Search
  • Follow NativePlanet
Share
» »एक दिन में करें 6 अलग अलग गणपति मंदिरों के दर्शन

एक दिन में करें 6 अलग अलग गणपति मंदिरों के दर्शन

By Syedbelal

हिंदू समुदाय द्वारा नियमित रूप से गणेश मंदिर का दर्शन किया जाता है। उनका मानना है कि भगवान गणेश उनके लिए अच्छे भाग्य ले कर आते हैं। यही वजह है कई हिंदू कोई भी नया काम करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करते हैं, ताकि नए काम में उन्हें सफलता मिले।

भारत के तकरीबन हर हिस्से में बड़ी संख्या में गणेश मंदिर है। केरल के कसारगोड से लेकर कर्नाटक के गोकर्ण तक का समुद्री किनारा अपने अद्भुत सौंदर्य के लिए जाना जाता है। पर इसके लिए अलावा इस समुद्री किनारे पर कई गणेश मंदिर भी हैं। करीब 300 किमी के इस समुद्री किनारे पर कुल 6 गणेश मंदिर स्थापित हैं।

इन छह में से पहला गणेश मंदिर कसारगोड के पास स्थित है। मधुरमहागणपति मंदिर कसारगोड शहर से करीब 8 किमी दूर है। चूंकि आपको सफर की शुरुआत सुबह में करनी होगी, इसलिए बेहतर होगा कि आप कसारगोड में रात बिता लें।

अगर ट्रैफिक सामान्य रहा रहा तो आप का सफर 7 घंटे का होगा, जिसमें दर्शन करने का समय भी जुड़ा हुआ है। इस मंदिर में मुख्य रूप से अप्पा चढ़ाया जाता है, जो कि भगवान गणेश को बेहद प्रिय है। इसके अलावा यहां उदयास्थमन पूजा भी की जाती है।

मधुर महागणपति मंदिर का दर्शन करने के बाद आप इडापल्ली-पनवेल हाइवे के जरिए मंगलौर की ओर सफर कर सकते हैं। यहां स्थित शरावु महागणपति मंदिर पहुंचने में आपको एक घंटे से भी कम का समय लगेगा।

इस मंदिर में श्री शराभेश्वर और श्री नागाब्राह्मा नामक दो अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है। यह मंदिर करीब 800 साल पुराना है और मंगलौर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है।

शरावु महागणपति से कुम्बाशी करीब 80 किमी दूर है और यहां स्थित महागणपति मंदिर पहुंचने में करीब डेढ़ घंटे का समय लगता है। इस मंदिर को एन्नेगुड्डे श्री विनायक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

यहां दर्शन करने के बाद आप हट्टियानगडी स्थित सिद्धि विनायक मंदिर जा सकते हैं। यह मंदिर कर्नाटक के उडुपि जिले में स्थित है। कुम्बाशी से सिर्फ 20 मिनट वाहन चलाकर आप सिद्धि विनयक मंदिर पहुंच सकते हैं, जहां आज भी पूजा साधारण और पारंपरिक तरीके से की जाती है।

इस मंदिर का कई बार नवीनीकरण किया गया है और यह इस क्षेत्र का एक प्रसिद्धि मंदिर है। यहां सिद्धि विनायक (भगवान गणेश) की 2.5 फीट ऊंची प्रतिमा को पत्थर से तराश कर तैयार किया गया है।

आपका अलगा पड़ाव होगा इडुगुंजी गणपति मंदिर। सिद्धि विनायक मंदिर से करीब 45 किमी दूर स्थित यह मंदिर उडुपि जिले का एक चर्चित मंदिर है। यह मंदिर करीब 1500 साल पहले बनाया गया था।

यहां रखी प्रतिमा के एक हाथ में मोदक और दूसरे हाथ में कमल का फूल है। अगर आप अपनी यात्रा की योजना अच्छे से बनाते हैं तो दोपहर के समय आप इस मंदिर में होंगे। मंदिर में श्रद्धालुओं को नि:शुल्क भोजन दिया जाता है। इस मंदिर में दर्शन के बाद आप गोकर्ण के लिए रवाना हो सकते हैं।

एक दिन में करें 6 गणेश मंदिर का दर्शन

गोकर्ण इडुगुंजी से करीब 65 किमी दूर है। अगर आप गाड़ी चलाकर थक जाएं तो सड़क किनारे आपको कई चाय की दुकान मिल जाएगी। गोकर्ण के गणपित मंदिर में जो प्रतिमा रखी गई है वह इडुगुंजी मंदिर के समान ही है।

यह महाबलेश्वर मंदिर के पास में ही स्थित है। ऐसी मान्यता है कि महाबलेश्वर जाने से पहले गोकर्ण के गणपति मंदिर का दर्शन करना चाहिए। इस मंदिर पर आकर आपके 6 गणोश मंदिर के दर्शन की यात्रा समाप्त हो जाएगी।

समुद्र किनारे का रास्ता होने के कारण इस सफर के दौरान आपको कई दिलकश नजारे देखने को मिलेंगे।

तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X