कर्नाटक के शिमोगा जिले में स्थित छोटा सा शहर है तीर्थाहल्ली जोकि पश्चिमी घाट के घने जंगलों से घिरा हुआ है। समुद्रतट से तीर्थाहल्ली 591 मीटर की ऊंचाई पर तुंगा नदी के तट पर स्थित है।तीर्थाहल्ली को परशुराम तीर्थ और राम तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। किवदंती है कि इस स्थान पर ऋषि जमादग्नि ने अपने पुत्र परशुराम को अपनी माता का सिर काट धड़ से अलग करने का आदेश दिया था।
भारत के 6 प्रमुख पवित्र स्थलों में जा, मुक्ति पाइए अपने सारे पापों से!
परशुराम ने पिता के आदेश अनुसार अपनी कुल्हाड़ी से माता की हत्या कर दी किंतु उनकी कुल्हाड़ी से खून के दाग नहीं हटे। उन्होंने अपनी कुल्हाड़ी को हर एक नदी के पानी में डुबोया लेकिन रक्त के धब्बे उससे नही हटे। तब उन्होंने तुंगा में अपनी कुल्हाड़ी को डुबोया जिससे उस पर लगे रक्त के धब्बे साफ हो गए। अत: इस जगह को तीर्थाहल्ली का नाम दिया गया।
मान्यता है कि तीर्थाहल्ली में तुंगा नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं।
तीर्थाहल्ली आने का सही समय
तीर्थाहल्ली नवंबर से फरवरी के बीच आ सकते हैं। गर्मियों में यानि मार्च से मई के बीच चिलचिलाती गर्मी पड़ती है। मॉनसून में बारिश की वजह से आना ठीक नहीं रहता है।PC:Manjeshpv
तीर्थाहल्ली कैसे आएं
वायु मार्ग : तीर्थाहल्ली से 122 किमी दूर मैंगलोर इंटरनेशनल एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है। शिमोगा के एयरपोर्ट का कार्य प्रगति पर है।
रेल मार्ग : तीर्थाहल्ली से नज़दीकी रेलवे स्टेशन शिमोगा है। बैंगलोर से शिमोगा के लिए कई ट्रेनें चलती हैं। तीर्थाहल्ल से शिमोगा रेलवे स्टेशन 65 किमी दूर है।
सड़क मार्ग : बैंगलोर से तीर्थाहल्ली जाने के तीन रूट इस प्रकार हैं :
रूट 1 : बैंगलोर - कुनीगल - कादूर - बैंगलौर के माध्यम से तीर्थाहल्ली - होन्नावर रोड़। बेंगलुरु से तीर्थाहल्ली पहुंचने में 6 घंटे 46 मिनट लगते हैं। यह 328 किमी का सफर है।
रूट 2 : बेंगलुरु - टुमकुर - तारिकेरे - राष्ट्रीय राजमार्ग 48 और एसएच 24 के माध्यम से तीर्थाहल्ली। 347 किमी लंबे इस सफर को तय करने में 6 घंटे 48 मिनट का समय लगेगा।
रूट 3 : बेंगलुरु - मंड्या - चन्नारायपट्ना - कादूर - तीर्थाहल्ली। इस रूटर पर बैंगलोर से शिमोगा रोड़ से होते हुए तीर्थाहल्ली तक। इस मार्ग पर बैंगलोर और तीर्थाहल्ली के बीच की दूरी 390 किमी है और यहां पहुंचने के लिए 8 घंटे का समय लगेगा।
बैंगलोर से कुनीगल होते हुए तीर्थाहल्ली
ट्रैफिक से बचने के लिए सुबह जल्दी निकलने की कोशिश करें। रास्ते में नाश्ते के लिए कई जगहें आएंगीं। बैंगलोर से कुनीगल 70 किमी दूर है और इसमें आपको एक घंटे 15 मिनट का समय लगेगा। टुमकुर जिले में स्थित कुनीगल झीलों और कुनीगल केरे के लिए मशहूर है।
घोड़ों के लिए कुनीगल स्टड फार्म बहुत लोकप्रिय है। इसै हैदर अली ने बनवाया था और अब यहां प विजय माल्या के घोड़ों का ध्यान रखा जाता है। कुनीगल की झीलों के पास आराम फरमा सकते हैं।
नरसिम्हा मंदिर
कुनीगल में सोमेश्वर मंदिर, वेकट रमन मंदिर, नरसिम्हा मंदिर, पदमेश्वर मंदिर, शिवरामेश्वर मंदिर आदि जैसे कई मंदिर देख सकते हैं।PC:Manjunath nikt
हुठरीदुर्गा बेट्टा
शिमशा नदी पर बने मरकोनहल्ली बांध से आसपास के गांवों में सिंचाई का पानी पहुंचाया जाता है। इतिहास में हुठरीदुर्गा बेट्टा का जिक्र किया गया है।
कुनीगल से कादूर 149 किमी दूर है। यहां पर मंदिरों के अलावा और कुछ देखने के लिए नहीं है। दांडिगेकालू रंगनाथ स्वामी मंदिर, चन्नाकेशवा मंदिर, कीछकना गुड्उा मंदिर आदि कादूर में देख सकते हैं।
टिप्तुर
टिप्तुर को कर्नाटक के कोकोनट सेंट्रल के रूप में जाना जाता है। ये जगह सूखे और ताजे नारियलों के लिए मशहूर है। यहां रहने वाले लोग बड़ी संख्या में नारियल के उत्पादन का कार्य करते हैं।
तीर्थाहल्ली पहुंचने पर आप इन जगहों को देख सकते हैं -:
PC:Nandhinikandhasamy
श्री रामेश्वर मंदिर
तुंगा नदी के तट पर स्थित इस मंदिर से परशुराम कथा संबंधित है। श्री रामेश्वर मंदिर परशुराम तीर्थ के पास है। कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को स्वयं परशुराम जी ने स्थापित किया था।
तीर्थाहल्ली में येल्लू अमावस्या का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन तुंगा नदी में परशुराम जी की कुल्हाड़ी से खून के धब्बे साफ हुए थे।PC: Manjeshpv
मृगावधे
तीर्थाहल्ली ताल्लुक में मृगावधे रामायण काल से संबंधित है। इसी स्थान पर भगवान राम ने माता सीता की विनती पर मृग को मारा था। कन्नड़ भाषा में मृग का अर्थ है हिरण और वध का मतलब है मारना।PC:Manjeshpv
कुप्पाली
तीर्थाहल्ली से 18 किमी दूर है महाकवि कूवेंपू का जन्मस्थल कुप्पाली। इस ज्नानपीठ को उनके सम्मान में कविशाला और कविमाने कहा गया है। बचपन में रहे उनके आवास को अब संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। कविशाला जगह स्टोनेहेंगे ऑफ इंग्लैंड जैसा दिखता है।
PC:Krishna Kulkarni
अगुंबे
इसे दक्षिण भारत का अगुंबे भी कहा जाता है। अगुंबे बेहद खूबसूरत जगह है। यहां पर कई औषधीय पौधे जैसे गरसिनिया, लिस्त्साए, यूगेनिया आदि हैं। इस वजह से इस जगह को हसिरू होन्नू यानि हरा सोना कहा जाता है। ट्रैकर्स को भी अगुंबे बहुत पसंद है।PC: Mylittlefinger
छिब्बालगुड्डे
छिब्बालगुड्डे, श्री सिद्धि विनायक मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। ये मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। छिब्बालगुड्डे में मतस्यधाम भी है जहां बड़ी संख्या में मछलियों को देखा जा सकता है। मछलियों के लिए खाने के लिए भी कुछ ले जा सकते हैं।PC: Manjeshpv
कुंडाद्रि
तीर्थाहल्ली और अगुंबे के बीच स्थित है कुंडाद्रि पर्वत। इसमें कुंडाकुंडा आचार्य के सम्मान में एक मंदिर और तालाब स्थित है। इसमें 23वें तीर्थांकार पार्श्वनाथ की पूजा की जाती है।PC: Manjeshpv
कवालेदुर्ग
नौंवी शताब्दी में बना कवालेदुर्गा तीर्थाहल्ली से 18 किमी दूर है। ये छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है। इसे 14वीं शताब्दी में चेलुवरंगप्पा द्वारा पुनर्निर्मित करवाया गया था। पर्वत की चोटि पर भगवान श्रीकंठेश्वर का श्रीकंठेश्वर मंदिर स्थापित है।