना है रावण छाया जिसका अर्थ होता है रावण की छाया। यहां पर भी दो विशाल पत्थर स्थित हैं जोकि एक त्रिकोणीय दरार बनाते हुए एक-दूसरे के विपरीत खड़े हैं। इनकी लंबाई 6.7 मीटर और गहराई 4.7 मीटर है। ये दो पत्थर सालों से इसी तरह से खड़े हैं।
मुख्य चट्टान आधी बंद छतरी के आकार में हैं और यह अन्य पत्थर की चट्टान के ऊपर स्थित है। कहा जाता है कि इस संरचना को बनाने में लंका नरेश यानि रावण का प्रमुख योगदान रहा है। रावण को उसकी जादुई शक्तियों के लिए जाना जाता था।
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चट्टान के ऊपर बनाई गई पेंटिग को सातवीं शताब्दी में टेंपेरा तकनीक से बनाया गया है। इसमें ग्रेनाइट की सतह को रंगने से पहले उस पर लाइम की पतली परत चढ़ाई गई है जोकि टेंपेरा पेंटिंग जैसी है।
ये पेंटिंग किसी धार्मिक चिह्न या पात्र का प्रतीक नहीं है लेकिन इसमें एक राजसी व्यक्ति के हाथ में तलवार लिए हाथी पर सवार हुए चित्रण किया गया है।
चट्टान पर लिखे अभिलेख
यहां पर आपको 1000 साल पुराने अभिलेख मिल जाएंगें। इस जगह पर ईंटों के टुकड़ों से एक अज्ञात संरचना बनी हुई है जिस पर पाली मं शिलालेख लिखे गए हैं। इसके अलावा यहां पर सिक्कों और सोपस्टोन से बनाई गई मूर्तियां भी हैं जो कुशान से संबंधित हैं। कुछ भूगोलविदों का कहना है कि इस स्थान पर मिली पत्थर की चट्टानें पृथ्वी की सबसे प्राचीन संरचनाओं में से एक हैं।
पत्थरों से घिर इस एक ही स्थान पर आपको एकसाथ कई चीज़ें देखने को मिलेंगीं। यहां पर कई संरचनाएं बेढ़ंगे तरीके से बनी हुई हैं।