अगर आप समुद्र की लहरों को प्यार करते हैं तो आपको वेलास की ओर जरुर रुख करना चाहिए। महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में स्थित वेलास तीन ओर पहाड़ों से तो एकबार समुद्र से घिरा हुआ है।
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मराठा राजवंश के शासक और मंत्री नाना फडणवीस के गृहनगर और जन्मभूमि होने के कारण इस गांव को ऐतिहासिक महत्व हासिल है। वह पुणे में पेशवाओं के शासनकाल में कार्यरत थे।
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वेलास को एक भूला हुआ हॉलिडे डेस्टिनेशन कह सकते हैं, लेकिन इस जगह को पहचान तब मिली जब ऑलिव रिडले टर्टल के यहां अंडे मिले.. यहां आप कछुओं को अपने घोंसलों से निकलकर अरब सागर में जाने का रास्ता बनाते हुए देख सकते हैं।
कैसे पहुंचे वेलास
रेल मार्ग द्वारा : वेलास का निकटतम रेलवे स्टेशन है पुणे जंक्शन है जोकि यहां से 121 किमी दूर है। महराष्ट्र सहित यह स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से ये स्टेशन जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग द्वारा : वेलास आने का सबसे सही साधन सड़क मार्ग है। इस शहर की सड़कें दुरुस्त हैं और वेलास के लिए प्रमुख शहरों से नियमित बसें चलती हैं। मुंबई से वेलास की दूरी 225 किमी है।
आने का सही समय
वेलास में आप साल में कभी भी आ सकते हैं हालांकि, फरवरी और मार्च के महीने में आना सबसे सही रहता है। इस दौरान कछुओं को अपने घोंसलों से निकलकर अरब सागर में जाने का रास्ता बनाते हुए देख सकते हैं।
रूट मैप
मुंबई से वेलास तक दो रूट हैं जो इस प्रकार हैं :
रूट 1 : मुंबई - नवी मुंबई - रसायनी - दूरशेत - कोलाड - माणेगांव - गोरेगांव - मंदानगढ़ - मुंबई से वेलास - पुणे राजमार्ग
रूट 2 : मुंबई - नवी मुंबई - रसावनी - दूरशेत - रोहा - म्हसला - कोलमंडले - वेलास मुंबई - पुणे राजमार्ग और एसएच 92
अगर आप पहले रूट से जाते हैं जो मुंबई से वेलास के 225 किमी के रास्ते में 5 घंटे का समय लगेगा।
इस रूट पर आप महाराष्ट्र के कई लोकप्रिय शहर जैसे नवी मुंबई, दुरशेत और कोलाड आदि देख सकते हैं।
अगर आप दूसरे रूट से जाते हैं तो उसमें मुंबई से वेलास की 203 किमी दूरी में मुंबई-पुणे हाइवे और एसएच 92 से 5.5 घंटे का समय लगेगा।
दुरशेत पर कहां रूकें
पहले रूट से जल्दी पहुंच जाएंगें और इस रूट पर दुरशेत में भी रूक सकते हैं। वेलास से दुरशेत 150 किमी दूर है। यहां पर आप किले और मंदिर आदि को देख सकते हैं। इस जगह अष्टविनायक के दो मंदिर पाली का बल्लालेश्वर मंदिर और महाद का श्री वरद विनायक मंदिर स्थित है।
इन दो मंदिरों के अलावा पाली के किले भी देख सकते हैं और सरसगढ़ और सुधागढ़ के पहाड़ी किले भी दर्शनीय हैं। कुंडालिका नदी के तट पर वॉटर स्पोर्ट्स जैसे रैपेलिंग, रिवर राफ्टिंग और रिवर क्रॉसिंग आदि कर सकते हैं।PC:Borayin Maitreya Larios
गंतव्य : वेलास
समुद्रतटीय शहर होने के कारण वेलास में एक खूबसूरत तट भी है जहां मध्य नवंबर से लेकर मार्च से अप्रैल तक ऑलिव रिडले टर्टल देख सकते हैं। समुद्रतट के अलावा यहां बैंकोट किला भी देख सकते हैं।PC:Unknown
बैंकोट किला
बैंकोट किले को हिम्मतगढ़ भी कहा जाता है। मान्यता है कि 1545 में पुर्तगालियों से इसे आदिल शाह ने जीता था।
वैसे तो ये किला अब नष्ट हो चुका है लेकिन अब भी इसके शानदार अवशेषों को देखा जा सकता है। यहां भगवान गणेश का मंदिर भी स्थित है और किले के बाहरी क्षेत्र में कब्रिस्तान भी है।PC: Adityanaik
अन्य आकर्षण
अन्य प्रमुख आकर्षणों में से एक है भगवान शिव का हरिहरेश्वर मंदिर। ये मंदिर सावित्री और अरब सागर के संगम स्थल पर स्थित है।
इस मंदिर को दक्षिण का काशी भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर बड़ी संख्या में लोग अपने मृत संबंधियों के अंतिम अनुष्ठान करने आते हैं।PC:Ankur P