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अद्भुत : इस मीनार पर एकसाथ नहीं जा सकते भाई-बहन ?

उत्तर प्रदेश स्थित एक ऐसी जगह जहां भाई-बहन का जाना वर्जित है। A place in Uttar Pradesh, where the presence of siblings is forbidden.

रहस्य और आश्चर्यों से भरे भारत में आज भी अजीबोगरीब मान्यताओं का अनुसरण किया जाता है। और आश्चर्य की बात यह है कि पढ़ा-लिखा समाज भी पूर्ण रूप से इसमें अपनी भागीदारी देता है। कुछ मान्यताएं ऐसी हैं जो किसी को भी एक पल के लिए स्तब्ध कर दे। आज हम आपको भारत के एक ऐसे नगर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां लोग एक अजीबोगरीब धार्मिक मान्यता का पालन करते आ रहे हैं।

जो यहां स्थित एक ऊंची मीनार से जुड़ी है। कहा जाता है कि इस मीनार के ऊपर सगे भाई-बहन एकसाथ नहीं जा सकते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार अगर भाई-बहन ऊपर चले गए तो बड़ा अनर्थ हो जाएगा। जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी..

रावण को समर्पित मीनार

रावण को समर्पित मीनार

यह अजीबोगरीब कहानी है उत्तर प्रदेश के जालौन जिले की। यहां रावण को समर्पित एक लंका मीनार मौजूद है। जिसके अंदर रावण को पूरे परिवार को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है। इस मीनार की खास बात यह है कि इसके ऊपर सगे भाई-बहन एक साथ नहीं जा सकते है। मुख्य तौर पर अब यह एक पर्यटन स्थल बन चुका है, लेकिन यह पूरी तरह से धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है। आगे जानिए इसके बनने की पूरी कहानी ।

रावण की याद में लंका का निर्माण

रावण की याद में लंका का निर्माण

आपने अब तक रावण की एक ही लंका के बारे में सुना होगा, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि रावण की दूसरी लंका का निर्माण भी हो चुका है। दरअसल जालौन में लंका नाम की एक संरचना को बनाया गया है, जिसके बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। जिसे 1875 में स्वर्गीय मथुरा प्रसाद ने बनवाया था। मथुरा प्रसाद जी ने रावण की याद में इस लंका का निर्माण करवाया था। यह लंका एक खूबसूरत मीनार संरचना है।

इन तरह बनी लंका

इन तरह बनी लंका

इस लंका को बनाने वाले मथुरा प्रसाद, रामलीला में रावण का किरदार निभाते थे। लेकिन समय के साथ-साथ रावण का पात्र उनके मन-मस्तिष्क में इस कदर छाया, कि उन्होंने रावण की याद में एक लंका मीनार का ही निर्माण करवा डाला। यह मीनार लगभग 210 मीटर ऊंची है। जिसे लंका का नाम दिया गया।

अद्भुत है लंका मीनार

अद्भुत है लंका मीनार

इस अद्भुत संरचना को बनाने में 20 साल का वक्त लगा। जिसे बनाने के लिए उड़द, सीप, दाल, कौड़ियों का इस्तेमाल किया गया है। 1875 में बनी इस लंका मीनार की लागत 1 लाख 75 हजार आंकी गई थी। स्वर्गीय मथुरा प्रसाद जालौन में रामलीला का आयोजन कराते थे, और रावण का किरदार स्वयं निभाते थे। रामलीला के इस भव्य आयोजन में हिन्दू-मुस्लिम दोनों मिलकर हिस्सा लेते हैं।

कुंभकर्ण-मेघनाथ की प्रतिमाएं

कुंभकर्ण-मेघनाथ की प्रतिमाएं

लंका मीनार स्थान पर रावण के भाई कुंभकर्ण और मेघनाथ की विशाल प्रतिमाएं स्थापित हैं। कुभकर्ण की प्रतिमा 100 फीट की है जबकि मेघनाथ की 65 फीट की प्रतिमा यहां मौजूद है। इसके अलावा यहां भगवान शिव और चित्रगुप्त की मूर्ति भी बनाई गई है।

परिसर में 180 फीट लंबे नाग देवता की मूर्ति भी स्थित है। जो 95 फीट नागिन गेट पर बनाई गई है। बता दें कि यहां नाग पंचमी के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। साथ ही दंगल का भी आयोजन किया जाता है।

सगे भाई-बहन का जाना वर्जित

सगे भाई-बहन का जाना वर्जित

लंका मीनार को लेकर एक अजबोगरीब मान्यता जुड़ी है। मीनार के ऊपर जाने के लिए सात परिक्रमाओं से होकर गुजरना पड़ता है। जो भाई बहन के द्वारा नहीं किया जा सकता है। इन सात परिक्रमाओं को पति-पत्नि के सात फेरों की तरह माना जाता है। इसलिए इस मीनार के ऊपर सगे भाई-बहन का जाना वर्जित है। भले ही यह अंधविश्वास से ज्यादा कुछ नहीं लेकिन यहां के लोग इस मान्यता का पालन लंबे समय से करते आ रहे हैं।

कैसे करें प्रवेश

कैसे करें प्रवेश

जालौन उत्तर प्रदेश का एक जिला है, जो रेल-सड़क मार्गों के द्वारा राज्य के छोटे-बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन 'उरई' है। आप चाहें तो सड़क मार्ग से भी यहां तक का सफर तय कर सकते हैं। हवाई मार्ग के लिए आप लखनऊ हवाई अड्डे का सहारा ले सकते हैं।

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