ओडिशा स्थित प्राचीन शहर संबलपुर कभी हीरे का महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था, जिसे इसका नाम देवी संबलेश्वरी से प्राप्त हुआ। शहर में संबलेश्वरी देवी का मंदिर भी स्थित है। यह भव्य मंदिर यहां का मुख्य आकर्षण माना जाता है। वर्तमान में संबलपुर अपने कपड़ा उद्योग (टाई-एंड-डाई इकत कला ) के लिए भी विश्व भर में जाना जाता है।
इस शहर को संबलपुरी के नाम से भी संबोधित किया जाता है। इन सब विशेषताओं के अलावा यह शहर हरे-भरे जंगलों, नदी-घाटी, पहाड़ व झरनों के साथ अपने प्राकृतिक खजाने के लिए भी काफी प्रसिद्ध है, यही वजह है यहां सैलानियों का आना जाना लगा रहता है।
संबलपुर अपने हस्तशिल्प उत्पादों व शिल्पकला के लिए भी जाना जाता है, विश्व भर से कला प्रेमी इन आकर्षणों की वजह से यहां खींचे चले आते हैं। इस खास लेख में जानिए पर्यटन के लिहाज से ओडिशा का यह शहर आपके लिए कितना खास है।
संबलेश्वरी देवी मंदिर
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इस शहर का मुख्य आकर्षण यहां केंद्र में स्थित संबलेश्वरी देवी का मंदिर है। देवी के नाम पर ही इस शहर का नाम संबलपुर पड़ा है। यह शहर की यात्रा का एक अनिवार्य स्थल है जहां श्रद्धालु हों या सैलानी माता के दर्शन के लिए जरूर आते हैं। देवी का यह भव्य मंदिर महानदी नदी के किनार पर स्थित है, जिसे प्राचीन समय में जगत्जनानी, आदिशक्ति, महालक्ष्मी और महासारस्वती जैसे नामों से सम्मानित किया जाता था।
सांस्कृतिक और कलात्मक रूप से यह मंदिर एक विरासत है जिसका निर्माण 16 वीं शताब्दी के चौहान वंश के शासकों ने कराया था। इन सब से अलग अश्विन और चैत्र महीनों के दौरान यहां भव्य त्योहारों का आयोजन किया जाता है। धार्मिक यात्रा के लिए आप यहां की सैर कर सकते हैं।
उशाकोथी वन्यजीव अभयारण्य
धार्मिक स्थल के अलावा आप यहां के प्राकृतिक स्थलों की सैर का आनंद ले सकते हैं। संबलपुर से 50 किमी दूर आप उशाकोथी वन्यजीव अभयारण्य की रोमांचक सैर का आंद ले सकते हैं। यह वन्यजीव अभयारण्य अपनी जैव विविधता के लिए काफी प्रसिद्ध है। जहां आप विभिन्न वनस्पतियों के साथ जीव-जन्तुओं को भी देख सकते हैं।
जंगली जानवरो में आप यहां हाथी, सांभर, हिरण, जंगली भालू और कई अन्य प्रकार के जीवों को देख सकते हैं। प्रकृति के करीब जाकर जीव-जन्तुओं को देखना काफी आंनद का अनुभव कराता है। संबलपुर यात्रा के दौरान आप यहां का प्लान बना सकते हैं।
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मां घंटेश्वरी मंदिर
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आप संबलपुर से 31 किमी की दूरी पर स्थित मां घंटेश्वरी मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं। मंदिर के चारों तरफ लगी घंटियां यहां मुख्य आकर्षण का केंद्र है। माना जाता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती, मनोकामनाएं पूर्ण होने पर भक्त यहां माता को प्रसाद के साथ घंटी चढ़ाने के लिए भी आते हैं।
इसके अलावा माना जाता है कि यहां लगी घंटियां नाविकों को समुद्री तुफानों से आगाह करने का काम करती हैं। यह मंदिर चेतावनी देने वाले एक लाइटहाउस के रूप में भी काम करता है।
हुमा मंदिर
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बाकी मंदिरों के अलावा आप यहां प्रसिद्ध हुमा मंदिर के दर्शन का प्लान बना सकते हैं। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर बिमलेश्वर शिव के नाम से जाना जाता है। इस भव्य मंदिर का निर्माण 1670 के दौरान चौहान वंश के राजा बलिर सिंह ने करवाया था। इस मंदिर को एक हुमा का अध्यन मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यह मध्य में स्थित है जिसके चारों ओर अन्य छोटे-छोटे मंदिर बनाए गए हैं।
इस मंदिर के निर्माण के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है माना जाता है कि यहां कभी कोई शिवभक्त दुधवाला हुआ करता था रोज शिव पूजा के दौरान व किसी आम पत्थर पर दूध चढ़ाया करता था। जिसके बाद यहां भगवान शिव का भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ। शिवरात्रि के दौरान यहां भव्य आयोजन किए जाते हैं, जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
प्रधान पथ फॉल्स
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप प्रधान पथ फॉल्स की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह जलप्रपात संबलपुर से लगभग 100 किमी की दूरी पर स्थित है। यह एक आकर्षक स्थल जहां वीकेंड पर सैलानी समय बिताना पसंद करते हैं। प्रकृति के बीच बसा यह झरना अपनी भौगोलिक संरचना के बल पर सैलानियों को काफी अपनी ओर आकर्षित करने का काम करता है।
बाकी स्थानों के तुलना में यह संबलपुर से थोड़ी दूरी पर स्थित है लेकिन यात्रा के दौरान यहां का भ्रमण एक आदर्श विकल्प होगा। आत्मिक-मानसिक शांति के लिए आप यहां का प्लान बना सकते हैं।
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