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जानिए क्यों आज भी अधूरा है भोजेश्वर महादेव का मंदिर और क्या है इसका रहस्य...

देश में महादेव के तो कई मंदिर है लेकिन इनमें से कुछ ही मंदिर ऐसे है, जो अपनी महत्वता और रहस्यों के चलते जाने जाते हैं। इन्हीं में से एक है भोपाल का भोजेश्वर महादेव मंदिर। यह मंदिर शहर से करीब 30 किमी. की दूरी पर स्थित बेतवा नदी के दाहिने ओर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। सभी मंदिर अपने किसी न किसी खास वजह से जाने जाते हैं लेकिन यह मंदिर अपने अपूर्णता के लिए जाना जाता है।

यानी कि यह मंदिर अधूरा बना हुआ है लेकिन इसके अधूरे बने के पीछे का कारण किसी को नहीं पता है। इसके अलावा जो इस मंदिर को सबसे खास है, वो है मंदिर का शिवलिंग..। जी हां, मंदिर में स्थित शिवलिंग दुनिया के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है। अपूर्ण होते हुए भी आपको यह मंदिर बेहद खास व सुंदर दिखाई देगा। यहां भक्तों की काफी भीड़ भी देखने को मिलती है।

भोजेश्वर महादेव मंदिर भोपाल

भोजेश्वर महादेव मंदिर किसने बनवाया था?

कहा जाता है कि भोजेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण मध्य भारत के परमार वंशीय राजा भोजदेव ने 1010 ईस्वी में करवाया था। हजार साल पुराने इस मंदिर में आज भी ऐसा लगता है जैसे वही पुराना इतिहास दोहराया जा रहा हो। राजा भोजदेव एक अच्छे शासक के साथ-साथ कला, स्थापत्य व विद्या के महान ज्ञानी व लेखक थे।

भोजेश्वर महादेव मंदिर को लेकर पौराणिक कथा

भोजेश्वर महादेव मंदिर को लेकर पौराणिक किवदंती भी प्रचलित है, जिसके अनुसार इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने एक रात में किया था। कहा जाता है कि पांडव अपने वनवास के दौरान माता कुंती यहीं आसपास के वनों में रहा करते थे। इस दौरान भीम ने इस मंदिर का निर्माण किया और शिवलिंग की स्थापना की ताकि माता कुंती बेतवा नदी में स्नान कर बाबा भोलेनाथ के दर्शन कर सकें।

भोजेश्वर मंदिर के एक रात में बनने की कहानी

इस मंदिर के अपूर्ण होने को लेकर आज तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल पाया है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? ऐसे में हो सकता है कि इस मंदिर को बनाने में एक दिन का संकल्प लिया गया हो या फिर कोई विवशता। ऐसे में सुबह हो जाने के कारण मंदिर का कार्य रोक दिया गया हो और मंदिर अपूर्ण रह गया हो। मंदिर के आसपास देखने पर आपको कई ऐसे पिलर व मूर्तियां दिखाई देंगी, जो इस मंदिर के अपूर्ण होने की गवाही देती है।

दुनिया के सबसे बड़े शिवलिंग में से एक है भोजेश्वर महादेव

भोजेश्वर मंदिर के गर्भगृह में स्थित शिवलिंग तकरीबन 22 फीट ऊंचा है, जो कि दुनिया के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है। इस शिवलिंग का व्यास 7.5 फीट है। इस शिवलिंग की सबसे खास यह है कि इसे एक ही पत्थर से निर्मित किया गया है और इसे बनाने में चिकने बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है।

भोजेश्वर महादेव मंदिर भोपाल

भोजेश्वर मंदिर के पीछे ढलान की कहानी

मंदिर के पीछे आपको एक ढलान देखने को मिलेगा, जिसको लेकर आसपास लोग व पुजारी बताते हैं कि इस ढलान का उपयोग मंदिर के लिए पत्थर पहुंचाने के लिए किया गया था। कहा जाता है कि मंदिर निर्माण के लिए इस ढलान से करीब 70000 किलो के पत्थरों को मंदिर परिसर तक पहुंचाया गया है।

मंदिर की संरचना

भोजेश्वर महादेव का मंदिर 106 फीट लंबा और 77 फीट चौड़ा है, जिसका निर्माण 17 फीट ऊंचे एक चबूतरे पर किया गया है। मंदिर के गर्भगृह की अपूर्ण छत 40 फुट ऊंचे चार स्तंभों (पिलर) पर टिकी हुई है। वहीं, मंदिर का द्वार पश्चिम दिशा की ओर है। इसके अलावा गंगा व यमुना की प्रतिमाएं गर्भगृह के विशाल द्वार को सुसज्जित करने का काम करती हैं।

मंदिर के चार स्तंभों में शिव-पार्वती, सीता-राम, लक्ष्मी-नारायण और ब्रह्मा-सावित्री की प्रतिमाएं अंकित की गई है। मंदिर की छत गुंबद आकार की है। इसी के चलते भारतीय विद्वान इसे प्रथम गुंबदीय छत वाली इमारत भी मानते हैं। यह मंदिर इस बात का प्रमाण है कि भारत में गुंबदों का निर्माण इस्लाम ने नहीं बल्कि सनातनियों ने किया है।

भोजेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने का समय - सुबह 06:00 बजे से लेकर शाम 07:00 तक

भोजेश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुंचें?

भोजेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंचने के लिए यहां का नजदीकी एयरपोर्ट राजाभोज इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जो कि भोपाल में स्थित है। मंदिर से हवाई अड्डा की दूरी करीब 43 किमी. है। वहीं, यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन हबीबगंज रेलवे स्टेशन है, जो यहां से करीब 22 किमी. दूर है। इसके अलावा बस या टैक्सी से भी पहुंचा जा सकता है।

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