जैसा कि कहा गया 'ओल्ड इज़ गोल्ड', उसी तरह चाँदनी चौक भी पुरानी दिल्ली का गोल्ड है। ज़ाहिर सी बात है जो भी दिल्ली की यात्रा में जाते हैं वे पुरानी दिल्ली, शाहजहाँबाद के बाज़ार चाँदनी चौक की सैर पर जाना नहीं भूलते जिसे शाहजहाँ की सबसे प्यारी पुत्री जहाँ आरा बेगम द्वारा डिज़ाइन किया गया था।
चाँदनी चौक का व्यस्त बाज़ार
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चाँदनी चौक का यह नाम वहाँ पर स्थित तलैये के ऊपर रखा गया जो उस जगह को चाँद की रोशनी से चाँदनी रात की तरह जगमगा देता था। इस पुराने बाज़ार की चमकती आभा को कई बॉलीवुड 'चाँदनी चौक टू चाइना', 'दिल्ली 6' जैसी फिल्मों में भी दर्शाया गया है।
आप सोचते होंगे कि क्युँ इस बाज़ार का इतना ज़्यादा प्रचार प्रसार है? वह इसलिए क्युंकि यहाँ पर सबसे लज़ीज़ खानों की विशेषता आपको मिल जाएंगी जो इस क्षेत्र की सबसे बड़ी पहचान है। ऐसा कौन है जो 1000 तरह की मिठाइयों और कुछ लोकल लज़ीज़ खानों जैसे कि कई तरह के परांठे, छोले कुलचे, चाट, समोसे, लस्सी आदि, से आकर्षित नहीं होगा?
चाँदनी चौक में चाट की दुकान
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क्या आपको पता है कि, देश के सबसे प्रसिद्ध ब्रांड हल्दीराम की शुरुआत भी यहीं से हुई थी? कई स्ट्रीट फुड की दुकानों के साथ साथ यह क्षेत्र सदियों से हलवाई की दुकानों के लिए भी प्रसिद्ध है।
दिलचस्प बात यह कि चाँदनी चौक का यह बाज़ार सिर्फ़ खाने के लिए ही लोकप्रिय नहीं, बल्कि अपने आस पास के ऐतिहासिक जगहों और धार्मिक क्षेत्रों के वजह से भी प्रसिद्ध है। देश का सबसे प्रसिद्ध स्मारक और शान, लाल किला चाँदनी चौक के पास ही है।
चाँदनी चौक का सीसगंज साहिब गुरुद्वारा
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यह बाज़ार कई सारे धार्मिक स्थानों से भी घिरा हुआ है। जामा मस्जिद, श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर, सीसगंज साहिब गुरुद्वारा, शिव मंदिर, बेप्टिस्ट चर्च इस बाज़ार के आसपास ही हैं। यह किसी आश्चर्य से कम नहीं होगा कि यहाँ आप सारे लोगों को खुद से एक साथ मिल जुलकर रहते हुए देखेंगे।
भीड़ से भरे इस बाज़ार में भीड़ को चीरते हुए वहाँ की स्वादिष्ट जलेबी का मज़ा लेना अपने आप में ही एक बड़ी चुनौती है। यहाँ के पुराने धरोहरों की कहानी हमें उनके मुगल काल में ले जाती है।
चाँदनी चौक में मिलने वाले अमृतसरी कुलचे
Image Courtesy: Prateek Rungta
जहाँ पूरी दिल्ली आधुनिक समय के जादू से चमक रही है, वहीं पुरानी दिल्ली का यह बाज़ार इसके विपरीत अपनी अलग शोभा के साथ मौजूद है। यह बाकी दुनिया से बिल्कुल अलग अपने पुराने आकर्षण के साथ बरकरार है।
तो अपनी दिल्ली की यात्रा में इस बाज़ार की यात्रा करना ना भूलें जिसमें असली दिल्ली की जान बसती है।
अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।