कोलकाता का ' टिरेटे बाजार' जिसका आसपार का क्षेत्र भारत का 'चाइना टाउन' कहलाता है। जहां आज भी हजारों 'चीनी भारतीय' शांतिप्रिय तरीके से रहते हैं। यहां के चीनी लोग परंपरागत 'चर्म शोधन' (जानवरों की खाल निकालना) का कार्य करते हैं, जबकि कुछ 'चीनी व्यंजनों' की स्ट्रीट मार्केट में अपनी-अपनी दुकाने लगाते हैं।
यह खुली स्ट्रीट मार्केट लजीज चाइनीज डिश के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां आपको ट्रेडिशनल चीनी व्यंजनों का लुत्फ उठाने काम मौका मिलेगा। आइए जानते हैं पर्यटन के लिहाज से कोलकाता का चाइना टाउन आपके लिए कितना खास है।
परंपरागत देशी-चीनी व्यंजन
PC- Indrajit Das
यह पूरा इलाका जायकेदार चीनी व्यंजनों के लिए जाना जाता है। यहां आपको कई पुराने व नए चाइनीज रेस्तरां मिल जाएंगे। जहां आपको भारतीय खानों के साथ परंपरागत चीनी व्यंजन खाने का अवसर मिलेगा। आप यहां चीनी हक्का नूडल्स, सॉसेज, वेज व नॉज वेज मोमोज, सूप आदि व्यंजनों का आनंद उठा सकते हैं। यहां बनाए जाने वाले देशी-चीनी फूड्स की शूरूआत यहां रहने वाली चीनी कम्युनिटी ने की थी। जो यहां लंबे समय से रह रहे हैं।
चीनी कम्युनिटी की शुरुआत
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बंगाल के पहले गवर्नर 'वॉरन हेस्टिंग' के दौरान 'टोंग अची' नाम के एक चीनी व्यवसायी ने एक चीनी मिल की स्थापना की थी। साथ ही कोलकाता से 33 किमी दूर हुगली नदी के किनारे 'अचिपुर' में गन्ने की खेती भी शुरू की । यह वो प्रारंभिक दौर था जिसके बाद से चीनी नागरिक अपने देश में फैली अराजकता के कारण कोलकाता आना शुरू कर रहे थे। यहां आज भी उस वक्त का बनाया मंदिर और 'टोंग अची' की समाधि मौजूद है, जहां चीनी भारतीय दर्शन के लिए जाते हैं।
चीनी संस्कृति का रंग
PC- Arup1981
चाइना टाउन में भले ही अब ज्यादा चीनी भारतीय नहीं बचे, लेकिन फिर भी यहां के लोग अपनी परंपरा व संस्कृति को नहीं भूलें। यहां 'चीनी नया साल' बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस 'न्यू ईयर फेस्टिवल' में शरीक होने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इस दौरान यहां का माहौल पूरे चीनी परिवेश में ढल जाता है। लोग नाच-गाकर खुशियां मनाते हैं। साथ ही चीनी संगीतों की धुन पर नए साल के जश्न का पूरा आनंद उठाते हैं।
47, साउथ टंगारा
PC- Arup1981
कोलकाता में बसने वाले ज्यादातर चीनी, बेहतर अवसरों की तलाश में यहां आए। पहले वे टिरेटे बाजार में रहे, जिसके बाद वे यहां के टंगारा में आकर बस गए। यह इलाका 'चाइना टाउन' कहलाता है। जिसे 47, साउथ टंगारा भी कहते हैं। समय के साथ-साथ चीनी भारतीयों ने अपने रेस्तरां खोलने शुरू किए। जो उनकी आजिविका का मुख्य साधन बना। यहां कभी चीनी भारतीयों की जनसंख्या 20,000 थी, पर समय के साथ अब इनकी जनसंख्या मात्र 2000 के आसपास होकर रह गई। जिसका एक बड़ा कारण 1962 का भारत-चीन युद्ध था।
जब चीन के हालात हुए खराब
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दो अफीम युद्ध फिर चीन-जापान के आपसी घमासान से लगातार चीन के हालात खराब होते चले गए थे। उस दौरान हजारों चीनी अपना देश छोड़कर कोलकाता में शरण लेने पहुंचे। जिसके बाद से इनका भारत में नया सफर शुरू होता है। उस समय कोलकाता व्यापार का मुख्य केंद्र हुआ करता था। जिसमें इन चीनी भारतीयों ने हाथ आजमाया। ये लोग यहां चमड़ा, जूता निर्माण व दंत चिकिस्सा जैसे कामों में जुट गए।
कैसे करें प्रवेश
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कोलकाता अपने बेहतर परिवहन माध्यमों के लिए जाना जाता है। 'हावड़ा रेलवे स्टेशन' से बंकिम सेतु के जरिए आप टिरेटे बाजार पहुंच सकते हैं। कोलकाता आने के लिए आप ट्रेन या हवाई मार्ग का चुनाव कर सकते हैं। अच्छा होगा आप बस के से न जाकर प्राइवेट यह रेडियो टैक्सी का सहारा लें। इससे आपको पहुंचने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।