आज हम मुंबई के उस मंदिर के बारे में बात करेंगे, जो मालाबार की पहाड़ियों पर स्थित है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का नाम बाबुलनाथ मंदिर है। मारवाड़ी और गुजराती समुदाय के लिए यह मंदिर काफी विशेष महत्व रखता है। यहां हर साल महाशिवरात्रि के दिन महापर्व का आयोजन किया जाता है। इस दौरान लाखों भक्तों की भीड़ मंदिर में देखी जाती है।
इतना ही नहीं, इस मंदिर में हर सोमवार को विशेष पूजा की जाती है, जिस दिन भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलती हैं। यह मंदिर अपने नाम को लेकर लोगों के बीच काफी चर्चा का केंद्र भी बनी रहती है। कहा जाता है कि इस मंदिर का नाम बाबुलनाथ होने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं, जिसके बारे में मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग भी बताते हैं।
बाबुलनाथ मंदिर के पीछे की कहानी
किवदंती के अनुसार, मालाबार पहाड़ी पर आज से लगभग 300 साल करीब (1700-80 के बीच)पहले एक बड़ा चरागाह था। यहां आसपास की अधिकतर जमीन सुनार पांडुरंग के पास थी। कहा जाता है कि सुनार के पास कई गायें भी थी, जिसके लिए पांडुरंग ने एक चारवाहा रखा हुआ था, जिसका नाम बाबुल था। सभी गाय में से कपिला नाम की एक गाय सबसे ज्यादा दूध देती थी।
जब सुनार ने इसके पीछे का कारण बाबुल से पूछा तो उसने बताया कि कपिला घास चरने के बाद एक विशेष स्थान पर जाकर अपना दूध दे आती है। इस पर सुनार ने अपने आदमियों को उस स्थान पर खुदाई करने का आदेश दिया, जिसके बाद वहां से एक काले रंग का स्वयंभू शिवलिंग निकला, जिसके बाद चारवाहा के नाम पर ही इस मंदिर को बाबुलनाथ मंदिर कहा जाने लगा, जो आज तक चला आ रहा है।
बाबुलनाथ मंदिर की वास्तुकला
यह मंदिर देखने में बेहद सुंदर है। यहां के खम्भों व दीवारों पर शानदार नक्काशी की गई है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है। मंदिर में विराजित मूर्तियों को देख उस समय के कलाकारों के अद्भुत चित्रण को महसूस किया जा सकता है। मंदिर की दीवारों पर बेहतरीन चित्रकारी की गई है, जो भक्तों के लिए एक सुकून भरा क्षण भी होता है। यह मंदिर मराठी शैली में बनाई गई है।
बाबुलनाथ मंदिर के आसपास घूमने वाली जगहें
1. हैंगिंग गार्डन
2. बाणगंगा
3. वालुकेश्वर मंदिर
4. चौपाटी बीच
5. कमला नेहरू पार्क
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