भगवान शिव के अंश कहे जाने वाले सांप के विश्व में कई मंदिर है। हिंदू परंपरा में सांप को भगवान के रूप में पूजा जाता है। उज्जैन में भगवान शिव का एक मंदिर है, जो नागचंद्रेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को साल में सिर्फ एक ही दिन दर्शन करने को मिलता है, वो शुभ दिन नाग पंचमी को आता है। इस दौरान महादेव के हजारों भक्त मंदिर में दर्शन करने आते हैं। यह मंदिर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे मंजिल पर स्थित है।
नाग पंचमी के दिन ही खुलता है मंदिर
पंडित धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ही नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। दरअसल, उज्जैन के महाकल मंदिर में तीन मंजिल है। इसके पहले मंजिल पर महाकाल मंदिर, दूसरे मंजिल पर ओंकारेश्वर मंदिर और तीसरे मंजिल पर नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। यह मंदिर सिर्फ नाग पंचमी के दिन 24 घंटे के लिए ही खोला जाता है।
मंदिर को लेकर मान्यता
ऐसी मान्यता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं। कहा जाता है कि सर्पराज तक्षक ने महादेव को मनाने के लिए घोर तप-साधना की थी, जिससे प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें अमर होने का वरदान दिया था। उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन महाकाल की इच्छा थी कि उनके एकांत में कोई विघ्न ना हो। इसीलिए महादेव के सम्मान में राजा तक्षक सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही भक्तों को दर्शन देते हैं और साल के बाकी दिन उनका मंदिर बंद रहता है। इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से ही किसी भी तरह के सर्पदोष और मंगल दोष से मुक्ति मिल जाती है, इसीलिए नाग पंचमी के दिन मंदिर के बाहर हजारों की संख्या में भीड़ देखी जाती है।
सर्प-सैय्या पर बैठे भगवान शिव-पार्वती की अद्भुत प्रतिमा
मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती जी आसन मुद्रा में हैं। कहा जाता है कि ये प्रतिमा नेपाल से लाई गई है और इस मंदिर के अलावा दुनिया में और कहीं भी ऐसी प्रतिमा देखने को नहीं मिलेगी। दरअसल, आपको सर्प सैय्या पर सिर्फ भगवान विष्णु की ही बैठी हुई या लेटी हुई प्रतिमा दिखाई देगी तो मंदिर को लेकर यह भी एक आश्चर्य का विषय है।
मंदिर का निर्माण
माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ई. के करीब इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, उस समय इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार हुआ था। प्रभु के इस अद्भुत प्रतिमा के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से भक्तगण आते हैं और प्रभु के समक्ष अपना शीष नवाते हैं।
मंदिर की पूजा
नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजा और व्यवस्था महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासियों द्वारा की जाती है। इस मंदिर में एक सरकारी पूजा भी होती हैं, जो कलेक्टर के द्वारा की जाती है, यह परम्परा कई वर्षों से चली आ रही है।
कैसे पहुंचे नागचंद्रेश्वर मंदिर
नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए सबसे करीबी हवाई अड्डा इंदौर एयरपोर्ट है, जो मंदिर से करीब 60 किमी. है। वहीं, मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन उज्जैन में ही है, जो मंदिर से मात्र 2-3 किमी. दूर है। इसके अलावा उज्जैन का मार्ग देश के विभिन्न राजमार्गों से जुड़ा हुआ है, जिससे मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।