ऐतिहासिक स्मारकों में से एक प्रसिद्धि और खूबसूरती का नमूना हुमायूँ का मक़बरा, दिल्ली के इतिहास और पर्यटन के प्रमुख केंद्रों में से एक है। पत्नी द्वारा पति की याद में बनवाया गया प्रेम का प्रतीक भी कहलाता है, यह दिल्ली का ऐतिहासिक स्मारक। आज हम आपको इसी प्रेम की निशानी के खूबसूरत दर्शन कराएँगे, इसकी कुछ मन मोह देने वाली तस्वीरों के साथ।
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दिल्ली में पुराने किले के पास ही स्थित हुमायूँ का मक़बरा कई सारे इतिहास और राज़ों को अपने में समेटे हुए है। स्मारक में सिर्फ हुमायूँ का ही मक़बरा नहीं, बल्कि कई दूसरे मुग़ल शासकों की भी कब्र यहीं पर स्थित है। हुमायूँ की कब्र के अलावा उनकी बेग़म हमीदा बानो और बाद के सम्राट शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह और कई उत्तराधिकारी मुगल सम्राट जहांदर शाह, फर्रुख्शियार, रफी उल-दर्जत, रफी उद-दौलत एवं आलमगीर द्वितीय आदि की कब्रें भी यहीं स्थित हैं।
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तो चलिए चलते हैं इस महान रचना के फोटो टूर पे इसकी कुछ खास और मनोरम तस्वीरों के साथ जिन्हें देख आपका अभी ही यहाँ जाने का मन कर जाएगा!
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हुमायूँ का मक़बरा
हुमायूँ की मृत्यु सन् 1556 में हुई और हाजी बेगम के नाम से जानी जाने वाली उनकी विधवा, हमीदा बानू बेगम ने मृत्यु के 9 वर्ष बाद, सन् 1565 में इस मकबरे का निर्माण शुरू करवाया, जो सन्1572 में पूरा हुआ।
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हुमायूँ का मक़बरा
पूर्ण मुगल शैली का यह प्रथम सुस्पष्ट उदाहरण है, जो इस्लामी वास्तुकला से प्रेरित था।
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हुमायूँ का मक़बरा
यह सुविदित है कि हुमायूँ ने अपने निर्वासन के दौरान फारसी स्थापत्य कला के सिद्धांतो का ज्ञान प्राप्त किया था और शायद स्वयं ही इस मकबरे की योजना बनाई थी। हालांकि इस आशय का कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है।
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हुमायूँ का मक़बरा
इस मकबरे का निर्माण 15 लाख रूपए (1.5 मिलियन) की लागत से हुआ था।
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हुमायूँ का मक़बरा
सन् 1993 में इस इमारत समूह को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
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हुमायूँ का मक़बरा
एक फारसी वास्तुकार, मिराक मिर्जा गियासबेग को इस मकबरे के लिए हाजी बेगम ने नियुक्त किया था।
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हुमायूँ का मक़बरा
यह मकबरा एक वर्गाकार उद्यान के केंद्र में अवस्थित है और चारबागों द्वारा चार मुख्य भागों में विभाजित है जिसके केंद्र में उथले जल-प्रणाल हैं।
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हुमायूँ का मक़बरा
रोड़ी से निर्मित ऊंचे अहाते में पश्चिम और दक्षिण में ऊंचे दो मंजिला प्रवेश मार्गों के माध्यम से प्रवेश किया जाता है।
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हुमायूँ का मक़बरा
एक बारादरी (मंडप) पूर्वी दीवार के केंद्र में है और उत्तरी दीवार के केंद्र में एक हमाम (स्नान घर) है।
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हुमायूँ का मक़बरा
ये मकबरा मुगलों द्वारा इससे पूर्व निर्मित हुमायुं के पिता बाबर के काबुल स्थित मकबरे बाग ए बाबर से एकदम भिन्न था।
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हुमायूँ का मक़बरा
बाबर के साथ ही सम्राटों को बाग में बने मकबरों में दफ़्न करने की परंपरा आरंभ हुई थी।
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हुमायूँ का मक़बरा
लाल बलुआ पत्थर से निर्मित मकबरे की खांचेदार कोनों वाली दो मंजिला संरचना, 7 मीटर ऊंचे वर्गाकार चबूतरे पर खड़ी है जो अनेक प्रकोष्ठों की श्रृंखला के ऊपर उठती जाती है जिन तक प्रत्येक ओर के तोरणपथों से पहुंचा जा सकता है।
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हुमायूँ का मक़बरा
मुख्य इमारत लगभग आठ वर्षों में बनकर तैयार हुई और भारतीय उपमहाद्वीप में चारबाग शैली का प्रथम उदाहरण बनी।
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हुमायूँ का मक़बरा
यहीं पर सर्वप्रथम लाल बलुआ पत्थर का इतने बड़े स्तर पर प्रयोग हुआ था।
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हुमायूँ का मक़बरा
कब्र इस प्रकोष्ठ परिसर के केंद्र में है, जिस तक दक्षिण की ओर के एक मार्ग से पहुंचा जाता है।
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हुमायूँ का मक़बरा
अष्टकोणीय केंद्रीय कक्ष में स्मारक है और तिरछे पार्श्व कोण-कक्षों की ओर जाते हैं जिसमें शाही परिवार के अन्य सदस्यों की कब्रें हैं।
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हुमायूँ का मक़बरा
बाहृय रूप से मकबरे का प्रत्येक पार्श्व, इसके ऊंचाई वाले हिस्से, संगमरमर के बार्डरों और पैनलों द्वारा अलंकृत हैं और उनमें तीन चाप वाले आलों की प्रधानता है, बीच का आला सबसे ऊंचा है।
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हुमायूँ का मक़बरा
छत के ऊपर, केंद्र में ऊंचे प्रबलित दोहरे गुम्बद के चारों ओर स्तंभयुक्त मंडप बनाए गए हैं।
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हुमायूँ का मक़बरा
केंद्रीय अष्टकोणीय कक्ष में स्मारक है जिसके आसपास विकर्णो पर अष्टकोणीय कक्ष हैं और पार्श्वों में चापित लाबी है। इनके द्वार छिद्रित आवरणों से बंद हैं।
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हुमायूँ का मक़बरा
प्रत्येक पार्श्व तीन चापों से घिरा है, केंद्रीय चाप सबसे ऊंची है। दूसरी मंजिल पर भी यही वास्तुयोजना दोहराई गई है।
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हुमायूँ का मक़बरा
संगमरमर के दोहरे गुम्बद (42.5 मीटर) से आच्छादित छत के चारों ओर स्तंभयुक्त छतरियां हैं।
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हुमायूँ का मक़बरा
मकबरा फारसी वास्तु कला तथा भारतीय परंपराओं का मिश्रण है- आले, कॉरीडोर और ऊंचे दोहरे गुम्बद फारसी वास्तु-कला के उदाहरण हैं और छतरियां भारतीय वास्तु-कला के नमूने हैं, जिससे दूर से यह पिरामिड की भाँति दिखाई देता है।
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हुमायूँ का मक़बरा
हालांकि सिकंदर लोदी (1489-1517 ई.) का मकबरा भारत में बनने वाला पहला उद्यान-मकबरा था, लेकिन हुमायूँ के मकबरे ने ही एक नई स्थापत्य परंपरा का सूत्रपात किया जिसकी सर्वोत्तम उपलब्धि आगरा का ताजमहल है।
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हुमायूँ का मक़बरा
इन दोनों इमारतों के पीछे उभयनिष्ठ मानव प्रेरणा है कि एक का निर्माण एक समर्पित पत्नी ने अपने पति के लिए करवाया और दूसरे का निर्माण पति ने अपनी पत्नी के लिए करवाया।
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चार बाग़ उद्यान
मुख्य इमारत के निर्माण में आठ वर्ष लगे, किन्तु इसकी पूर्ण शोभा इसको घेरे हुए 30 एकड़ में फैले चारबाग शैली के मुगल उद्यानों से निखरती है।
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चार बाग़ उद्यान
ये उद्यान भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण एशिया में भी अपनी प्रकार के पहले उदाहरण थे। ये उच्च श्रेणी की ज्यामिती के उदाहरण हैं।
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चार बाग़ उद्यान
मुगल वंश के अनेक शासक यहां दफन हैं।
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चार बाग़ उद्यान
अन्तिम मुगल शासक, बहादुरशाह ज़फर ने अपने तीन शहजादों के साथ प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857 ई.) के दौरान इस मकबरे में शरण ली थी।
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अन्य स्मारक
हुमायूँ के मक़बरे के परिसर में ही कई अन्य स्मारकों का भी निर्माण किया गया था, जो आज भी इस परिसर की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे हैं।
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नाई का गुम्बद
हुमायूँ के मकबरे की दक्षिण-पश्चिमी दिशा में नाई का गुम्बद स्थित है, जो एक ऊंचे चबूतरे पर बना है और जिस तक दक्षिण से सात सीढियों द्वारा पहुंचा जाता है।
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नाई का गुम्बद
यह भवन वास्तु-योजना में वर्गाकार है और इसमें दोहरे गुम्मद से आच्छादित एक कक्ष है।
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ईसा खां नियाज़ी का मकबरा
अन्य स्मारक है, ईसा खां नियाज़ी का मकबरा है, जो मुख्य मकबरे से भी 20 वर्ष पूर्व सन् 1547 में बना था।
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अरब सराय
इसके बाद ही स्थित अरब सराय, जिसे हमीदा बेगम ने मुख्य मकबरे के निर्माण में लगे कारीगरों के लिये बनवाया था।
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अफ़सरवाला मकबरा
अरब सराय से ही कुछ आगे जाने पर बना हुआ है अफ़सरवाला मकबरा, जो अकबर के एक नवाब के लिये बना था।
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अफ़सरवाला मकबरा
पूरे परिसर के बाहर बना है नीला बुर्ज नामक मकबरा। इसका ये नाम इसके गुम्बद के ऊपर लगी नीली ग्लेज़्ड टाइलों के कारण पड़ा है।
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खुलने का समय
स्मारक सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला रहता है।
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निर्माण का स्थल
यमुना नदी के किनारे मकबरे के लिए इस स्थान का चुनाव, इसकी हज़रत निज़ामुद्दीन (दरगाह) से निकटता के कारण किया गया था।
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मक़बरे से जुड़ी दिलचस्प बातें
हुमायूँ के मकबरे में हुमायूँ का शरीर दो अलग-अलग जगहों पर दफनाया गया है।
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मक़बरे से जुड़ी दिलचस्प बातें
मकबरे की डिजाईन पर्शियन और भारतीय परंपराओ के अनुसार बनायी गयी है।
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मक़बरे से जुड़ी दिलचस्प बातें
हुमायूँ के मकबरे में तक़रीबन 150 कब्र हैं, जो एक गार्डन से घिरी हुई हैं।
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मक़बरे से जुड़ी दिलचस्प बातें
ताज महल को ध्यान में रखकर ही हुमायूँ का मकबरा बनाया गया था।
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प्रवेश शुल्क
भारतीय नागरिक और सार्क देशों (बंगलादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव और अफगानिस्तान) और बिमस्टेक देशों (बंगला देश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, थाईलेंड और म्यांमार) के पर्यटक- 10/-रूपए प्रति व्यक्ति
अन्य- 05 अमरीकी डालर या 250/- रूपए प्रति व्यक्ति
15 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है।
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हुमायूँ का मक़बरा
हुमायूँ का मक़बरा भारत में मुगल स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
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