गुजरात के जूनागढ़ के सौराष्ट्र में स्तिथ है गिरनार। यह गुजरात का सबसे ऊंचा और पवित्र पर्वत है। इसे रेवतक पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। यह जैन और हिंदू मंदिरों से ढका है। दूर-दूर से तीर्थयात्री शिखर तक 10,000 पत्थर की सीढ़ियां चढ़ने के बाद आते हैं। इन सीढ़ियों कि चढ़ाई सुबह में करना सही माना जाता है। सुबह की रोशनी में चढ़ना मंत्रमुग्ध करने वाला अनुभव होता है।
अगर आप सबसे ऊपर के मंदिरों तक पहुंचने का प्लान कर रहे हैं तो पूरा दिन यहां बिताने के लिए तैयार रहें। क्योंकि यहां के सबसे उपर वाले मंदिर तक पहुंचने में रात हो जाएगी।
बता दें गिरनार पर्वत पर करीब 866 जैन और हिंदू मंदिर स्थित है। वहीं इतिहास की बात करे तो यहां 110वीं शताब्दी का सबसे बड़ा और सबसे पुराना नेमिनाथ का मंदिर है जो 22वें तीर्थंकर को समर्पित है। यहां बहुत सारे मंदिरों में सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक ताला लगा रहता है, लेकिन यह दिन भर खुला रहता है। साथ ही यहां दो भाइयों द्वारा 1177 में बनवाया गए नौवें तीर्थंकर को समर्पित मल्लीनाथ का ट्रिपल मंदिर भी है। त्योहारों के दौरान, इस मंदिर में कई आध्यात्मिक गुरु आते रहते हैं।
यहां आपको अलग अलग हिंदू मंदिर मिलेंगे। पहली चोटी पर स्तिथ है अम्बा माता का मंदिर, जहां नवविवाहितों जोड़ी एक सुखी विवाह सुनिश्चित करने के लिए पूजा अर्चना करते हैं। आपको बता दें गोरखनाथ का मंदिर गुजरात की सबसे ऊंची चोटी पर है। इसकी ऊंचाई 1117 मीटर है। वहीं खड़ी चोटी पर एक मंदिर है जिसमें विष्णु जी का तीन मुखी अवतार हैं। अंतिम चौराहे के ऊपर, देवी काली का मंदिर है।
बात करें यहां घूमने के सबसे अच्छे समय की तो यहां घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर और फरवरी के बीच है। लेकिन जनवरी-फरवरी के महीने में पांच गिरनार परिक्रमा उत्सव के दौरान बहुत ज़्यादा मात्रा में लोग यहां इकट्ठा होते हैं। अगर आप इस उत्सव का आनंद लेना चाहते हैं तो आप जनवरी फरवरी में भी यहां आने का सोच सकते हैं।
यहां कैसे पहुंचे?
सड़क मार्ग से-
जूनागढ़ तक गुजरात के अन्य शहरों से एसटी और निजी बसों द्वारा पहुंचा जा सकता है।
ट्रेन द्वारा-
जूनागढ़ पहुंचने के लिए अहमदाबाद-वेरावल रेल लाइन पर दो एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं।
हवाई जहाज़ से-
जूनागढ़ से निकटतम हवाई अड्डा राजकोट है। यह जूनागढ़ से 103 किमी के दूरी पर है।