कर्नाटक के मध्य हिस्से में स्थित शिमोगा का आधिकारिक नाम शिव मोग्गा है। इसे कर्नाटक का राइस बाउल भी कहा जाता है। शिव मोग्गा का अर्थ है भगवान शिव का मुख।
कर्नाटक के पश्चिमी घाट पर स्थित शिमोगा बैंगलोर से वीकेंड पर घूमने के लिए बेस्ट जगह है। इसे गेटवे टू मलनाड और मलेनाडा हेब्बागिलू भी कहा जाता है। ये तुंगा नदी के तट पर पड़ता है। झरनों, पर्वतों, जंगलों और हरे-भरे घास के मैदान से समृद्ध है शिमोगा।
काम से थोड़ा वक्त निकालकर वाइफ के साथ यहां मनाएं छुट्टियाँ
शिमोगा को महाकाव्य रामायण में भी स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान राम ने हिरण का रूप धारण किए मारीछ का वध किया था। इसे 1600 ईस्वीं में केलादी शासकों द्वारा बनवाया गया था एवं इस पर कल्यानी चालुक्य, कादंबा, राष्ट्रकूट और विजयनगर राजवंश का शासन रहा है।
बैंगलोर से भारत के स्कॉटलैंड कुर्ग का रोड ट्रिप
भारत को आज़ादी मिलने से पूर्व ये शहर मैसूर का हिस्सा था। शिमोगा से होकर तुंगा और भद्रा नदी बहती है और आगे जाकर कूडली में मिलकर तुंगभद्रा के नाम से बहती है जोकि बाद में जाकर कृष्णा नदी में मिल जाती है।
शिमोगा आने का सही समय
सर्दियों के मौसम यानि नवंबर से फरवरी तक शिमोगा आने का सही समय है। इस दौरान यहां का तापमान बेहतर रहता है जबकि गर्मी के मौसम में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में आने के कारण यहां बारिश का मौसम जून से अक्टूबर तक रहता है।PC: Ajay Tallam
कैसे पहुंचे शिमोगा
वायु मार्ग द्वारा : शिमोगा एयरपोर्ट का कार्य प्रगति पर है। फिलहाल मैंगलोर एयरपोर्ट शिमोगा का नज़दीकी हवाई अड्डा है जोकि 200 किमी दूर है। बैंगलोर से मैंगलोर के लिए कई फ्लाइट्स उड़ान भरती हैं। मैंगलोर से शिमोगा तक के लिए आपको यहां से प्राइवेट टैक्सी मिल जाएगी।
रेल मार्ग द्वारा : निकटतम रेलवे स्टेशन तारिकेरे है जोकि शिमोगा से 40 किमी दूर है। बैंगलोर से शिमोगा के लिए कई ट्रेनें चलती हैं। इस सफर में 5 घंटे का समय लगता है।
सड़क मार्ग द्वारा
रूट 1: बैंगलोर - कुनिगल - कादूर - भद्रावती - एनएच 69 के माध्यम से शिमोगा। 284 किमी दूर इस सफर को तय करने में 5 घंटे 13 मिनट का समय लगेगा।
रूट 2 : बेंगलुरु - तुमकुर - हिरियूर - चन्नागिरि - एनएच 48 के माध्यम से शिमोगा। 311 किमी दूर इस सफर को तय करने में 5 घंटे 24 मिनट का समय लगेगा।
रूट 3 : बैंगलोर - तुमकुर - देवनगेरे - शिमोगा। इस रूट पर एनएच 48 से होकर शिमोगा - हरिहर - होस्पेत रोड़ से निकलें। 351 किमी लंबे इस रास्ते में 5 घंटे 30 मिनट का समय लगेगा।
पहला रूट छोटा है इसलिए आपको पहले रूट से जाना चाहिए।
कुनिगल होते हुए बैंगलोर से शिमोगा
दोपहर तक शिमोगा पहुंचने के लिए सुबह बैंगलोर से जल्दी निकलने की कोशिश करें। सुबह जल्दी निकलने से आप ट्रैफिक से भी बच जाएंगें।
बैंगलोर से कुनिगल 70 किमी दूर है। बैंगलोर से कुनिगल पहुंचने में आपको 1 ांटे 15 मिनट का समय लगेगा। तुमकुर जिले में स्थित कुनिगल हैदर अली और उनके बेटे टीपू सुल्तान द्वारा संवर्धन खेतों के लिए जाना जाता है।
नरसिम्हा मंदिर
कुनिगल का नरसिम्हा मंदिर होयसला राजवंश की स्थापत्यकला का बेजोड़ नमूना है। इसे विजयनगर के शासनकाल के दौरान बनवाया गया था। कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थित जनार्दन की मूर्ति को हुलिसूरदुर्गा मंदिर से लाया गया था।PC: Manjunath nikt
सोमेश्वर मंदिर
आप यहां सोमेश्वर मंदिर, वेंकटरमन मंदिर और पदमेश्वर मंदिर भी देख सकते हैं। प्राचीन स्थापत्यकला को प्रदर्शित करते यहां और भी कई प्राचीन मंदिर हैं। यहां का शिरामेश्वरम मंदिर भी बहुत सुंदर है किंतु ये मंदिर कुछ साल पहले ही बना है।PC: kumararun85
दोड्डाबेट्टा
हुत्रिदुर्ग एक किलेबंद पहाड़ है जिसके आठ द्वार हैं। इसे दोड्डाबेट्टा के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्वत से अद्भुत नज़ारा दिखाई देता है। इसमें शंकरेश्वर मंदिर भी स्थापित हैं।PC: Ananth BS
मारकोनहल्ली बांध
शाम के समय घूमने के लिए मारकोनहल्ली बांध खूबसूरत जगह है। ये शिमशा नदी पर बना है और यह तुमकुर का सबसे बड़ा जलाशय भी हैं। कुनिगल में कुनिगल केरे और कुनिगल झील भी प्रमुख आकर्षण है। कन्नड़ के कई लोक गीत यहीं से आए हैं।
कादूर के रास्ते में पड़ता है तिपतुर जोकि नारियल और कोपरा के लिए प्रसिद्ध हैं। इस पूरे क्षेत्र में नारियल का व्यावसायिक उत्पादन किया जाता है। PC: Siddarth.P.Raj
कादूर
कुनिगल से 149 किमी दूर है कादूर। यहां पहुंचने में आपको 2 घंटे 38 मिनट का समय लगेगा।
कादुरू मुख्य रूप से कृषि तालुक है। यहां पर कुछ उद्योग भी स्थापित हैं जहां बड़े पैमाने पर कच्चे लोहे को पिघलाने का काम किया जाता है। दंडिगेकल्लू श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर, चेन्नाकेशवा मंदिर जैसे कुछ मंदिर भी कादूर में दर्शनीय हैं।
शिनिरा हॉन्डा तालाब में भगवान शिव और आंजनेय को समर्पित दो मंदिर स्थापित हैं। इस क्षेत्र में बहने वाली वेदावथी नदी को कुंती होल भी कहा जाता है। कुंतीहोल के पास स्थित कीछकाना गुड्डा एक गुफा मंदिर है।
PC: Prof tpms
भद्रावती
कादूर से 49 किमी दूर है भद्रावती। यहां पहुंचने में आपको एक घंटे का समय लगेगा। ये लगी भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य के लिए प्रसिद्ध है। वन्यजीव और वनस्पति को देखने के बाद आप यहां जीप सफारी, ट्रैकिंग, आईलैंड कैंपिंग और रैपिलंग का मज़ा ले सकते हैं।
भद्रावती में अनेक मंदिर स्थित हैं। इनमें से सबसे सुंदर लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर है जोकि होयसला स्थापत्यकला में निर्मित है। भद्रावती में दो प्रमुख उद्योग हैं विश्वेश्राय आयरन और स्टील प्लांट फैक्ट्री और मैसूर पेपर मिल फैक्ट्री। इस शहर के विकास में इन फैक्ट्रियों का बहुत योगदान रहा है।
भद्रावती से 23 किमी दूर है शिमोगा। यहां पहुंचने में 30 मिनट का समय लेगा। शिमोगा में इन जगहों पर आप घूम सकते हैं।PC:Primejyothi
शिवप्पा नायक महल
इसे सरकारी संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। केलादी राजवंश से ताल्लुक रखने वाले शिमोगा के संस्थापक शिवप्पा नायक के नाम पर इस संग्रहालय का नाम रखा गया है। इसे हैदर अली ने बनवाया था। इस संग्रहालय में होयसला काल की कई कीमती वस्तुएं, कलाकृतियां और शिलालेख रखे हैं।PC:Dineshkannambadi
कोटे सीथा रामानजेय मंदिर
हनुमान जी, भगवान राम और देवी सीता को समर्पित इस मंदिर को त्रेता युग का माना जाता है। ये तुंगा नदी के तट पर स्थित है।PC: Chidambara
गजानुर बांध
S आकार में बना ये बांध तुंगा नदी पर बना है और इससे आसपास के गांवों में सिंचाई का कार्य किया जाता है एवं इसे बाढ़ की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भी बनाया गया है। पक्षियों की चहचहाहट के बीच पानी की तेज धार के संगीत में पिकनिक मनाने का अलग ही मज़ा है।
सक्कारे बाइलु एलीफैंट कैंप
इस कैंप में हाथियों को प्रशिक्षण और आश्रय दिया जाता है। यहां कई बंदी हाथी भी रहते हैं। इस कैंप में आसपास के जंगलो से पानी और खाने की तलाश में आए हाथी भी हैं। बच्चों को घुमाने के लिए सक्कारे बाइलु सबसे बेहतर जगह है।PC:Hari Prasad Nadig
गुदावी पक्षी अभ्यारण्य
पक्षियों को देखने के लिए ये जगह परफैक्ट है। गुदावी अभ्यारण गुदावी झील पर बना है। यहां वनस्पति और वन्यजीवों की 217 प्रजातियां हैं।। प्रवासी पक्षियों को भी ये जगह बहुत पसंद है। यहां पर इंडियन शाग, परियाह काइट, ब्राहमिनी काइट, जंगलफज्ञउल, ग्रे हेरॉन, व्हाइट इल्बिस आदि देख सकते हैं।PC: PJeganathan
मत्तूर
शिमोगा जिले का छोटा सा गांव मत्तूर भारत का एकमात्र ऐसा गांव है जहां आज भी बातचीत में संस्कृत भाषा बोली जाती है। इस गांव में लगभग 5000 लोग रहते हैं और सभी संस्कृत बोलते हैं।PC: Sbhar
जोग फॉल्स
यह लोकप्रिय झरना भारत का दूसरा सबसे ऊंचा झरना है। यहां 253 मीटर की ऊंचाई से पानी गिरता है। मॉनसून के दौरान यहां आने का सही समय है। यहां हर शाम 7 बजे से 9 बजे तक लेज़र लाइट शो दिखाया जाता है। PC: Arkadeep Meta
लॉयन एंड टाइगर सफारी
इस पार्क में जीप बाघों, शेरों, चीता, स्लोथ बियर आदि को देखने के लिए जीप सफारी करवाई जाती है। यहां पर चिडियाघर और चिल्ड्रन पार्क भी है।PC: Harikrishnan18
कविशैला
इस शानदार इमारत को मेगालीथिक पत्थर से बनाया गया है। ये छोटे से पर्वत पर स्थित है। ये जगह इंग्लैंड के स्टोनहेंगे ऑफ इंग्लैंड से मिलती है। ये कन्नड़ के महान कवि कुवेंपू को समर्पित है। यहां पर उन्हें समर्पित स्मारक भी है।PC:HPNadig