पूरी दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो बदलाव के साथ-साथ अन्य सभी देशों को अपने साथ लेकर चलता है। भारत ने अपने खजाने से दुनिया भर को बहुत कुछ दिया है। बता दें कि भारत में आयुर्वेद, शून्य अंक और न जाने कितनी
महान खोजें की गई हैं। यहां तक की दुनिया में लोकतंत्र की शुरुआत भी भारत ने ही की थी।
जब भी राजा-रानी, दंतकथाओं का जिक्र होता है तब-तब भारत का नाम हमेशा शीर्ष पर आता है। लेकिन कई लोग आज भी इस बात से अनजान हैं कि लोकतंत्र की शुरुआत भारत के हिमाचल प्रदेश के मलाणा नामक गांव से हुई थी।
क्या आपने कभी इस गांव के बारे में सुना है ? अगर नहीं तो आज इस लेख के जरिए भारत को लोकतंत्र का रास्ता दिखाने वाले इस गांव के बारे में जान सकते हैं। आइए जानते हैं मलाणा गांव के बारे में।
मालाणा में लोकतंत्र
मलाणा गांव में रहने वाले ग्रामीणों का मानना है कि सदियों पहले जमलू ऋषि नामक संत इस जगह पर निवास करते थे, और उन्होंने कुछ नियम भी बनाए थे। स्थानीय लोगों की मानें तो दुनिया का सबसे प्राचीन लोकतंत्र यहीं बनाया गया था, जिसे बाद में विकसित या कुछ बदलाव कर संगठित संसदीय प्रणाली में तब्दील कर दिया गया लेकिन इसकी शुरुआत सबसे पहले जमलू ऋषि ने गांव में शांति स्थापना के लिए की थी। इसके अलावा गांववासियों का मानना है कि उनमें शुद्ध आर्यन के जीन हैं और वे द ग्रेट सिकंदर के सैनिकों के उत्तराधिकारी हैं।Pc:Shreepath15
कौन थे जमलू ऋषि
इतिहास में जमलू ऋषि एक अद्भुत व्यक्तित्व थे और उनके बारे में कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। हिंदू कथाओं, पुराणों के अनुसार जमलू ऋषि एक प्रसिद्ध संत थे। हालांकि, मान्यता है कि जमलू ऋषि आर्यन सदी से पहले भी पूजा जाता है। एक अंग्रेजी यात्री लेखक पेनेलोप चेतवोडे ने एक ब्राह्मण पंडित द्वारा मालाना गांव की यात्रा की कथा का वर्णन किया था। ये ब्राह्मण पंडित मालाना गांव आकर लोगों को भगवान की उत्पत्ति के बारे में शिक्षित किया था।Pc:Jaypee
कहां है मलाणा गांव
दुनियाभर से मालाणा गांव कटा हुआ है और प्रकृति की गोद में हिमाचल प्रदेश में चंदेर खनिआन देवों की पर्वत चोटियों में स्थित है। ये कुल्लू घाटी का पूर्वोत्तर हिस्सा है। समुद्रतट से 2652 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मालाणा में मालाणा नदी के किनारे हरे-भरे पठार हैं।
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आज कैसा है मलाणा
मालाना गांव में अपनी ही अनोखी जीवनशैली का पालन किया जाता है। यहां की सामाजिक संरचना सख्त परंपराओं और रीतियां पर आधारित है। मालाना गांव के लोग कनाशी भाषा का प्रयोग करते हैं जोकि संस्कृ त और कई तिब्बती भाषाओं का मिश्रण है। मलाणा गांव में जूट से टोकरी, रस्सीऔर चप्पलें बनाने का काम किया जाता है। मालाना में मारिजुआना की खेती भी होती है। मलाणा की आय का प्रमुख स्रोत पर्यटन है लेकिन रात होने पर मलाणा में पर्यटकों को रूकने की अनुमति नहीं है। यहां पर पर्यटकों के रात रूकने और ठहरने पर बैन लगने के बाद यहां स्थित सभी होटल और गेस्ट हाउस बंद हो चुके हैं। हालांकि, दिन के समय में आप मालाना गांव घूम सकते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य देखने के अलावा आप मालाणा में प्राचीन मंदिर जैसे जमलू मंदिर और रुक्मिणी मंदिरभी देख सकते हैं। हालांकि, पर्यटकों को मंदिरों में किसी भी वस्तु को हाथ लगाने या स्पर्श करने की अनुमति नहीं है। मालाणा गांव के वासियों की जीवनशैली को देखकर पर्यटक अचंभित रह जाते हैं, कि किस तरह वो घाटी और ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच अपना जीवनयापन करते हैं। इसके अलावा ये गांव मलाणा क्रीम के लिए भी पॉपुलर है। ये उत्पाद पार्वती घाटी में उगने वाले पेड़ से बनाया जाता है। अगर आप प्राकृतिक सौंदर्य और ग्रामीण जीवन का आनंद लेना चाहते हैं तो आपके लिए मलाणा बेहतरीन पर्यटन स्थल है।
कैसे पहुंचे मलाणा
कुल्लू मनाली एयरपोर्ट से 35 किमी दूर है कसोल। एयरपोर्ट से बस लेकर आप 1 घंटे के अंदर कसोल पहुंच सकते हैं। कसोल पहुंचने के बाद आप सीधे मलाणा के लिए कैब बुक कर सकते हैं या पहले जरी जाकर वहां से मलाणा जा सकते हैं। एयरपोर्ट से मालाना तक की इस पूरी यात्रा में आपको 2 घंटे का समय लगेगा।
मलाणा आने का सही समय
सालभर मलाणा का मौसम सुहावना रहता है लेकिन यहां आने का सबसे सही समय अक्टूबर से जून के अंत तक रहता है। अगर आप इस गांव में आराम से घूमना चाहते हैं तो इस दौरान आएं।