जी हाँ, आपने बिलकुल सही पढ़ा ऊपर, यह एक ऐसी जगह है जहाँ अंजनी पुत्र हनुमान जी एक खलनायक हैं। हनुमान जी से सम्बंधित कोई भी त्यौहार यहाँ नहीं मनाये जाते हैं। यहाँ तक कि इनका नाम अंजनेया (हनुमान) जी के नाम पर भी किसी बच्चे का नामकरण भी नहीं होता है। और सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि यहाँ कोई अन्य देवी देवताओं को भी नहीं पूजा जाता है।
गाँववाले सिर्फ एक ही देवता की पूजा करते हैं और वे ही यहाँ के एकमात्र देवता हैं। इसपर मज़े की बात यह है कि ये कोई देवता नहीं, एक असुर, दानव है जिनकी पूजा ये गाँववाले करते हैं। दैत्य नाम से इनकी यहाँ भगवान के रूप में पूजा की जाती है। यहाँ के लोक साहित्य अनुसार, जो भी इनकी पूजा को नहीं करेगा या इस परंपरा को नहीं निभाएगा उसे सजा दी जाएगी।
दैत्य निम्बा
अगर यह सब पढ़ कर आप की इच्छा हो रही है कि आप इस अद्भुत गांव की सैर पर एक बार ज़रूर जाएँ तो हम आपको पहले ही चेता देते हैं कि किसी भी मारुती कार से इस गांव की यात्रा पर न जाएँ। जी ज़रूर, यह सुनने में थोड़ा अजीब लगता है पर सच्चाई यही है कि इस गांव में कोई भी मारुती कार का प्रवेश करना भी वर्जित है। यहाँ हनुमान जी को ये अपने सबसे बड़े खलनायक के रूप में मानते हैं।
क्या आप यह सब जान कर इस जगह की यात्रा करने को उत्सुक हैं? तो अभी ही निकल पड़िये महाराष्ट्र के दैत्य नांदुर गाँव की ओर। महादानव जिसका नाम दैत्य निम्बा है,वह इस टोले का प्रमुख भगवान, कुलदेवता है। यह गांव अहमदनगर जिले के पारनेर में स्थित है। मुम्बई से लगभग यहाँ तक की यात्रा 5 घंटे की है।
दैत्य निम्बा और हनुमान जी के बीच होती लड़ाई का चित्र
दैत्य नांदुर गांव की कथा
कथानुसार, हालाँकि दैत्य निम्बा एक महादानव था पर वह भगवन राम जी का बहुत बड़ा भक्त भी था। एक बार की बात है, भगवान राम जी पत्नी सीता जी और भाई लक्ष्मण के साथ इस क्षेत्र के केदारेश्वर मंदिर में भ्रमण को आये। यह जानकर दैत्य निम्बा ने भगवान राम जी से मिलने का फैसला किया।
इसी दौरान उसे भगवान राम जी के परम भक्त हनुमान जी से जलन होने लगी और उसने हनुमान जी से लड़ना शुरू कर दिया। उन दोनों के बीच यह लड़ाई बड़ी होती गयी जिसका हल निकालने के लिए राम जी को स्वयं उन दोनों के बीच आना पड़ा। और दैत्य निम्बा की भक्ति भावना को देखते हुए भगवान राम जी ने उसे आशीर्वाद दिया।
दैत्य निम्बा
अपने प्रति उसके समर्पण को देखते हुए भगवान राम जी ने उसे उस क्षेत्र का रक्षक बनने का वरदान दिया। तब से ही, जो भी इस गाँव में रहता है वह इस दैत्य की पूजा ज़रूर करता है। इसलिए इस गांव के लोग हनुमान जी की पूजा नहीं करते क्योंकि दैत्य निम्बा उन्हें कभी पसंद नहीं करते थे। यहाँ लोग हनुमान जी को बिलकुल भी पसंद नहीं करते, इसलिए उन्हें इस क्षेत्र में एक खलनायक के रूप में माना जाता है।
पारनेर पहुंचें कैसे?
पुणे से पारनेर लगभग 92 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सड़क यात्रा द्वारा : पुणे से कई बस सुविधाएं यहाँ तक के लिए उपलब्ध हैं। हालाँकि यहाँ तक कोई निजी टैक्सी या कैब बुक करके जाना सबसे बेहतरीन योजना होगी।
रेल यात्रा द्वारा: यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन अहमदनगर स्टेशन है। अहमदनगर पारनेर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है।
अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।
Read in English: A Place Where Hanuman is a Villain!
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