मैसूर, कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध जिलों में से एक है, जहां का एक छोटा सा शहर नंजनगुडु भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। यहां तक की इस शहर का नाम भी भगवान शिव के नाम पर रखा गया है। यह एक मंदिर है, जिसका नाम नंजुंदेश्वर मंदिर है। आज हम इस लेख में आपको इसी मंदिर के बारे में बताएंगे। इस मंदिर को श्रीकंठेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर भगवान शिव से जुड़ा है, इसलिए इसका काफी पौराणिक महत्व भी है।
मैसूर से महज 23 किमी की दूरी पर स्थित यह मंदिर कपिला नदी के किनारे पर स्थित है। मंदिर के जल को काफी पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि इसके सेवन कई सारी बीमारियां ठीक हो जाती है। इसका जीता जागता उदाहरण का है- हैदर अली (1761-1782 तक मैसूर का राजा रहा)..।
मंदिर के जल से ठीक हो गई थी हैदर अली की आंखें
जी हां, एक बार मदिर के जल से हैदर अली की आंखें ठीक हो गई थी, जिससे उसने भगवान के लिए एक हार दान किया था और मंदिर से जुड़ा रहा। उसके अलावा, बाद में टीपू सुल्तान ने मैसूर की गद्दी संभाली और वह भी मंदिर से जुड़ा रहा। कहा जाता है कि यहां बाबा भोलेनाथ सभी रोगों का इलाज करते हैं।
नंजुंदेश्वर मंदिर का इतिहास
इतिहास की ओर नजर करें तो मालूम पड़ता है कि इस मंदिर का निर्माण 12वीं शाताब्दी में चोल वंश के राजाओं द्वारा किया गया है। इसके बाद होयसाल वंश के शासकों ने भी मंदिर कई जीर्णोद्धार कराए। इस स्थान (नंजनगुडु) को 'दक्षिण के प्रयाग' के रूप में जाना जाता है। यहां भारत का सबसे पुराना पुल भी देखने को मिलता है, जो करीब 300 साल पुराना है। इस पुल पर रेलवे लाइन व सड़क मार्ग दोनों है। इसे कर्नाटक सरकार द्वारा एक धरोहर के रूप चिन्हित किया है।
नंजुंदेश्वर मंदिर का भगवान परशुराम का गहरा नाता
यहां (नंजनगुडु) में कौंडिन्य और कबिनी नदी का संगम देखने को मिलता है, इस स्थान को परशुराम क्षेत्र कहते हैं। कहा जाता है कि भगवान परशुराम ने अपनी माता की परिक्रमा करने के बाद यही स्नान किया था और मंदिर में तपस्या की थी, जिससे उन्हें 'मन की शांति' मिली थी। मान्यता है कि नंजुंदेश्वर मंदिर जाने वाले भक्तों को परशुराम क्षेत्र का दौरा जरूर करना चाहिए, तभी प्रभु के दर्शन सफल होते हैं।
नंजुंदेश्वर मंदिर में आयोजित उत्सव
नंजुंदेश्वर मंदिर में साल में दो बार 'रथ उत्सव' मनाया जाता है। इस दौरान गणेश जी, सुब्रमण्य स्वामी, चंडिकेश्वर प्रभु, प्रभु श्रीकंठेश्वर और देवी पार्वती की झांकी निकाली जाती है और एक विशेष पूजा भी की जाती है। रथ उत्सव के दौरान शहर में काफी भीड़ देखी जाती है और प्रभु श्रीकंठेश्वर के भक्त रथ खींचने के लिए काफी बेसब्री से इंतजार भी करते हैं।
नंजुंदेश्वर मंदिर कैसे पहुंचें?
नंजुंदेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए यहां का नजदीकी एयरपोर्ट मैसूर में स्थित है, जो यहां से करीब 23 किमी. दूर है। वहीं, यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन नंजनगुडु में ही स्थित है, जो मैसूर से सीधे जुड़ी हुई है। इसके अलावा, यहां सड़क मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है, यह बैंगलोर से करीब 175 किमी. की दूरी पर स्थित है।