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यहां काल भैरव करते हैं मदिरापान..और मिनटों में हो जाती है भक्तो की परेशानी दूर

मध्य प्रदेश के उज्जैन से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर काल भैरव का मंदिर है जहां मंदिर में लगी प्रतिमा आँखों के सामने ही मदिरा का पान कर जाती है। भक्तो द्वारा चढ़ाई गयी मदिरा एक प्लेटनुमा प्याले में डाली

By Goldi

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भारत के 5 प्रधान बिरला मंदिर!भारत के 5 प्रधान बिरला मंदिर!

भारतीयों में आस्था और विश्वास की पकड़ इतनी मजबूत है कि वो इसके सहारे बड़ी से बड़ी बाधा को भी पार कर जाते हैं। भारत में मथुरा, काशी, हरिद्वार, अयोध्या और द्वारका जैसे कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। इसी बीच भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी मौजूद है जो विचित्र और अद्भुत हैं। इसी क्रम में आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के ऐसे मंदिर के बारे में जहां भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर काल भैरव को मदिरापान कराते हैं-

काल भैरव का मंदिर

काल भैरव का मंदिर

आपको सुनकर अजीब लग सकता है, लेकिन यह सच है कि,मध्यप्रदेश के उज्जैन से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर काल भैरव का मंदिर है जहां मंदिर में लगी प्रतिमा आँखों के सामने ही मदिरा का पान कर जाती है।

भक्तो द्वारा चढ़ाई गयी मदिरा

भक्तो द्वारा चढ़ाई गयी मदिरा

भक्तो द्वारा चढ़ाई गयी मदिरा एक प्लेटनुमा प्याले में डाली जाती है और जैसे ही पंडित इसे भैरवजी के होठो पर लगाते है और कुछ मंत्रोचार करते है,यह देखते ही देखते गायब हो जाती है। यहां जो कोई भक्त भी शराब लाता है उसे भैरव ग्रहण कर लेते है। । बता दें कि काल भैरव भगवान शिव का ही एक रूप है।

मंदिर के आसपास है शराब की दुकान

मंदिर के आसपास है शराब की दुकान

यूं तो हमारे देश में मंदिर के आसपास शराब की दुकान प्रतिबंधित है, लेकिन उज्जैन में कल भैरव के मंदिर के पास बहुत सारी सरकारी और गैर सरकारी दुकाने है। जहां भक्त खुले आम शराब खरीदकर बाबा को अर्पित करता है और मनोकामना मांगता है।

काल भैरव उज्जैन

काल भैरव उज्जैन

काल भैरव को मदिरा पिलाने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है. यह कब, कैसे और क्यों शुरू हुआ, यह कोई नहीं जानता. कहते है की बहुत सालो पहले एक अंग्रेज अधिकारी ने इस बात की गहन तहकीकात करवाई थी की आखिर शराब जाती कहां है। इसके लिए उसने प्रतिमा के आसपास काफी गहराई तक खुदाई भी करवाई थी। लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला।PC:Utcursch

राजा भद्रसेन ने कराया था निर्माण

राजा भद्रसेन ने कराया था निर्माण

मंदिर का निर्माणराजा भद्रसेन ने कराया था। पहले यह मंदिर सिर्फ तांत्रिको के लिए खुला था पर समय के साथ आम जनता के लिए भी मंदिर दर्शन के लिए खोल दिया गया।

चमत्कार को नमस्कार है

चमत्कार को नमस्कार है

यह बात इस मंदिर में लागू होती है। नास्तिक लोग भी यह करिश्मा देखकर आस्तिक बन जाते है। भक्त इन मंदिर की बोतलों को बाहर लगी दुकानों से खरीदते है और फिर मंदिर में पुजारी को देते है पुजारी इस मदिरा को एक तस्तरी में डाल कर भैरव के मुँह पर लगाते है और मदिरा भैरव पी जाते है जो बच जाती है वो प्रसाद स्वरूप भक्त ग्रहण करते है।PC:Utcursch

जाती कहां मदिरा

जाती कहां मदिरा

काल भैरव के इसी मंदिर में सभागृह के उत्तर की ओर एक पाताल भैरवी नाम की एक छोटी सी गुफा भी है। ऐसी कहानी प्रचलित है की अंग्रेजो के ज़माने में एक अधिकारी ने चढ़ाई जानेवाली शराब का पता लगाने के लिए, उसने मूर्ति के अगल बगल गहरी खुदाई करवाई, लेकिन उसे अंत तक समझ नही आया की शराब कहाँ गई । इस घटना के बाद कहते है अंग्रेज अधिकारी काल भैरव का भक्त बन गया ।PC:Utcursch

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