आप भारत में कहीं भी चले जाइये आपको वहां कुछ न कुछ ऐसा अवश्य मिल जाएगा जिसको जानकार आप भारत की बहुमूल्य और प्राचीन संस्कृति का अंदाज़ा लगा सकते हैं। आज भारत में मौजूद अनेकों किले, महल, मकबरे, मंदिर देश के अनोखे इतिहास को बखूबी बयां करते हैं। आज देश में कई ऐसी प्राचीन गुफाएं भी मौजूद हैं जिनको देखने के बाद आप इस बात का अनुमान लगा सकते हैं कि भारत को यूं ही सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और विविधताओं और विशेषताओं भरा नहीं कहा गया है।
यदि आप इन गुफाओं की यात्रा करें तो आपको मिलेगा कि जहां एक तरफ ये अपनी सुंदरता से देश दुनिया के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही हैं तो वहीं दूसरी ओर इतिहास को जानने और समझने वाले व्यक्तियों के लिए भी इनमें ऐसा बहुत कुछ है जिसकी उसे तलाश है। आपको बता दें कि आज देश में मौजूद इन गुफाओं का निर्माण किसी समय में जैन, हिंदू और बौद्ध साधुओं द्वारा अपने अपने धर्मों को आगे ले जाने के उद्देश्य से किया गया था।
तो इसी क्रम में आज अपने इस लेख के जरिये हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं भारत में मौजूद कुछ अत्यंत प्राचीन और खूबसूरत गुफाओं से। तो अब देर किस बात की आइये जानें कि आखिर देश में कहां कहां मौजूद हैं ये खूबसूरत गुफाएं।
दुंगेशवरी गुफा मन्दिर
खूबसूरत दुंगेशवरी गुफा मन्दिर, जिसे महाकला गुफाओं के नाम से भी जाना जाता है, एक बहुत ही पवित्र और आत्मीय स्थान है। पर्यटक दुंगेशवरी गुफा में शान्ति की तलाश में आते हैं। ये गुफा मन्दिर वही स्थान है जहाँ से बोधगया में ज्ञान प्राप्ति से पूर्व गौतम बुद्ध ने तपस्या की थी। यह मुख्य रूप से तीन गुफाओं से मिलकर बना है जिसमें हिन्दू और बौद्ध तीर्थ स्थल हैं।
ताबो मठ
तबो मठ को स्पीति घाटी में 960 ईसवी में एक महान विद्वान रिचेन जंगपो द्वारा स्थापित कराया गया था। ये स्थान बहुत ही सुन्दर है साथ ही ये जगह पर्यटकों के अलावा बौद्ध धर्म के मानने वालों के भी आकर्षण का केंद्र है। इस धार्मिक संस्थान को स्थापित करने का असल उद्देश्य ये था की बौद्ध धर्म के मानने वाले धार्मिक शिक्षा के अलावा और भी अन्य विषयों का ज्ञान प्राप्त कर सकें। बताया जाता है कि इस मठ ने 11 वीं और 20 वीं शताब्दी में अविश्वसनीय सफलता को प्राप्त किया साथ ही आज भी इस मठ की तिब्बती कला और उसके विकास को देख कर लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
उदयगिरि और खंडगिरि की गुफाएं
उदयगिरि और खंडगिरि की गुफाएं भुवनेश्वर के प्रमुख आकर्षण हैं। भुवनेश्वर से 8 किमी दूर स्थित इन दो पहाड़ियों का वातावरण काफी निर्मल है। उदयगिरि और खंडगिरि में कभी प्रसिद्ध जैन मठ हुआ करते थे। इन मठों को पहाड़ी की चोटी पर चट्टानों को काट कर बनाए गए कक्ष में चलाया जाता था। इन्हीं कक्षों को आज आप गुफा के रूप में देख सकते हैं। ये मठ काफी प्रचीन थे और इसका निर्माण ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में किया गया था। इन में से कुछ गुफाओं में नक्काशी भी की गई है। यहां एक दो तल्ला गुफा भी है जिसे रानी गुंफा के नाम से जाना जाता है। इस गुफा को ढेरों नक्काशियों से सजाया गया है। यहां एक और बड़ी गुफा है, जिसे हाथी गुंफा के नाम से जाना जाता है। उदयगिरि में जहां 18 गुफाएं हैं, वहीं खंडगिरि में 15 गुफाएं हैं।
गुफा मंदिर, बादामी
बादामी की यात्रा करने वाले पर्यटकों को बलुआ पत्थर से बने गुफा मंदिरों की सैर अवश्य करनी चाहिए। ये मंदिर अपनी सुंदर नक्काशियों के लिए जाने जाते हैं तथा इन नक्काशियों में पौराणिक तथा धार्मिक घटनाएं और शिक्षा दिखाई गई है। यहाँ चार मंदिर हैं जिनमें से गुफा मंदिर 1 सबसे प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण 5 वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में भगवान शिव के अर्धनारीश्वर और हरिहर अवतार की नक्काशियां की गई हैं तथा साथ ही साथ भगवान शिव का तांडव नृत्य करते हुए नटराज अवतार की भी नक्काशी है। दाहिनी ओर भगवान शिव का हरिहर अवतार है तथा बाईं ओर भगवान विष्णु का अवतार हैं। इस गुफा मंदिर की सैर करने वाले पर्यटक महिषासुरमर्दिनी तथा गणपति, शिवलिंगम और शन्मुख की मूर्तियाँ भी देख सकते हैं। गुफा मंदिर 2 भगवान विष्णु को समर्पित है जो वराह तथा त्रिविक्रम अवतार में यहाँ स्थापित हैं। इस मंदिर की छत पर पुराणों के दृश्य दिखाए गए हैं जिनमें भगवान विष्णु का गरुड़ अवतार दिखाया गया है।
अजंता और एलोरा की गुफाएं
महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले से 30 किमी दूर एक पुरातात्विक स्थल है जिसे एलोरा गुफाएं कहा जाता है। यह विश्व के विरासत स्थल में सूचीबद्ध है। माना जाता है कि यह गुफाएं राशत्राकुता राजवंश में बनवाई गई थी। इस गुफा में 3 भाग है जिनमें 34 गुफाएं बनी हुई है। तीनों भाग हिन्दू, बौद्ध, व जैन धर्म के लिए है। बौद्ध भाग में 12 गुफाएं, हिन्दू भाग में 17 और जैन भाग में केवल 5 गुफाएं है। यह सभी गुफाएं पुराने समय की बनी हुई नायाब कलाकृति है।
भीमबेटका
महाभारत के एक पौराणिक चरित्र भीम के नाम पर आधारित भीमबेटका भारत की प्राचीन गुफाओं में से एक है। इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। भीमबेटका गुफाएं एवं चट्टानों से बने आश्रय स्थल मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित हैं। ये चारों ओर से विंध्य पर्वत श्रेणी से घिरे हुए हैं। यहाँ 600 से भी अधिक गुफाएं हैं जिनमें विभिन्न चित्र हैं। इन चित्रों में प्राचीन व्यक्तियों की दैनिक गतिविधियों को दर्शाया गया है। मनुष्यों के चित्रों के अलावा कई गुफाओं में विभिन्न प्राणियों जैसे कि चीता, कुत्ता, छिपकली, हाथी, भैंस इत्यादि के रंगीन चित्र भी देखने को मिलते हैं। इन चित्रों को बनाने में प्रयोग किये गये सभी रंग प्राकृतिक हैं।