यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय भूमि कई अनसुलझे रहस्यों का गढ़ है। यहां अतीत से जुड़े कई ऐसे स्थल मौजूद हैं, जो अपने अजीबो गरीब हादसों के लिये चर्चा का विषय रहे हैं। चाहे राजा-महाराजाओं के काल के खंडहरनुमा किले हों या अंग्रज़ों द्वारा बनाए गए भवन। उस दौरान बनाए गए कई विशाल भवन अपने अस्तित्व के साथ धूमिल हो गए जबकि बाकी बचे भारतीय सरकार की देख-रेख में संरक्षित कर दिए गए हैं।
आज हमारे साथ जानिए अंग्रेजों के समय बनाए गए एक ऐसे भवन के बारे में जिसे भारत में मौजूद चुनिंदा पैरानॉर्मल साइट्स में शामिल कर दिया गया है।
कोलकाता राष्ट्रीय लाइब्रेरी
PC- Biswarup Ganguly
कोलकाता नेशनल लाइब्रेरी, शहर के बेलवेडोर रोड के पास स्थित है। यह राष्ट्रीय पुस्तकालय अपनी दुर्लभ किताबों के साथ सबसे डरावने भवनों में गिना जाता है। यह भवन बंगाल के पूर्व गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स का आधिकारिक आवास हुआ करता था। इस पुस्तकालय की स्थापना 1948 में की गई थी। यहां लगभग 18,00,000 पुस्तकों और दस्तावेजों का संग्रह है। यह पुस्तकालय अब पर्यटन के लिहाज से खोल दिया गया है।
अजीबोगरीब कहानियां
PC- Biswarup Ganguly
अंग्रेजों के वक्त बनकर तैयार इस भवन से अब रहस्यमय कहानियां जुड़ चुकी हैं। यहां पढ़ने आए कई पाठकों का मानना है कि उन्होंने यहां किसी अदृश्य साये के होने का अनुभव किया है। कई बार यहां से पदचिन्हों की अजीबोगरीब आवाजें सुनी गई हैं। कई लोग यहां तक कहते हैं कि यहां पूर्व गर्वनर की पत्नी की आत्मा भटकती है।
प्रेतवाधित स्थानों में शामिल
कहा जाता है कि जब यहां नई इमारत का निर्माण कार्य चल रहा था, तो उस दौरान कुछ लोग रहस्यमय मौत का शिकार हो गए थे। यहां तक की छात्रों ने भी यहां कुछ अलग डरावना अनुभव किया है। अब इन बातों में कितनी सच्चाई है इस बात का कोई सटीक प्रमाण नहीं मिलता, पर लोगों के निजी अनुभव के आधार पर इस जगह को कोलकाता के कुख्यात प्रेतवाधित स्थानों में शामिल कर दिया गया है।
लाइब्रेरी का संक्षिप्त इतिहास
PC- Madho Agarwal
1757 में मीर जाफर नवाब सिराज-उद-दौला को धोखा देकर बंगाल का नवाब बना। हालांकि सत्ता अंग्रजों के हाथ में ही रही। 1760 में मीर जाफर ने कोलकाता के अलीपुर में 'बेलवेडोर भवन' का निर्माण करवाया। बाद में यह बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर का आधिकारिक निवास बना। जिसके बाद एस्प्लेनेड की एक गैर-सरकारी संस्था के रूप में यहां से पहली बार 1836 में कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी की शुरुआत की गई ।
यह भी जानना जरूरी
PC- Co9man
प्रिंस द्वारकानाथ टैगोर कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी के पहले अधिकारी बने। जिसके बाद कलकत्ता में कुछ अन्य सेक्रिटेरीअट पुस्तकालयों द्वारा कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी को इंपीरियल लाइब्रेरी में तब्दील कर दिया गया। लेकिन तब तक इसे आम आदमी के लिए खोला नहीं गया था। भारत की आजादी के बाद इंपीरियल लाइब्रेरी को बेलवेडोर भवन में स्थानांतरित कर राष्ट्रीय पुस्तकालय का नाम दिया गया, जिसे बाद में आम लोगों के लिए खोला गया।
भवन का गुप्त तहख़ाना
लाइब्रेरी की मरम्मत के लिए 2010 में, संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की मदद ली गई। तभी इस भवन के एक ऐसे राज का पता चला जिसने सबसे को चौका कर रख दिया। भवन की निचली मंजिल पर एक गुप्त तहखाने के होने की बात का पता चला। बिना किसी दरवाजे व खिड़की का यह तहखाना लगभग 1000 वर्ग फुट का था। जिसके बाद इस गुप्त कमरे की खबर दूर-दूर तक फैल गई।
यातना कक्ष या खजाने की जगह
कहा जाने लगा कि यूनाइटेड किंगडम के महलों में मौजूद यातना कक्षों की तरह यह गुप्त जगह भी इंसानों को यातना देने के लिए बनाई गई थी। जबकि कुछ लोगों का मानना था कि यह गुप्त कक्ष खजाना रखने के लिए बनाया गया था। हालांकि इस विषय में कोई भी जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
कैसे करें प्रवेश
PC- Superfast1111
कोलकाता राष्ट्रीय लाइब्रेरी अलीपुर और अलीपुर जेल की बीच बेलवेडोर रोड के पास स्थित है। कोलकाता आने के बाद आप यहां बस या टैक्सी से पहुंच सकते हैं। दमदम एयरपोर्ट यहां से 20 किमी की दूरी पर स्थित है, जबकि हावड़ा रेलवे स्टेशन यहां से 10 किमी की दूरी पर है।