हिमालय की पहाड़ों में बसा चमोली शहर अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। शहर में स्थित औली हिल स्टेशन इसकी खूबसूरती में चार-चांद लगाने का काम करता है। यहां सालभर पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है। हिमालय पर्वत श्रृंखला के सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशनों में से एक औली भी है, जहां से हिमालय का नजारा काफी करीब से लिया जा सकता है। गढ़वाली में औली को बुग्याल नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है- घास का मैदान।
औली में आप हिमालयी पहाड़ों की ट्रेकिंग भी कर सकते हैं, बर्फीली चादरों से ढके से पहाड़ ट्रेकिंग के लिए एडवेंचर का काम करते हैं। यहां का अद्भुत नजारा किसी को भी अपना दीवाना बना सकता है। यहां आपको कटीले वृक्ष देखने को मिल जाएंगे, जो इन सर्दियों में पूरी तरीकों से बर्फीली चादरों को ओढे रहते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि औली में एशिया की सबसे लंबी और सबसे ऊंची केबल कार सवारी की जाती है। यह कुल 4 किमी. की लम्बी दूरी तय करती है। इसके लिए करीब 1000-1500 रुपये तक लिए जाते हैं।
औली के आसपास घूमने लायक जगहें
त्रिशूल पीक
त्रिशूल चोटी पश्चिमी कुमाऊं में स्थित तीन हिमालय पर्वत चोटियों का एक समूह है, जिसकी उच्चतम ऊंचाई 7120 मीटर है। इस चोटी को कौसानी या रूपकुंड ट्रेक के दौरान देखा जा सकता है, ये तीनों चोटियां एक त्रिशूल के आकार से मिलती-जुलती दिखाई पड़ती हैं। त्रिशूल चोटी पर ट्रेकिंग कर पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए बेस कैंप भी बनाया गया है। यहां पर सितम्बर से लेकर नवंबर तक काफी साफ मौसम होता है और यहां पहली बर्फबारी नवम्बर में शुरू होती है, जिसका आनंद लेने के लिए हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। यहां आप सुबह 07:00 से लेकर शाम 08:00 बजे तक कैम्पिंग, ट्रेकिंग और स्कीइंग का लुत्फ उठा सकते हैं।
गुरसो बुग्याल
गुरसो बुग्याल जाने का सही समय गर्मियों के मौसम में है। इस समय यहां हरी-भरी घास का मैदान दिखती है, जो यहां का मुख्य आकर्षण भी है। यहां आपको ओक के वृक्ष भी देखने को मिल जाएंगे। यहां का काफी शानदार नजारें भी दिखाई पड़ते हैं, जो पर्यटकों को बार-बार आने के लिए आकर्षित करती है। यहां आप सुबह 08:00 से लेकर शाम 05:00 बजे तक केबल कार के जरिए भी पहुंच सकते हैं।
क्वानी बुग्याल
क्वानी बुग्याल गुरसो बुग्याल से 12 किमी. दूरी स्थित है, जो ट्रेकिंग करने वालों के लिए चुनिंदा स्थानों में से एक है। यहां से नंदा देवी और दूनागिरी जैसे बर्फीले पहाड़ों का अद्भुत नजारा भी देखने को मिलता है, जो इस स्थान को और भी खास बनाता है। यहां काफी आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां आप ट्रेकिंग और स्कीइंग का लुत्फ उठा सकते हैं।
जोशीमठ
जोशीमठ, औली के पास में ही स्थित है, जो हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ अथर्ववेद को समर्पित है। करीब 6100 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस हिंदू तीर्थस्थल को हिमालय पर्वतारोहण अभियानों, ट्रेकिंग ट्रेल्स और बद्रीनाथ जैसे तीर्थों का प्रवेश द्वार माना जाता है। कहा जाता है कि 8वीं शाताब्दी में आदि गुरु श्री शंकराचार्य ने चार मठों को स्थापित किया था, जिसमें से एक जोशीमठ है। यहां पर भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह को समर्पित एक मंदिर भी है। जोशीमठ को भगवान बद्री का शीतकालीन घर भी कहा जाता है, क्योंकि सर्दियों के दौरान मूर्ति को बद्रीनाथ मंदिर से निकालकर जोशीमठ में स्थानांतरित कर दिया जाता है। यहां आप सुबह 07:00 से लेकर शाम 08:00 बजे तक जा सकते हैं।
औली जाने का सही समय - अप्रैल से लेकर सितम्बर तक (लेकिन आप स्कीइंग का आनंद लेना चाहते हैं तो आप अक्टूबर से लेकर मार्च तक जाए)
औली तक कैसे पहुंचें
औली तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून का जौली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो करीब 300 किमी. की दूरी पर स्थित है। वहीं, यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार में है, जो करीब 280 किमी. दूर है। इसके अलावा यहां के लिए आपको देहरादून, ऋषिकेश या हरिद्वार बसें भी मिल जाएंगी।