महाराष्ट्र स्थित नासिक भारत के पवित्र शहरों में गिना जाता है, जिसका संबंध पौराणिक काल से है। रामायण पौराणिक कथाओं में नासिक को एक पवित्र शहर के रूप और उसके महत्व को बताया गया है। इस शहर की भूमि ने भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को वनवास के दौरान आश्रय प्रदान किया था। इसके अलावा नासिक भारत के उन चार स्थानों में भी शामिल है जहां प्रसिद्ध कुंभ मेला लगता है।
नासिक तीर्थयात्रियों के अलावा सैलानियों के मध्य भी काफी ज्यादा लोकप्रिय है। सह्याद्री पहाड़ी श्रृंखला इस शहर को प्राकृतिक रूप से संवारने का काम करती है। इसके अलावा नासिक को वाइन कैपिटल भी कहा जाता है, जहां बेहतरीन अंगूरों से वाइन बनाई जाती है। इस खास लेख में जानिए पर्यटन के लिहाज से यह शहर आपके लिए कितना खास है।
पांडवलेनी गुफाएं
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आप नासिक भ्रमण की शुरूआत पांडवलेनी गुफाओं से कर सकते हैं। यह चौबीस गुफाओं का समूह है जिनका संबंध दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के बाद के वर्षों से बताया जाता है। इन गुफाओं के माध्यम से आप बौद्ध हिनायन वास्तुकला को समझ सकते हैं। पांडवलेनी गुफाओं को तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ईसवी तक के बीच में बनाया गया था ।
अठारहवीं गुफा को छोड़कर बाकी गुफाएं विहार शैली का प्रदर्शित करती हैं। अठारहवीं गुफा चैत्य शैली में बनाई गई हैं। इन गुफाओं और यहां मौजूद शिलालेखों से बौद्ध शिक्षाओं के बारे में बहुत कुछ पता चलता है।
त्रयंबकेश्वर मंदिर
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पांडवलेनी गुफाओं के भ्रमण के बाद अगर आप चाहें तो यहां के त्रयंबकेश्वर मंदिर की सैर का प्लान बना सकते हैं। त्रिंबकेश्वर भगवान शिव को समर्पित भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। इस अद्भत मंदिर का निर्माण पेशवा बालाजी बाजीराव ने करवाया था।
मंदिर परिसर में एक पवित्र कुंड कुशावर्त भी मौजूद है, जिसे गोदावरी नदी का प्रतीकात्मक स्रोत कहा जाता है। ब्लैक स्टैंड पत्थर के द्वारा निर्माण के कारण मंदिर का रंग गहरा दिखाई पड़ता है। मंदिर की वास्तु और मूर्तिकला देखने लायक है।
सिक्का संग्रहालय
धार्मिक स्थानों के अलावा आप यहां सिक्का संग्रहालय की सैर का भी प्लान बना सकते हैं। इन क्वाइन म्यूजियम में विभिन्न अवधि के सिक्को का बड़ा संग्रह मौजूद है। आप यहां साल के हिसाब से विभिन्न सिक्कों को देख सकते हैं। यह संग्रहालय अपनी तरह का एकमात्र ऐसा म्यूजियम है।
यह सिक्का संग्रहालय भारतीय न्यूमिज़्मेटिक्स के बारे में ज्ञान प्राप्त करने में काफी मदद करता है। 1980 में बनाए गए इस गए इस संग्रहालय में आप प्रत्येक सिक्के के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
अंजनेरी पर्वत
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इन सब के अलावा आप यहां स्थित अंजनेरी पर्वत की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह पर्वतीय स्थल हिंदू महाकाव्य रामायण से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि यह पर्वत भगवान हनुमान का जन्म स्थान है। यहां पहाड़ी चोटी पर एक मंदिर भी स्थित है जहां श्रद्धालु अपनी आस्था के साथ पहुंचते हैं।
इस पर्वत का नाम भगवान हनुमान की माता अंजनी के नाम पर रखा गया है। पहाड़ी चोटी तक पहुंचने के लिए आपको ट्रेकिंग करके आगे बढ़ना पड़ता है। ट्रेकिंग के दौरान आप प्रकृति के रोमांचक दृश्यों को भी देख सकते हैं।
रामकुंड
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उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां पवित्र रामकुंड की सैर का भी प्लान बना सकते हैं। रामकुंड एक पवित्र स्थान है जहां वनवास के दौरान प्रभु राम ने स्नान कर यहां के जल को पवित्र किया था। इसलिए धार्मिक मान्यता के अनुसार इस तालाब का पानी काफी ज्यादा मायने रखता है।
रामकुंड में डुबकी लगाने के लिए भारत के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां तक का सफर तय करते हैं। माना जाता है कि माता सीता ने इस जलाशय में स्नान किया था। एक अगल धार्मिक अनुभव के लिए आप यहां की यात्रा का प्लान बना सकते हैं।