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सर्दी खत्म होने से पहले जरूर लें, इस जंगल सफारी का रोमांचक अनुभव

Enjoy the best Jungle safari before the end of winter season. Kanha National Park, Madhya Pradesh. सर्दियों का मौसम खत्म होने से पहले जरूर मजा लें कान्हा नेशनल पार्क की जंगल सफारी का। मध्यप्रदेश स्थित

भारत का ह्रदय मध्यप्रदेश, प्राकृतिक वैभव व सांस्कृतिक विरासत का गढ़ कहा जाता है। अपनी समृद्ध कला के लिए विश्व विख्यात यह राज्य, पर्यटन की दृष्टि से किसी खजाने से कम नहीं। यहां की चारों दिशाएं, कुदरत की अनमोल खूबसूरती का एक अनूठा उदाहरण है। भारत का यह राज्य अपने ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यहां अतीत से जुड़े कई ऐसे साक्ष्य आज भी मौजूद हैं, जिनमें पूरा मध्यप्रदेश समाया हुआ है।
यहां आदिकालीन रहस्यमय गुफाओं से लेकर 'काम' का शुद्ध रूप प्रदर्शित करता खजुराहो का मंदिर भी मौजूद है। जहां आपको भारतीय कला का उच्च स्तर देखने को मिलेगा। प्राकृतिक सौंदर्यता के लिहाज से भी यहां कई ऐतिहासिक स्थल मौजदू हैं। 'नेटिव प्लानेट' के इस खास खंड में जानिए, मध्य प्रदेश स्थित एक ऐसे राष्ट्रीय उद्यान के बारे में, जो आपको एडवेंचर के साथ-साथ प्रकृति के समीप जाने का पूर्ण रूप से मौका देता है।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान व बाघ अभयारण्य

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान व बाघ अभयारण्य

PC- Indranilghosh1303

भारत अकेला पूरे विश्व के 70 प्रतिशत बाघों को संरक्षण प्रदान करता है। यहां लगभग 50 टाइगर रिजर्व मौजूद हैं, जिनकी वजह से बाघों की गिरती हुई संख्या पर अंकुश लग पाया है। जिनमें मध्य प्रदेश स्थित कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की भी अहम भूमिका है। लगभग 940 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान, अलग-अलग जीवों की प्रजातियों को संरक्षण प्रदान करता है। बता दें कि किपलिंग की प्रसिद्ध पुस्तक व धारावाहिक 'जंगल बुक, का प्रेरणास्रोत यही उद्यान है। कान्हा मुख्य रूप से बाघों के लिए जाना जाता है। जिस वजह से यहां देश-विदेश से आए प्रर्यटकों का तांता लगा रहता है।

पर्यटन की दृष्टि से

पर्यटन की दृष्टि से

PC- A. J. T. Johnsingh, WWF-India and NCF

बाघों के लिए प्रसिद्ध कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारत के चुनिंदा पर्यटन स्थलों में शुमार है। सैलानियों के लिए इस पार्क को साल के अक्टूबर माह में खोल दिया जाता है और मानसून (जुन) के आगमन के साथ इसे बंद कर दिया जाता है। यहां सैलानी बाघों व अन्य दुर्लभ जीव-जन्तुओं को देखने के लिए आते हैं। साथ ही यहां प्राकृतिक खूबसूरती का भरपूर आनंद भी उठाते हैं।
आपको यहां बाघों के साथ बारहसिंगा की लगभग विलुप्त हो चुकी प्रजातियां भी देखने को मिल सकती हैं। सतपुड़ा की पहाड़ियों से घिरा यह पूरा वन क्षेत्र कभी अंग्रेजों का शिकार क्षेत्र हुआ करता था। इसी के अंतर्गत हेलन व बंजर घाटिया भी आती हैं, जो इस पूरे राष्ट्रीय उद्यान को दो भागों में विभक्त करती हैं। अगर आप वन्य जीवों को करीब से देखना चाहते हैं, तो यहां की एडवेंचर सफारी का आनंद जरूर उठाएं।

जीप व हाथी सफारी

जीप व हाथी सफारी

PC- Ashishmahaur

अगर आप वन जीवों को देखने के साथ-साथ यहां की प्राकृतिक खूबसूरती का लुत्फ उठाना चाहते हैं, तो यहां की जीप व हाथी सफारी की सैर का आनंद लें। जीप सफारी का समय सुबह और दोपहर का है। आप इनमें से किसी भी समय का चुनाव कर सकते हैं। खतरे के लिहाज से शाम को अभयारण्य बंद कर दिया जाता है। अगर आप चाहें तो सीधा MPONLINE की वेबसाइट से जीप सफारी बुक करा सकते हैं। ध्यान रहे, सफारी के लिए निजी वाहन पूर्ण रूप से वर्जित हैं। आपको सफारी के लिए यहां की पंजीकृत जिप्सी का सहारा लेना पड़ेगा।
बता दें कि इस सफारी को चार भागों में बांटा गया है, जिसमें कान्हा, सरही, मुक्की व किसली शामिल हैं। अगर आप कान्हा जोन में सफारी करते हैं, तो यहां का संग्रहालय देखना न भूलें। यहां आपको जीवों व वनस्पति के बारे में ढेरों जानकारी मिल जाएंगी। बाघ को करीब से देखने के लिए यहां हाथी सफारी की भी सुविधा है। इसके लिए भी बुकिंग करानी पड़ती है। हाथी सफारी का आनंद आप सुबह के वक्त ही ले सकते हैं।

पक्षी विहार

पक्षी विहार

PC- Ashishmahaur

इस राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 300 पक्षियों की प्रजाति पाई जाती हैं। आप यहां सर्दियों के मौसम में स्थानीय पक्षियों के साथ-साथ प्रवासी पक्षियों को भी देख सकते हैं। सारस, बत्तख, पिन्टेंल, मोर, तीतर, बटेर, कबूतर, पहाड़ी कबूतर, उल्लू, कठफोड़वा, धब्बेदार पेराकीट्स व तालाबी बगुला यहां पाई जाने वाली मुख्य प्रजाति हैं। अगर आप फोटोग्राफी का शौक रखते हैं, तो रंग-बिरंगे पक्षियों को कैमरे में उतारने का इससे अच्छा मौरा आपको कहीं और नहीं मिलेगा।

घूमने लायक स्थान

घूमने लायक स्थान

PC- Milindganeshjoshi

पार्क से संबंधित व यहां के जीवों के विषय में अधिक जानकारी के लिए आप यहां स्थित कान्हा संग्रहालय जा सकते हैं। इस संग्रहालय में राष्ट्रीय उद्यान कान्हा का इतिहास संचित है। आप यहां पाई जाने वाली सभी जीवों की प्रजाती व उनसे जुडे़ तथ्यों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पार्क की खूबसूरती का आनंद लेने के लिए आप यहां के 'बामनी दादर' स्थान जा सकते हैं। जहां से आप उद्यान की मनमोहक खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं। यहां से हिरण, चौसिंगा व गौर को आसानी से देखा जा सकता है। आप यहां स्थित साल वृक्ष के दो विशाल ठूठों को देख सकते हैं, जिन्हें राजा-रानी कहा जाता है। यहां हर रोज इन ठूठों की पूजा की जाती है।

पौराणिक इतिहास

पौराणिक इतिहास

PC- Milindganeshjoshi

यह राष्ट्रीय उद्यान अपने पौराणिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। जिसका संबंध रामायण काल से बताया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यही वो स्थान था, जहां राजा दशरथ ने श्रवण कुमार को हिरण समझ, मार दिया था । यहां आपको वो ताल भी मिलेगा जहां, श्रवण कुमार, अपने अंधे माता-पिता के लिए जल भरने आए थे। जिसे अब श्रवण ताल कहा जाता है। भारत के सबसे प्राचीन उद्यानों में से एक कान्हा को 1879 में आरक्षित वन व 1993 में एक अभयारण्य का दर्जा दिया गया । यहां पाई जाने वाली काली मिट्टी, जिसे स्थानीय भाषा में कनहार कहा जाता है, के नाम पर इस उद्यान का नाम कान्हा पड़ा।

आने का सही समय

आने का सही समय

PC- Davidvraju

आप कान्हा राष्ट्रीय उद्यान 1 अक्टूबर से 30 जून के मध्य किसी भी समय आ सकते हैं। क्योंकि बारिश के दिनों में यह पार्क सुरक्षा के लिहाज से बंद कर दिया जाता है। अच्छा होगा आप यहां का प्लान सर्दियों के दिनों में बनाएं, इस वक्त यहां का एक-एक नजारा देखने लायक होता है।

कैसे पहुंचे

कैसे पहुंचे

PC- Ayushi Shrivastava Jha

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान पहुंचने के लिए आपको ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं। आप यहां हवाई/सड़क/रेल, तीनों मार्गों से आ सकते हैं। यहां का निकटतम हवाई अड्डा नागपुर में स्थित है। रेल मार्ग के लिए आप जबलपुर रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। सड़क मार्ग के लिए आप एनएच - 2,3,12 का सहारा ले सकते हैं। यह पार्क सड़क मार्ग से खजुराहो, नागपुर, मुक्की व रायपुर से जुड़ा हुआ है।

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