540 ईस्वी से 757ईसवी तक दक्षिण भारत के चालुक्य राजवंश की राजधानी रहा बादामी वर्तमान में अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। इस ऐतिहासिक नगर को कभी इसके पौराणिक नाम वातापी से संबोधित किया जाता था। 500 ईस्वी में चालुक्य साम्राज्य की स्थापना के बाद राजा पुलक्षी ने यहां किले का निर्माण करवाया और वातापी को राज्य की राजधानी घोषित कर दिया।
यह शहर आज बादामी चालुक्य के कई पुरातात्विक स्मारकों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। अधिकांश सरंचनाओं को बनाने में विशिष्ट द्रविड़ वास्तुशिल्प शैलियों का इस्तेमाल किया गया है। यह शहर न सिर्फ चालुक्य बल्कि विजयनगर साम्राज्य, आदिल शाही राजवंश, मुगल, मराठा, मैसूर साम्राज्य और अंग्रेजों जैसे का प्रभाव झेल चुका है।
इस खास लेख में जानिए पर्यटन के लिहाज से कर्नाटक का बादामी आपके लिए कितना खास है, साथ में जानिए यहां से सबसे प्रमुख स्थलों के बारे में जो बादामी को ऐतिहासिक बनाने का काम करते हैं।
बादामी गुफा मंदिर
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बादामी मुख्य तौर पर अपने गुफा मंदिरों के लिए जाना जाता है। यहां स्थित आकर्षक बलुआ मंदिर 6 वीं से 7 वीं शताब्दी के मध्य बादामी चालुक्य द्वारा बनवाए गए थे। बदामी गुफा मंदिर शहर में स्थित एक विशाल बलुआ चट्टानी संरचनाएं हैं जिन्हें बहुत ही खूबसूरती से आकर्षक रूप प्रदान किया गया है।
इन चट्टानों को उकेर कर बनाई गईं नक्काशीदार संरचनाएं देकने लायक हैं। इन मंदिरों में चालुक्य वास्तुकला को बारीकी से समझ सकते हैं। ये ऐतिहासिक मंदिर विशाल चट्टानी घाटियों से घिरे हुए हैं। आप यहां उत्तर-दक्षिण भारतीय शैली का मिश्रित रूप देख सकते हैं।
मंदिरों का मल्लिकार्जुन समूह
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बादामी पहाड़ियों के मध्य दो बड़े मंदिर समूह स्थित हैं एक भूतनाथ और दूसरा मल्लिकार्जुन समूह। मंदिरों का मल्लिकार्जुन समूह यहां की झील के उत्तर-पूर्वी दिशा में स्थित हैं। एक दूसरे के समीप स्थित ये मंदिर अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं। इस मंदिर का निर्माण बादामी चालुक्य के शासनकाल के दौरान 11 वीं शताब्दी में करवाया गया था।
चट्टानी पहाड़ों के मध्य स्थित मल्लिकार्जुन समूह इस पूरे इलाके में जान डालने का काम करता है। आसपास का इलाका खूबसूरत वनस्पतियों से भरा हुआ है। इतिहास से प्रेमी इस स्थल के भ्रमण का प्लान बना सकते हैं।
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भूतनाथ समूह के मंदिर
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भूतनाथ समूह मंदिर बादामी की आकर्षक सरंचनाओं में गिने जाते हैं। इन मंदिरों का निर्माण बादामी चालुक्य के शासनकाल के दौरान करवाया गया था। ये मंदिर भगवान शिव के अवतार भूतनाथ को समर्पित हैं। झील के किनारे बसा ये मंदिर कर्नाटक पर्यटन को खास बनाने का काम करते हैं। मंदिर की आंतरिक सरंचना और बाहरी मंडल देखने लायक हैं। यहां के खूबसूरत नजारे आप मानसून के वक्त देख सकते हैं।
इस दौरान यहां अस्थाई झरने बन जाते हैं,जो इस पूरे स्थल के ऐतिहासिक और प्राकृतिक तौर पर खूबसूरत बनाते हैं। इन मंदिरों की वास्तुकला में आप उत्तर-दक्षिणी वास्तुकला का मिश्रित रूप आसानी से देख सकते हैं।
बदामी किला
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मंदिरों के अलावा आप बादामी में यहां का ऐतिहासिक बदामी किला देख सकते हैं, जो अब यहां खंडहर के रूप में पुरातात्विक महत्व के लिए रह गया है। इस किले का निर्माण 543 ईसवी में चालुक्य राजा पुलक्षी ने करवाया था।
इतिहास से जुड़े पन्ने बताते हैं कि इस किले को 642ईसवी में पल्लवों राजवंश द्वारा नष्ट कर दिया गया था। हालांकि आज भी उस किले की भव्यता आप यहां बचे अवशेषों में तलाश सकते हैं। कर्नाटक में ऐतिहासिक भ्रमण के लिए निकले सैलानी यहां आ सकते हैं।
मालेगीट्टी शिवालय
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उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां मालेगीट्टी शिवालय को भी देख सकते हैं। मालेगीट्टी शिवालय देवो के देव महादेव को समर्पित एक ऐतिहासिक मंदिर है जिसका निर्माण बदामी किले के ऊपर किया गया था। इस मंदिर की खूबसूरती देखने लायक है जहां से आप बादामी के अद्बुत दृश्यों का आनंद उठा सकते हैं।
इतिहास के पन्ने बताते है कि यह मंदिर बादामी में सबसे प्राचीन है जिसका निर्माण छठी शताब्दी में किया गया था। बादामी आकर इस मंदिर के दर्शन एक योग्य विकल्प है। ये थे कर्नाटक राज्य के ऐतिहासिक नगर बादामी के चुनिंदा सबसे आकर्षक स्थल जो इस शहर को खास बनाने का काम करते हैं।