भारत में मंदिरों की कमी नहीं है, यहां कई ऐसे मंदिर हैं, जो आज भी एक रहस्य बने हुए हैं। ऐसे में आज हम आपको उन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो एक सीधी रेखा में बने हैं। उत्तराखंड के केदारनाथ धाम से लेकर रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तक कुल मिलाकर सात मंदिर हैं, जो एक सीधी रेखा में हैं।
ऐसे में अगर देखा जाए तो उस समय न कोई मशीन थी और न कुछ लेकिन फिर भी इन मंदिरों को एक सीध में कैसे बनाया गया, ये आज भी एक रहस्य है। अगर आप भगवान पर विश्वास रखते हैं तो इसे आप एक चमत्कार कह सकते हैं। और अगर इतिहास उठाकर देखा जाए तो भारत में ऐसे-ऐसे विद्वानों ने जन्म लिया है, जिन्होंने बिना किसी साधन के ग्रहों-नक्षत्रों तक की स्थिति बता दी है।
ये सातों मंदिर एक सीधी लाइन में बने हुए हैं। इनमें उत्तराखंड का केदारनाथ धाम, तेलंगाना का कालेश्वरम मंदिर, आंध्रप्रदेश का श्रीकालाहस्ती, तमिलनाडु का एकम्बरेश्वर मंदिर, तमिलनाडु का अरुणाचल मंदिर, तमिलनाडु का तिलई नटराज मंदिर और तमिलनाडु का रामेश्वरम मंदिर शामिल है।
केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड (79.0669° E लांगिट्यूड)
केदारनाथ धाम, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। कहा जाता है कि इस मंदिर को पांडवों ने स्थापित किया था और यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर उत्तराखंड के चार धामों में से एक है।
कालेश्वरम मंदिर, तेलंगाना (79.54' 23' E लांगिट्यूड)
कालेश्वरम मंदिर, तेलंगाना के करीमनगर जिले में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर मुक्तेश्वर स्वामी को समर्पित है। इस मंदिर में दो शिवलिंग है, जिन्हें शिव और यम का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर को कालेश्वर मुक्तेश्वर स्वामी देवस्थानम के नाम से भी जाना जाता है।
श्री कालाहास्ती मंदिर, आंध्र प्रदेश (79.6983° E लांगिट्यूड)
श्री कालाहास्ती मंदिर, आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है, जो तिरुपति से महज 35 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर के देवता की प्राण-प्रतिष्ठा वायु तत्व के लिए की गई है। यह मंदिर करीब 2000 साल पुराना है, जिसे दक्षिण कैलाश या दक्षिण काशी के नाम से भी जाना जाता है।
एकम्बरेश्वर मंदिर, तमिलनाडु (79.42'00' E लांगिट्यूड)
कांचीपुरम में बने इस प्राचीन मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में पल्लव वंश के शासकों ने करवाया था। फिर 10वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। यह मंदिर पूरे विश्व में जाना जाता है।
अन्नामलाईयार मंदिर, तमिलनाडु (79.0677° E लांगिट्यूड)
अन्नामलाईयार मंदिर, तमिलनाडु के तिरुवनमलाई शहर में अरुणाचला पहाड़ी पर स्थित है, इसलिए इस मंदिर को अरुणाचलेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां स्थापित शिवलिंग को अग्नितत्व का प्रतीक माना जाता है। यह मंदिर 7वीं शताब्दी का माना जाता है, जिसका 9वीं शाताब्दी में चोल राजाओं ने पुनर्निर्माण कराया था।
थिल्लई नटराज मंदिर, तमिलनाडु (79.6935° E लांगिट्यूड)
थिल्लई नटराज मंदिर, तमिलनाडु के चिदम्बरम जिले में स्थित है। इस मंदिर को चिदम्बरम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर भगवान शिव के नटराज स्वरूप की पूजा की जाती है, जिसका एक प्रतिमा भी यहां मौजूद है, जिसका अलौकिक सौंदर्य देखने को मिलता है।
रामनाथ स्वामी मंदिर, रामेश्वरम, तमिलनाडु (79.3174° E लांगिट्यूड)
रामनाथ स्वामी मंदिर, तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है, जिसे रामेश्वरम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर 12 ज्योजिर्लिंगों में से एक है। कहा जाता है कि जैसे उत्तर में काशी का महत्व है, ठीक वैसे ही दक्षिण में रामेश्वरम का महत्व है।
अपनी यात्रा को और भी दिलचस्प व रोचक बनाने के लिए हमारे Facebook और Instagram से जुड़े...