गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा कानपुर उत्तर प्रदेश का एक औद्योगिक नगर है, जो प्रदेश की औद्योगिक राजधानी भी कही जाती है। इसके अलावा इसे पूरब का मैनचेस्टर भी कहा जाता है। कहा जाता है कि महाभारत काल के वीर कर्ण से भी कानपुर का नाता है लेकिन आज तक इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। अब ऐसे में कर्ण को लेकर इस शहर की कोई पौराणिक कहानी हो न हो, लेकिन इतिहास इसका गहरा है, जो करीब 1000 साल पुराना बताया जाता है। यहां कई साम्राज्यों और राजवंशों ने राज किया है।
कानपुर को लेकर पौराणिक मान्यता
कानपुर का इतिहास जितना गहरा बताया जाता है उतना ही यह शहर पौराणिक भी है। हिंदू शास्त्रों के मुताबिक, इस शहर के बिठूर नामक स्थान पर ब्रह्मा जी ने तपस्या (श्रृष्टि रचना से पूर्व) की थी, जो बाद में ब्रह्मावर्त घाट नाम से प्रसिद्ध हुआ। ये भी कहा जाता है कि यहीं पर ध्रुव ने भगवान विष्णु की तपस्या की थी। बिठूर महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि के रूप में भी चिन्हित की जाती है। बिठूर को लेकर अन्य पौराणिक कथाएं भी प्रचलित है - 1) भगवान राम ने इसी स्थान पर माता सीता का त्याग किया था.. 2) यहीं पर वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी... 3) लवकुश की जन्मस्थली के रूप में भी प्रसिद्ध....
कानपुर का इतिहास
कानपुर के इतिहास की बात की जाए तो ये करीब 13वीं शाताब्दी के प्रारम्भ से शुरू होती है। कहा जाता है कि 1207 ईस्वी में कान्हपुरिया कबीले के राजा कान्ह देव ने कान्हपुर गांव की स्थापना की थी, जिसे बाद में आम बोलचाल की भाषा में कानपुर कहा जाने लगा, जिसे बाद में अधिकारिक रूप से भी दर्जा प्राप्त हो गया। वैसे कहा ये भी जाता है कि इस शहर की स्थापना 1750 ईस्वी में सचेंडी राज्य के राजा हिन्दू सिंह ने की थी। बाद में इस शहर की शासन व्यवस्था कन्नौज, कालपी के शासकों के बाद मुस्लिम शासकों के हाथ में भी रहा।
कानपुर में ब्रिटिश हुकूमत की शुरुआत
राजा हिन्दू सिंह के बाद कानपुर पर अवध के नवाब का कब्जा हुआ लेकिन तब ये गद्दी अंग्रेजी हुकूमत के संधि से चलानी शुरू हुई, इस दौरान नवाब आलमास अली ने शासन व्यवस्था चलाई। गंगा किनारे बसे होने के कारण इस शहर में यातायात व व्यापार के भी शाधन थे, ऐसे में सर्वप्रथम ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहां नील (कपड़े साफ करने की टिकिया या पाउडर या घोल) का कारोबार शुरू किया। कुछ सालों बाद जब ग्रैंड ट्रंक रोड का पुर्ननिर्माण कराया गया तो ये इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) से भी जुड़ गया।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857 ईस्वी) के दौरान कानपुर
अंग्रजों के शासन शुरू होते ही यहां सैनिकों के लिए एक बैरक भी बनाई गई, जिसमें करीब 7000 सैनिक थे। इस दौरान नाना साहिब पेशवा व उनके साथियों द्वारा एक किलेबंदी में 22 दिनों तक करीब 900 अंग्रेजों (पुरुष, महिलाएं व बच्चे शामिल) को बंदी बनाया गया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत से समझौता हुआ, जिसमें अंग्रेज नदी के रास्ते जहाजों के माध्यम से ही इलाहाबाद जाएंगे। इस बीच दोनों पक्ष के बीच कई नरसंहार की कहानी भी सामने आई।
आजादी के दौरान कानपुर
ब्रिटिश काल में हुए देश के विकास के लिए कानपुर को एक केंद्र के रूप में भी देखा जाता है। इसके अलावा स्वतंत्रता सेनानियों (नानाराव पेशवा, तांतिया टोपे, सरदार भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद) के अविस्मरणीय योगदान के लिए भी जाना जाता है। वहीं, देश का झंडा गीत 'विजयी विश्व तिरंगा प्यारा' के संगीतकार श्यामलाल गुप्ता 'प्रसाद' का जन्मस्थान भी कानपुर ही है।
कानपुर में घूमने वाली जगहें
कानपुर अपने ऐतिहासिकता और धार्मिकता दोनों के लिए जाना जाता है। ऐसे में कानपुर के पर्यटन स्थलों के बारे में बात की जाए तो यहां घूमने वाले स्थलों में- श्री राधा कृष्ण मंदिर (जुग्गीलाल कम्पलापत मंदिर या जेके मंदिर), कांच का मंदिर, इस्कॉन मंदिर, मोती झील, बिठूर (पौराणिक स्थान) व कानपुर संग्रहालय शामिल है। जहां आप जाकर इस शहर के इतिहास के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं। वैसे हमने इस लेख के माध्यम से कानपुर के इतिहास के बारे में आपको काफी कुछ बता दिया है।
कानपुर से सम्बन्धित हमने सारी जानकारी आपके सामने रखी है, अगर कोई जानकारी हमसे छुट गई हो या हम न लिख पाए हो तो आप हमें अपने शहर के बारे में बता सकते हैं। हमसे जुड़ने के लिए आप हमारे Facebook और Instagram पेज से भी जुड़ सकते हैं...