दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित कुदालसंगम, लिंगायत संप्रदाय के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है। यह धार्मिक स्थल राज्य के बगलकोट जिले के अलमाट्टी डैम से 15 कि.मी की दूरी पर है। यहां दो नदियों कृष्णा और मालप्रभा का संगल स्थल भी है, जो इस धार्मिक स्थल को भौगोलिक रूप से खास बनाती हैं। यहां लिंगायत संप्रदाय के संस्थापक बासवन्ना का समाधि स्थल भी मौजूद है।
बासवन्ना एक हिन्दू दार्शनिक, राजनेता, कन्नड़ कवि और सामाज सुधारक थे, लिंगायत संप्रदाय के लोग इन्हें भगवान की तरह पूजते हैं। कुदालसंगम की यात्रा आपके लिए काफी फलदायक हो सकती है, यहां आकर आप हिन्दू धर्म के विस्तार को समझ पाएंगे। यह मंदिर कुदाल संगम विकास बोर्ड की देखरेख में है। इस लेख के माध्यम से जानिए धार्मिक पर्यटन के लिहाज से यह मंदिर आपके लिए कितना खास है।
यहां के मुख्य आकर्षण
धार्मिक पर्यटन के लिहाज से यह तीर्थस्थल काफी ज्यादा मायने रखता है। आप मंदिर परिसर और परिसर के आसपास कई खूबसूरत संरचनाओं और स्थलों को देख सकते हैं। यहां बनाया गया संगमनाथ मंदिर पर्यटकों द्वारा ज्यादा देखा जाता है, जो चालुक्य शैली में बनाया गया है। आप यहां बसवेश्वर के एक्य लिंग को देख सकते हैं।
आप यहां बासवा धर्म पीठ का महामना कैंपस, सभा भवन, कोलोस्सल(6000 लोगों की क्षमता वाला एक बड़ा सभागार), परिसर के भव्य प्रवेशद्वार, बासवा गोपुरम और संग्रहालय देख सकते हैं।
संक्षिप्त इतिहास
PC- Manjunath Doddamani Gajendragad
मंदिर से प्राप्त शिलालेखों के आधार पर यह धार्मिक स्थल भगवान अक्षेश्वर से काफी करीब से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि 12 वीं शताब्दी में जाथवेदा मुनी सरंगमथ ने यहां एक शिक्षण केंद्र की स्थापना की थी, और बसवेश्वर, चन्नाबासव और अक्कनगम्मा उनके छात्र थे। बसेश्वर ने यहां अपना यहां बचपन बिताया था और जब वे कल्याण से लौकटर यहां आए तो उन्होंने यहां के मुख्य देवता संगमनाथ की भक्ति में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनके द्वारा रचित वाचन भगवान संगमनाथ को ही समर्पित हैं।
मंदिर की वास्तुकला
PC-Mankalmadhu
मंदिर की वास्तुकला देखने लायक है, जिसकी भव्यता को दूर से ही महसूस किया जा सकता है। आकर्षक आकृतियों और डिजाइन का प्रयोग कर मंदिर के शिखर को बनाया गया है। मंदिर में एक बड़ा बरामदा, नवरंग और गर्भगृह (मुख्य देवता का स्थान) सम्मिलित है। नवरंग में बसवेश्वर, नीलाम्मा, नंदी, गणपति की मूर्तियां मौजूद हैं। मंदिर के सामने एक पत्थर का मंडप बना है, जहां शिवलिंग मौजूद है। आप यहां नीलाम्मा का मंदिर भी देख सकते हैं, जो बसवेश्वर की पत्नी थीं।
क्यों आएं कुदालसंगम
PC-Manjunath Doddamani Gajendragad
कुदालसंगम कर्नाटक का एक अद्भुत स्थल है, जहां का आध्यात्मिक वातावरण अपार शांति प्रदान करता है। आप यहां मानसिक और आत्मिक शांति के लिए आ सकते हैं। चुंकि यह कावेरी और मालप्रभा नदी के समंम पर स्थित है, इसलिए यह भौगोलिक रूप से भी काफी खास माना जाता है, जहां का मौसम साल भर अनुकूल बना रहता है। आप साल के किसी भी महीने इस मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। आप मंदिर दर्शन के अलावा आसपास से स्थलों की सैर का भी आनंद ले सकते हैं। बगलकोट के इतिहास को समझने के लिए मंदिर निकटवर्ती स्थल काफी ज्यादा मायने रखते हैं। पारिवारिक यात्रा के लिए यह एक आदर्श स्थल है।
कैसे करें प्रवेश
बगलकोट, कर्नाटक का एक प्रसिद्ध जिला है, जहां आप तीनों मार्गों से आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां का निकटवर्ती हवाईअड्डा हुबली एयरपोर्ट है, रेल सेवा के लिए आप बगलकोट जंक्शन का सहारा ले सकते हैं। अगर आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। बेहतर सड़क मार्गों से बगलकोट राज्य के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।