जब भी घर में किसी शुभ काम की शुरुआत होती है, तो हम सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते हैं। एक बच्चे की तरह, मैं भी इस पूजा में भाग लेती थी, उस वक्त मै भगवान गणेश की मूर्ति देख अपनी मां से बार उनके मुख की कहानी पूछती थी, कि उनका मुख हाथी के मुख की तरह क्यों है।
मेरी इस उत्सुकता पर उन्होंने मुझे बिठाकर एक कहानी सुनाई,जिसमे उन्होंने मुझे बताया कि, भगवान गणेश शिव पार्वती के छोटे बेटे हैं, एक बार पार्वती माता स्नान करने गयी तो, उन्होंने अपने बेटे को निर्देश देते हुए कहा कि,वह स्नान करने जा रही हैं, इसलिए किसी को भी घर के अंदर ना आने दें।
कुछ देर बाद भगवान शिव, माता पार्वती से मिलने से मिलने पहुंचे, लेकिन गजानन ने उन्हें उनसे मिलने नहीं दिया। गणेश की हाथ देखकर शिव को क्रोध आ गया, और उन्होंने अपने त्रिशूल से भगवान गणेश का मुख धढ़ से अलग कर दिया। जिसे बाद माता ने विलाप कर भगवान शिव से उनके बेटे के धढ़ को मुख से जोड़ने की विनती की, तब भगवान शिव ने गणेश को हाथी के बच्चे का मुख लगाया।
भगवान शिव जी और माँ पार्वती के विवाहस्थल के पवित्र दर्शन!
कहानी सुनने के बाद तुरंत बाद मैंने मां से पुछा फिर भगवान गणेश का मुख कहां गया। यकीनन ये सवाल आपके दिमाग में कई बार आया होगा, अगर आपको अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं मिला है तो, आज हम आपको अपने इस लेख से बताने जा रहें हैं, आखिर कहां है भगवान गणेश का असली मुख? आइये स्लाइड्स पर डालते हैं एक नजर
कहां है भवगान गणेश का असली मुख?
मैंने जो ऊपर आपको जो कहानी बताई उसके मुताबिक कहा जाता है कि,भगवान गणेश का मुख चन्द्र लोक में स्थित है। तो वहीं एक और मान्यता है कि, भगवान गणेश का मुख उत्तराखंड स्थित पाताल भुवनेश्वर में स्थित है। जब भगवान ने हाथी के बच्चे का मुख गणेश को लगाया था, तब उनका असली मुख इसी गुफा में रख दिया गया था। Pc:uttarakhandtourism
आसान नहीं है पाताल भुवनेश्वर पहुँचाना
पाताल भुवनेश्वर गुफा उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में 180 किमी की दूरी पर गंगोलीहाट में स्थित है। पातळ भुवनेश्वर में कई गुफायों का संग्रह है, ये गुफएं 160 मीटर लम्बी और 90 फीट गहरी है। बता दें अब ये गुफाएं भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा सरंक्षित हैं। Pc: Youtube
भगवान गणेश का मुख
माना जाता है कि, यहां गणपति का असली मुख रखा हुआ है। इस गुफा में भगवान गणपति की शिलारूपी मूर्ति के ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्मकमल के रूप में एक चट्टान है,जिससे इस मूर्ति के ऊपर पानी टपकता है।Pc:officialy page
कैसे पहुंचे गुफा
इस गुफा तक पहुँचने के लिए आपको करीबन 100 सीढ़ियाँ उतरनी होती है , जैसे आप सीढियां उतरेंगे आपको एक अजीब सी शांति और ख़ुशी का एहसास होगा।
गुफा
मान्यता है कि,इस गुफा में 33 करोड़ देवी देवतायों का वास है।
जुड़ी हुई है कैलाश पर्वत से
बताया जाता है कि, ये गुफा भीतर ही भीतर कैलाश पर्वत से जुडी हुई है, यही वह जगह है जहां पांडवों ने भगवान शिव के सामने तपस्या कर अपनी हिमालय की यात्रा शुरू की थी।
पाताल भुवनेश्वर
यहां का मौसम बेहद सुहावना रहता है,देवदार और ओक के पेड़ से बने जंगल, इस जगह को भी खूबसूरत बनाते हैं। यहां स्थित पंचचुली चोटी से उगते और डूबते हुए सूरज के मनोरम नजारे भी देखे जा सकते हैं।
बेरीनाग
बेरीनाग से हिमालय के बेहद खूबसूरत नजारे देखे जा सकते हैं, यहां आप खूबसूरत चाय के बगानों के साथ लंबे लम्बे देवदार और चीड़ के पेड़ो को भी देख सकते हैं।
गंगोलीहाट
यह उत्तराखंड का एक बेहद ही खूबसूरत धार्मिक स्थान है, जोकि हट-कलिका मंदिर के लिए जाना जाता है।Pc:vkumarzone
कब जाएँ
पाताल भुवनेश्वर पहुँचने का सबसे अच्छा समय गर्मियों का है, इस दौरान यहां का मौसम बेहद सुहावना रहता है, और हां इस दौरान थोड़े गर्म कपड़े भी अपने साथ रखना ना भूले।Pc:Unknown
कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर?
पाताल भुवनेश्वर पहुँचने के आधा किमी पहले ही सड़क खत्म हो जाती है, आपको गुफा तक पहुँचने के लिए करीब 100 सीढ़ियाँ पर करनी होती, सीढियाँ पार करते आप खुद के अंदर एक असीम शांति की अनुभूति को महसूस करेंगे।
हवाई जहाज
अगर आप फ्लाइट के जरिये यहां आना चाहते हैं, तो यहां का नजदीकी हवाई अड्डा नैनी सैनी है जोकि पिथौरागढ़ में स्थित है, पर्यटक यहां से बस या कैब के जरिये पाताल भुवनेश्वर पहुंच सकते हैं।
ट्रेन द्वारा
यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जोकि गुफा से करीबन 192 किमी की दूरी पर स्थित।
सड़क द्वारा
पाताल भुवनेश्वर पहुँचने का सबसे आसान रास्ता है ,रोड द्वारा। यह जगह उत्तराखंड के सभी नजदीकी शहरों से भली भांति जुड़ा हुआ है।