अयोध्या को आज भी राम नगरी के नाम से ही पुकारा जाता है। वेदों के अनुसार, इस धरती पर भगवान राम का जन्म हुआ था, जो भगवान विष्णु के अवतार थे। वर्तमान समय राम लला का भव्य मंदिर भी बनाया जा रहा है, जिसका निर्माण अगले साल के अंत तक या फिर साल 2024 के शुरुआत में हो जाएगा। ऐसे में हिंदू धर्म के लिए अयोध्या काफी पवित्र नगरी मानी जाती है। लेकिन अयोध्या में भगवान के अलावा जैन धर्म के कई तीर्थंकरों का जन्म हुआ है।
जैन धर्म के लिए भी खास
जैन मतों के अनुसार, 24 तीर्थंकरों में से अयोध्या पांच की जन्मभूमि रही है। यहां ऋषभनाथ जी (पहले तीर्थंकर), अजितनाथ जी (दूसरे तीर्थंकर), अभिनंदननाथ जी (चौथे तीर्थंकर), सुमतिनाथ जी (पांचवे तीर्थंकर) और अनंतनाथ जी (चौदहवें तीर्थंकर) का भी जन्म हुआ है। ऐसे में अयोध्या न सिर्फ हिंदुओं के लिए बल्कि जैन धर्म के लिए भी काफी पवित्र स्थान माना जाता है।
धार्मिक के साथ-साथ ऐतिहासिक नगरी भी है अयोध्या
सरयू नदी के तट पर बसा अयोध्या धार्मिक नगरी होने के साथ-साथ ऐतिहासिक नगरी भी है। अयोध्या का प्राचीन नाम साकेत था, जो कोसल राज्य की राजधानी हुआ करती थी। रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी और कई शाताब्दियों तक यह सूर्यवंशियों की राजधानी बनी रही। इसी वंश में राजा श्री राम ने जन्म लिया था, जो सूर्यवंश के 63वें राजा महाराज दशरथ के पुत्र थे। यहां 7वीं शाताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग आया था, तब यहां करीब 20 बौद्ध मंदिर थे और यहां 3000 बौद्ध भिक्षु भी रहते थे।
अयोध्या में घूमने वाली जगहें
1. कनक भवन - इसे सोने का घर भी कहा जाता है। इसके अंदर भगवान राम व माता सीता की प्रतिमा भी स्थापित है, जिसके सिर पर सोने का ताज है। यहां भवन में गीत-संगीत का मंचन भी किया जाता है।
2. हनुमान गढ़ी - अवध के नवाब द्वारा बनवाया गया हनुमान मंदिर
3. त्रेता के ठाकुर - इस पवित्र स्थान पर श्रीरान ने अश्वमेध यज्ञ किया था, जहां बाद में यह मंदिर भी बनाया गया। इस मंदिर में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न की मूर्तियां भी स्थापित है।
4. राजा मंदिर - यह मंदिर सरयू नदी के तट पर स्थित है। यहां लगभग सभी देव-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित है।
5. सीता की रसोई - यह एक मंदिर है, जिसे रसोई में तब्दील किया गया है। मंदिर के एक हिस्से में भगवान राम-माता सीता, लक्ष्मण-उर्मिला, भरत-मांडवी और शत्रुघ्न-श्रुताकीर्ति की जोड़े में प्रतिमा देखने को मिलेगी, जो इस मंदिर को विशेष मंदिर का दर्जा देती है।
6. शुजा-ऊ-दौला का मकबरा - मकबरे के परिसर में एक सुंदर सा गुलाब का बगीचा है, जो पर्यटकों को लुभाने के लिए काफी है। इसे गुलाब बढ़ी के नाम से भी जाना जाता है।
7. बहू बेगम का मकबरा - इस को 'पूर्व का ताजमहल' भी कहा जाता है। यह मकबरा नवाब शुजा-ऊ-दौला की पत्नी उनमतुज्ज़ौरा बानो की स्मृति में बनवाया था। यह पूरे अयोध्या का सबसे ऊंचा ऐतिहासिक स्थल है जो अवधी वास्तुकला में बनाई गई है।
8. मोती महल - यह बेगम उनमतुज्ज़ौरा का निवास स्थान था, जो मुगल वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है।
9. तुलसी स्मारक भवन संग्रहालय - यह संग्रहालय गोस्वामी तुलसी दास की स्मृति में बनवाया गया है, जो एक अनुसंधान केंद्र भी है जहां अयोध्या के साहित्य, संस्कृति और आध्यात्मिक विषयों पर खोज की जाती है।
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