त्रेता युग के मुनी परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव के द्वारा दिए गए परशु (फरसा) के कारण इनका नाम परशुराम पड़ा। भगवान परशुराम ने महर्षि जमदग्रि के घर रेणुका (जमदग्रि की पत्नी) के गर्भ से जन्म लिया। पौराणिक मान्यता के अनुसार परशुराम शस्त्र विद्या के बड़े ज्ञाता थे, उन्होंने कर्ण समेत द्रोण और भीष्म को शस्त्र ज्ञान दिया था। पौराणिक लेखों में वर्णित भगवान परशुराम के पराक्रम की कई कथाएं प्रचलित हैं।
आज इस विशेष लेख में हमारे साथ जानिए उस गुफा मंदिर के बारे में जिसका निर्माण परशुराम ने अपने फरसे से एक बड़ी चट्टान को काटकर किया था और जहां उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी।
परशुराम महादेव गुफा मंदिर
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राजस्थान की अरावली पहाड़ियों की तलहटी पर बसा परशुराम महादेव मंदिर हिन्दुओं के प्रमुख तीर्थ स्थानों में गिना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण परशुराम ने अपने फरसे से एक बड़ी चट्टान को काटकर किया था। खास अवसरों पर यहां भक्तों की लंबी कतार लगती है।
माना जाता है यह वही स्थान है जहां परशुराम ने भगवान शिव का आह्वान अपने कठोर तप से किया था। आज यह स्थान एक प्रमुख शिवधाम के रूप में जाना जाता है, जिसके परशुराम का भी नाम जुड़ा है।
500 सीढ़ियों का सफर
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पहाड़ी पर बसे इस गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए 500 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है। समुद्र तल से इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 3600 फीट है। जानकारो की मानें तो इस गुफा का निर्माण एक ही चट्टान को काट किया गया है। गुफा का ऊपरी भाग गाय के थन समान प्रतीत होता है। इस गुफा मंदिर के अंदर ही भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। शिवलिंग के ऊपर गोमुख है, जहां से प्राकृतिक रूप से शिवलिंग का जलाभिषेक होता है।
मंदिर के अलावा यहां के सादड़ी इलाके में परशुराम महादवे का एक बगीचा भी है। मंदिर से कुछ किमी की दूरी पर मातृकुंडिया नाम का एक स्थान है, माना जाता है कि मातृहत्या के पाप से मुक्ती परशुराम को यहीं मिली थी।
प्राप्त किए थे दिव्य शस्त्र
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार परशुराम ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करदिव्य शस्त्र प्राप्त किए थे। यहां गुफा की दीवार पर एक राक्षस की छवी भी अंकित है, माना जाता है कि इस राक्षस को भगवान परशुराम ने अपने फरसे से मारा था। पहाड़ी दुर्गम रास्तों से होते हुए भक्त यहां शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं। माना जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी मुराद जरूर पूरी होती है।
महाशिवरात्रि और परशुराम जंयती के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं का अच्छा- खासा जमावड़ा लगता है। प्राकृतिक दृष्टि से देखा जाए तो मंदिर का पहाड़ी स्थान काफी खूबसूरत है। आत्मिक और मानसिक शांति के लिए यह जगह आदर्श मानी जाती है।
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गुफा मंदिर से जुड़ी मान्यता
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परशुराम के इस गुफा मंदिर को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं, एक मान्यता के अनुसार वही व्यक्ति भगवान बद्रीनाथ के कपाट खोल सकता है जिसने परशुराम महादेव मंदिर के दर्शन किए हों। एक अन्य मान्यता के अनुसार यहां मौजूद शिवलिंग में एक छिद्र है जिसमें पानी के हजारों घड़े डालने पर भी वो छिद्र नहीं भरता जबकि दूध का अभिषेक करने पर उस छिद्र के अंदर दूध नहीं जाता।
पौराणिक मान्यता के अनुसार यह वही स्थान है जहां परशुराम ने कर्ण को शस्त्र शिक्षा दी थी। सावन के महीने में यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए दूर-दराज से भक्त यहां तक पहुंचते हैं।
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कैसे करें प्रवेश
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परशुराम गुफा मंदिर कुंभलगढ़ किले से लगभग 9 किमी की दूरी पर सादरी-परशुराम गुफा रोड पर स्थित है। आप यहां तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाई अड्डा उदयपुर एयरपोर्ट है।
रेल मार्ग के लिए आप फलना या रानी रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। परशुराम गुफा मंदिर राजसंमद जिले में स्थित है, उदयपुर के रास्ते आप यहां बस या टैक्सी के द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं।