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छत्तीसगढ़ का पुरातत्व स्थल, सरगुजा

उत्तर प्रदेश की सीमा के किनारे छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग पर सरगुजा एक छोटी सी जगह है, जो पूरी तरह से जंगल से घिरी हुई है। इस भूमि पर लम्बे समय से कई पीढ़ी-दर-दर पीढ़ी कुछ जनजातियां रह रही हैं। यह जगह अपने

By Goldi

उत्तर प्रदेश की सीमा के किनारे छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग पर सरगुजा एक छोटी सी जगह है, जो पूरी तरह से जंगल से घिरी हुई है। इस भूमि पर लम्बे समय से कई पीढ़ी-दर-दर पीढ़ी कुछ जनजातियां रह रही हैं। यह जगह अपने खंडहर, मंदिरों और वन्य जीवन के लिए जाना जाता है।

हालांकि सरगुजा एक छोटी सी जगह है, छत्‍तीसगढ़, भारत में 7 वां चाय पैदा करने वाला सबसे बड़ा राज्‍य है और सरगुजा और जसपुर, चाय की पैदावार के लिए सबसे उपयुक्‍त स्‍थल है। कई पौराणिक कहानियां इस स्‍थल से जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने अपने 14 वषों के वनवास के दौरान इस स्‍थान की सैर की थी और इस जगह के कुछ स्‍थलों के नाम भगवान राम, सीता माता और लक्ष्‍मण जी के नाम पर रखे गए है। इन स्‍थानों को रामगढ़, सीता - भेनगरा और लक्ष्‍मणगढ़ कहा जाता है।

इन पहाड़ी स्थलों से जुड़ा है, महाभारत काल का रहस्यमयी इतिहासइन पहाड़ी स्थलों से जुड़ा है, महाभारत काल का रहस्यमयी इतिहास

सरगुजा में अधिकतम जनसंख्‍या जनजातिय लोगों की है। पांडो और कोरवा, यहां की ऐसा जनजाति है जो जंगलों में निवास करती है। वही पूर्वजों का मानना है कि पांडव के वंशज, जो बाद में महाभारत के कौरवों के सदस्‍य बन गए थे, सरगुजा से जुड़े हुए थे। अपनी ऐतिहासिक और आदिवासी प्रभाव के अलावा, सरगुजा पर्यटकों की सैर के लिए प्रमुख स्‍थल है। सरगुजा में प्राचीन खंडहर और मंदिर की कलात्‍मक नक्‍काशी खुदी हुई है जो विस्‍तृत रूप में वहां दिखाई देती है। छत्‍तीसगढ़ को असंख्‍य झरनों के लिए जाना जाता है, सरगुजा भी उन झरनों वाले क्षेत्रों में से एक है।

अंबिकापुर

अंबिकापुर

अंबिकापुर सरगुजा जिले का मुख्यालय है और अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान एक बार यह गुजरात के राजसी राज्‍य की राजधानी भी रह चुकी है। अंबिकापुर का नाम, देवी अंबिका के या महामाया देवी के नाम पर रखा गया है जो इस जगह का मुख्‍य आकर्षण है। यह एक पहाड़ी पर बना है जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देता है।Pc: Ayazmaqbool

दीपादीह

दीपादीह

सरगुजा एक ऐसा स्‍थान है जहां कई मंदिर स्थित है। सरगुजा में दीपादीह, जिला मुख्‍यालय अम्बिकापुर से 70 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां एक शिव मंदिर है जो चार अन्‍य मंदिरों से घिरा हुआ है। भगवान विष्‍णु, भगवान कार्तिकेय, भगवान गणेश और देवी महादुर्गा के मंदिर भी आसपास ही स्थित है। तीनों भगवानों को भगवान शिव का रूप ही समझा जाता है। वे उनकी रक्षा और सेवा करते है। यहां कई खंडहर मंदिर भी स्थित है और कई टैंक भी बने हुए है जो द्रविड़ सम्राट पर प्रकाश डालते है।Pc:officialy page

देवगढ़

देवगढ़

देवगढ़, अम्बिकापुर से 40 किमी. की दूरी पर और सूरजपुर से 3 5 किमी. की दूरी पर स्थित है जो रिंहद नदी के तट पर स्थित है। देवगढ़, हिंदू धर्म के लोगों लिए प्रसिद्ध स्‍थल है। यहां भगवान शिव या बाबा भोलेनाथ का एक मंदिर है। शिवरात्रि के दौरान मंदिर में जागरण और भजन का भी आयोजन किया जाता है।Pc: vaticanus

कुदारगढ़

कुदारगढ़

सरगुजा के प्रमुख स्‍थलों में से ए‍क कुदारगढ़ अम्बिकापुर से 98 किमी. दूरी पर स्थित है जो सड़क मार्ग से भली - भांति जुड़ा हुआ है। अप्रैल माह में, चैत्र के दौरान, यहां नवरात्र को धूमधाम से मनाया जाता है। यह समय इस स्‍थल की सैर का सबसे उपयुक्‍त होता है। देवी कुदारगढ़ की मूर्ति यहां स्‍थापित है और उनकी पूजा ही की जाती है। यहां माना जाता है कि आप ईश्‍वर और देवी से जो भी मांगे वो मिलता जरूर है। यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर को 17 वीं सदी में कोरिया के शासक राजा बालांद द्वारा बनवाया गया था।Pc:Rakesh spur

सेमरसोत वन्‍यजीव अभयारण्‍य

सेमरसोत वन्‍यजीव अभयारण्‍य

सेमरसोत वन्‍यजीव अभयारण्‍य, अम्बिकापुर से 50 किमी. की दूरी पर स्थित 430.36 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। सेमरसोत वन्‍यजीव अभयारण्‍य रामगढ़ हिल्‍स पर स्थित है। इसकी सीमा बिहार से लगती है। कर्क रेखा इसी क्षेत्र से होकर गुजरती है। रिवराइन फॉरेस्‍ट, यहां पाएं जाने वाले वृक्षों की अन्‍य प्रजाति है। नीलगाय, चीतल, सांभर, चिंकारा, वाइल्‍ड वोर, फॉक्‍स, जंगली बिल्‍ली आदि भी इस अभयारण्‍य में पाएं जाते है।Pc:Mahesh Balasubramanian

तामोर पिंगला वन्‍यजीव अभयारण्‍य

तामोर पिंगला वन्‍यजीव अभयारण्‍य

तामोर पिंगला वन्‍यजीव अभयारण्‍य का नाम तामोर हिल और पिंगला नल्‍ला के नाम पर रखा गया है। वे इस क्षेत्र के प्राचीन और महत्‍वपूर्ण विशेषताओं वाले स्‍थल है। यह अंबिकापुर से 100 किमी. की दूरी पर स्थित है और सूरजपुर से 35 किमी. उत्‍तर में स्थित है। यह अभयारण्‍य 608.55 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ है जहां कई प्रकार के वृक्ष पाएं जाते है। साल और बेंत के वृक्ष सबसे ज्‍यादा यहां पाएं जाते है। बाघ, तेंदुआ, भालू, सांभर हिरन, नीले बैल, चीतल, जंगली भैंस और कई अन्‍य जानवर यहां पाएं जाते है। कई प्रकार के पक्षी और सरीसृप भी इस क्षेत्र में देखे जा सकते है। जून से नबंवर तक का दौर, इस अभयारण्‍य की सैर के लिए सबसे अच्‍छा होता है।Pc: USFWS Mountain-Prairie

कैसे आयें

कैसे आयें

हवाईजहाज द्वारा
सरगुजा का निकटतम हवाई अड्डा रायपुर हवाई अड्डे है जोकि 375 किमी दूर है । यहां से बड़े शहरों की उड़ानें उपलब्ध हैं।

ट्रेन द्वारा: सरगुजा का अपना रेलवे स्टेशन है, और यह छत्तीसगढ़, दिल्ली और बिहार राज्य में अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग से: दुर्ग, बिलासपुर और रायपुर से बसें आसानी से उपलब्ध हैं। निजी टैक्सी या कार सेवा आपको सरगुजा के विभिन्न पर्यटन स्थलों में भी स्थानांतरित कर सकती है।Pc: Harsha Vardhan

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