भारत की अनसुनी जगह..जो दर्शाती है इतिहास को
नारायण धाम उज्जैन में महिदपुर तहसील से करीब 9 किमी. दूर है। वैसे तो यह श्री कृष्ण का मंदिर है पर दुनिया का यह ही एकमात्र मंदिर है जिसमें श्री कृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ में यहां विराजते हैं।
नारायण धाम मंदिर में आप कृष्ण-सुदामा की अटूट मित्रता को पेड़ों के प्रमाण के तौर में भी देख सकते हैं। कहा जाता है कि,नारायण धाम ये पेड़ उन्हीं लकड़ियों से फले-फूले हैं जो श्रीकृष्ण व सुदामा ने एकत्रित की थी।
मंदिर का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण शिक्षा ग्रहण करने उज्जैन स्थित गुरु सांदीपनि के आश्रम में आए थे, ये बात तो सभी जानते हैं। यहां उनकी मित्रता सुदामा नाम के गरीब ब्राह्मण से हुई थी। श्रीमद्भागवत के अनुसार एक दिन गुरु माता ने श्रीकृष्ण व सुदामा को लकडियां लाने के लिए भेजा। आश्रम लौटते समय तेज बारिश शुरू हो गई और श्रीकृष्ण-सुदामा ने एक स्थान पर रुक कर विश्राम किया।
मान्यता है कि नारायण धाम वही स्थान है जहां श्रीकृष्ण व सुदामा बारिश से बचने के लिए रुके थे। इस मंदिर में दोनों ओर स्थित हरे-भरे पेड़ों के बारे में लोग कहते हैं कि ये पेड़ उन्हीं लकड़ियों के गट्ठर से फले-फूले हैं जो श्रीकृष्ण व सुदामा ने एकत्रित की थी।
कैसे पहुंचे नारायण धाम?
उज्जैन से मक्सी-भोपाल मार्ग (दिल्ली-नागपुर लाइन), उज्जैन-नागदा-रतलाम मार्ग (मुंबई-दिल्ली लाइन) द्वारा आप आसानी से उज्जैन पहुँच सकते हैं।
कैसे पहुंचे?
उज्जैन-आगरा-कोटा-जयपुर मार्ग, उज्जैन-बदनावर-रतलाम-चित्तौड़ मार्ग, उज्जैन-मक्सी-शाजापुर-ग्वालियर-दिल्ली मार्ग, उज्जैन-देवास-भोपाल मार्ग आदि देश के किसी भी हिस्से से आप बस या टैक्सी द्वारा यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। उज्जैन से नारायण धाम जाने के लिए टैक्सी व अन्य साधन आसानी से मिल जाते हैं।