चेन्नई जिसे कभी मद्रास के नाम से जाना जाता था का शुमार भारत के सबसे प्राचीनतम शहरों में है। ये शहर ब्रिटिशों के ज़माने से ही अपनी एक ख़ास सभ्यता और संस्कृति के कारण जाना गया है। आज भी व्यापार, संस्कृति, शिक्षा और अर्थव्यवस्था के नजरिए से यह दक्षिण भारत के साथ-साथ देश का एक महत्वपूर्ण शहर है। वास्तव में चेन्नई को दक्षिण भारत की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर जाना जाता है।
आपको बताते चलें कि चेन्नई शब्द की उत्पत्ति तमिल शब्द चेन्नापट्टनम से हुई है। 1639 में अंग्रेजों ने सेंट जॉर्ज किले के पास इसी नाम से एक शहर की स्थापना की थी। 1639 में ही जब इस शहर को ईस्ट इंडिया कंपनी के फ्रांसिस डे को बेच दिया गया तो इसका नाम चेन्नई पड़ा।
चेन्नई का इतिहास काफी फूलता-फलता नजर आता है, क्योंकि यह दक्षिण भारत के कई साम्राज्य का अभिन्न अंग रहा है। ब्रिटिश राज के राजनीतिक इतिहास में चेन्नई की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और औपनिवेशिक काल से इसकी शुरुआत मानी जाती है।
आज हम आपको रू-ब-रू कराने जा रहे हैं चेन्नई के कुछ प्रमुख मंदिरों से तो अब जब आप अगली बार चेन्नई आइये तो इन मंदिरों की यात्रा अवश्य करिये।
कपालीश्वर मंदिर
कपालीश्वर मंदिर चेन्नई के उपनगर मलयापुर में स्थित है जिसका शुमार तमिलनाडु के सबसे पुराने मंदिरों में है। यह मंदिर भगवान शिव और पार्वती को समर्पित है। यहां पार्वती की पूजा करपागंबल के रूप में किया जाता है। इस मंदिर का नाम कपलम और ईश्वरर पर पड़ा है। कपलम का अर्थ होता है सर, जबकि इश्वरर भगवान शिव का दूसरा नाम है। हिंदू पौराणिक कथाओं के जब भगवान ब्राह्मा और भगवान शिव माउंट कैलाश की चोटी पर मिले तो ब्राह्मा भगवान शिव की श्रेष्ठता को पहचान नहीं पाया। इससे कुपित होकर शिव ने ब्राह्मा का सर पकड़कर खींच दिया। अपनी गलती को सुधारने के लिए ब्राह्मा मलयापुर आ गए और यहां उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की।
कालीकंबल मंदिर
चेन्नई कालीकंबल मंदिर जॉर्ज टाउन में थंबू छेट्टी स्ट्रीट में स्थित है। शहर का एक प्रमुख आर्थिक केन्द्र होने के कारण यह एक चर्चित स्थान है। यह मंदिर हिंदू देवी कालीकंबल को समर्पित है, जिसे भारत के कई हिस्सों में देवी कमाक्षी के रूप में भी पूजा जाता है। वर्तमान के कालीकंबल मंदिर को 1640 में उस समय बनवाया गया था जब मूल मंदिर नष्ट हो गया था। पुराना मंदिर समुद्र तट के किनारे था और ऐसा माना जाता है कि पुर्तगाली आक्रमणकारियों ने मंदिर को नष्ट किया था। स्थानीय पौराणिक कथा के अनुसार कभी इस मंदिर में देवी कमाक्षी के एक उग्र रूप की पूजा की जाती थी।
जगन्नाथ मंदिर
ओडीसा स्थित पुरी जाने वाले भगवान जगन्नाथ के श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए चेन्नई का जगन्नाथ मंदिर बनवाया गया था। ये मंदिर रेड्डी कुप्पम रोड पर स्थित है और यहां भगवान नगन्नाथ, देवी सुभ्रद्रा और भगवना बलराम की प्रतिमा रखी गई है। साथ ही इस मंदिर में भगवान योगनरसिम्हा की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
देवी करुमारीअम्मन मंदिर
देवी करुमारीअम्मन मंदिर चेन्नई के एक उपनगर तिरुवेरकाडू में स्थित है। तिरुवेरकाडू का अर्थ होता है- पवित्र जड़ी बूटी का जंगल। ऐसी मान्यता है कि प्रचीन समय में यह जंगल औषधीय पौधों के कारण काफी प्रसिद्ध था। कई सारे लोग औषधीय पौधे को लेने इस जंगल में आते थे। हालांकि आज इस जगह की प्रसिद्धी देवी करुमारीअम्मन मंदिर के कारण है।
मंगाडू कमाक्षी मंदिर
मंगाडू कमाक्षी मंदिर चेन्नई के एक उपनगर मंगाडू में स्थित है। यह मंगाडू बस स्टॉप से काफी करीब है। यह मंदिर देवी कमाक्षी अम्मन को समर्पित है और यहां इसकी पूजा शक्ति के रूप में होती है। हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और देवी पार्वती माउंट कैलाश पर खेल रहे थे। तभी देवी ने अपना हाथ शिव की आंख पर रख दिया। इससे पूरे विश्व में अंधेरा छा गया। देवी को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने शिव से माफी मांगी। भगवान शिव ने उनसे कहा कि वह धरती पर तपस्या करे। देवी पार्वती धरती पर आई और उन्होंने मंगाडू के पंचाग्नी में तपस्या शुरू की। वह अपने बाएं पैर पर खड़ी हो गई और अपना बायां हाथ सिर के ऊपर उठा लिया। साथ ही उन्होंने आपने बाएं हाथ में एक माला भी ले लिया। मंदिर में जो प्रतिमा रखी गई है, वह इसी मुद्रा में है।
पार्थसारथी मंदिर
चेन्नई के त्रिपलीकेन में बना पार्थसारथी मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर को 8वीं शताब्दी में बनवाया गया था। पार्थसारथी एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है अर्जुन का सारथी। महाभारत की लड़ाई में भगवान कृष्ण भी अर्जुन की सारथी का हिस्सा थे। त्रिपलीकेन स्थित भगवान कृष्ण का मंदिर राजा नरसिम्हावर्मण प्रथम द्वारा मान्यताप्राप्त था। मंदिर के अंदर भगवान विष्णु, कृष्णा, नरसिम्हा, राम और वराह के विभिन्न अवतारों को रखा गया है। भगवान राम और भगवान नरसिम्हा के तीर्थ स्थल के लिए अलग प्रवेश द्वार बना हुआ है।
मरुंडीस्वरा मंदिर
चेन्नई का ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है जिन्हें यहां मरुंडीस्वरा के रूप में पूजा जाता है। आपको बताते चलें कि तमिल भाषा में मरुंडु का मतलब दवा होता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने ही अगस्थ्य ऋषि को औषधि बनाना सिखाया था। इस मंदिर में आपको बीमार लोग ज्यादा दिखेंगे ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान लोगों कि बिमारियों को हर लेते हैं।
वाडापलानी मुरुगन मंदिर
वाडापलानी मुरुगन मंदिर पूरे भारत में चर्चित वाडापलानी मंदिर एक प्रचीन हिंदू मंदिर है। इस मंदिर को 17वीं शताब्दी के अंत में अन्नासम्य नेकर ने बनवाया था, जो कि भगवान मुरुगन का एक समर्पित अनुयायी था और उसमें अपनी जीभ काट के भगवान को समर्पित कर दी थी।
अष्टलक्ष्मी मंदिर
चेन्नई का अष्टलक्ष्मी मंदिर आठ हिंदू देवी को समर्पित है। इन सभी के बारे में माना जाता है कि यह धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की रूप है। देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी थी। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी हमारे जीवन में धन के विभिन्न रूपों, स्वास्थ्य, ज्ञान, संतान, शक्ति और शौर्य का ध्यान रखती है। अष्टलक्ष्मी देवी की पूजा हमेशा एक साथ करना चाहिए। यह मंदिर बसंत नगर समुद्र तट पर स्थित है और इसमें चार तल हैं। मंदिर में आठ देवी की प्रतिमा अलग-अलग तल पर रखी गई है। देवी की पूजा की शुरुआत दूसरे तल से होती है, जहां देवी महालक्ष्मी और महाविष्णु की प्रतिमा रखी गई है। तीसरे तल पर शांता लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी और गजालक्ष्मी का तीर्थस्थल है।