गणेश चतुर्थी, भारत में हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान गणेश को समर्पित है। यह त्योहार भारत में विभिन्न राज्यों में खासकर महाराष्ट्र में बड़े स्तर पर मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उनका जन्म इसी दिन हुआ था, इसलिए उनका जन्मदिवस, गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इस साल गणेश उत्सव 18 सितंबर 2023 को शुरू हो रहा है, जो कि 28 सितंबर को विसर्जन के साथ संपन्न होगा। कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश समेत सभी राज्यों में उत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। इस दिन भगवान अलग-अलग जगहों पर भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाती है, और आखरी दिन धार्मिक रीति रिवाजों के साथ जल में विसर्जित कर दी जाती है, इस विश्वास के साथ कि गणपति बाप्पा अगले साल हमारे कष्टो को हरने के लिए फिर आएंगे।
आठ गांवों में विराजमान हैं अष्टविनायक
इस लेख में आज हमारे साथ जानिए दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य स्थित कुछ प्रसिद्ध गणेश मंदिरों के बारे में, जहां के दर्शन आप गणेश चतुर्थी के दौरान कर सकते हैं।
उससे पहले गणेश उत्सव से जुड़े 5 तथ्य
प्रारंभिक इतिहास: गणेश चतुर्थी का आयोजन पहली बार पुणे के मराठा साम्राज्य के मराठा पेशवा बालाजी बाजीराव के समय में हुआ था, जब उन्होंने इसे सार्वजनिक स्वागत का त्योहार बनाया। यह त्योहार फिर महात्मा गांधी के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत किया गया था।
स्थापना पूजा: गणेश चतुर्थी के पहले दिन, भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करने का विशेष महत्व होता है। इसे 'स्थापना पूजा' कहा जाता है, और भक्त इस दिन गणेश की पूजा करते हैं।
गणेश विसर्जन: गणेश चतुर्थी का त्योहार 1 या 10 दिनों तक मनाया जा सकता है, जिसके बाद भगवान गणेश की मूर्ति को गंगा नदी या समुंदर में विसर्जित किया जाता है। इसे 'गणेश विसर्जन' कहा जाता है और यह त्योहार के अंत में होता है।
गणेश पंडाल: गणेश चतुर्थी के दौरान, लोग विभिन्न शृंगारिक मूर्तियों के साथ अलग-अलग पंडाल बनाते हैं, जिसमें गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है। ये पंडाल बड़े और आकर्षक होते हैं और लोग उन्हें दर्शन करने आते हैं।
सोने की मूर्ति: पुणे के श्री कास्तूरचंद गणपति मंदिर में, भगवान गणेश की मूर्ति सोने से बनाई जाती है। यह मंदिर भारत में एकमात्र सोने के गणेश मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है और यहाँ के गणेश को 'सोना गणपति' के नाम से जाना जाता है।
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पंच मुखी गणेश मंदिर, बैंगलोर
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गणेश चतुर्थी के खास अवसर आप कर्नाटक राजधानी शहर स्थित पंच मुखी गणेश मंदिर के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। यह एक प्रसिद्ध मंदिर जो, शहर के हनुमंतनगर में कुमारा स्वामी देवस्थान के पास स्थित है। यहां भगवान गणेश की अद्भुत पंच मुखी प्रतिमा स्थापित है, इसलिए इस मंदिर का नाम पंचमुखी रखा गया है। यह मंदिर बाकी गणेश मंदिरों से अलग है, क्योंकि यहां भगवान का वाहन मूषक नहीं बल्कि शेर है।
यहां गणपित की पूजा, प्राचीन रीति रिवाजों के साथ की जाती है। यह राज्य के चुनिंदा कुछ मंदिरों में से एक है, जहां पूजा के प्राचीन कर्म-कांड का अनुसरण किया जाता है। अपनी धार्मिक यात्रा को खास बनाने के लिए आप यहां आ सकते हैं।
महा गणपति महामाया मंदिर (बेंगलुरु से 438 km)
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पंच मुखी गणेश मंदिर के अलावा आप राज्य के उत्तर कन्नड जिले स्थित महा गणपित महामाया मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर यहां के गौड़ सारस्वत ब्राह्मण समाज के कुल देवता का मंदिर है। यह मंदिर उत्त्तर कन्नड के शिराली में स्थित है, जहां के भटकल से आसानी से पहुंचा जा सकता है। जानकारी के अनुसार भगवान गणेश का यह मंदिर काफी पुराना है, जो 400 साल पहले बनाया गया था और 1904 में इसकी मरम्मत की गई थी।
जानकारी के अनुसार यह मंदिर उन प्रवासियों द्वारा बनवाया गया था, जो 400-500 साल पहले गोवा से यहां आकर बस गए थे। यहां महागणपति और श्री महामाया की मुर्ति स्थापित है। कुछ अलग अनुभव के लिए आप इस प्राचीन मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।
गणेश मंदिर, इदागुनजी (बेंगलुरु से 490km )
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कर्नाटक के प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में आप उत्तर कन्नड के इदागुनजी मंदिर नगर स्थित श्री विनायक देवारू मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह राज्य का प्रसिद्ध गणेश मंदिर है, जहां सालाना लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। यह भारत के पश्चिमी तट के 6 प्रसिद्ध गणपति मंदिरों में भी गिना जाता है। यह महत्वपूर्ण मंदिर है, जिसे द्वापर युग के अंत और कलयुग की शुरुआत के मध्य के समय से जोड़ कर देखा जाता है।
माना जाता है कि इदागुनजी के गणेश देवता हवयक ब्राह्मण के कुलदेवता हैं। यह दक्षिण भारत स्थित प्रसिद्ध गणेश मंदिर, जहां दर्शन के लिए आपको जरूर जाना चाहिए।
अनेगुड्डे विनायक मंदिर (बेंगलुरु से 405km)
कर्नाटक स्थित गणेश मंदिरों की श्रृंखला में आप उडपी जिले स्थित अनेगुड्डे विनायक मंदिर के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। यह मंदिर यहां के कुंभासी गांव में स्थिति है, माना जाता है कि गांव का नाम कुंभासुर नाम के दैत्य के नाम से पड़ा, जो यहां मारा गया था। पौराणिक किवदंती के अनुसार अगस्त्य ऋषि यहां यज्ञ करने के लिए आए थे, उसी दौरान कुंभासुर नाम का एक दानव यहां आया और यज्ञ में विंघ्न डालने लगा।
अगस्त्य ऋषि की रक्षा करने के लिए भगवान गणेश ने भीम को दिव्य अस्त्र देकर भेजा, फलस्वरूप वो दानव बलशाली भीम के हाथो मारा गया। यहां भगवान गणेश सिद्धी विनायक के नाम से भी जाने जाते हैं। गणेश भगवान का यह मंदिर कर्नाटक के तटीय क्षेत्र के अंतर्गत 7 मुक्ति स्थलों में गिना जाता है।
हत्तीनगढ़ी विनायक मंदिर (बेंगलुरु से 402km)
उपरोक्त मंदिरों के अलावा आप राज्य के उडपी जिले स्थित हत्तीनगढ़ी विनायक मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर जिले के हत्तीनगढ़ी गांव में स्थित है, और 8वीं शताब्दी से संबंध रखता है। यह मंदिर दक्षिण भारत के प्रसिद्घ गणेश तीर्थस्थलों में भी गिना जाता है, जहां रोजाना दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगती है। माना जाता है कि हत्तीनगढ़ी अलुप राजाओं की राजधानी था, जो सातवी से लेकर आठवी शताब्दी के मध्य तुलुनाडु में राज किया करते थे।
भगवान गणेश का यह मंदिर यहां की वराही नदी के तट पर बना हुआ है। मंदिर के आसापास के प्राकृतिक दृश्य देखने लायक है। आत्मिक और मानसिक शांति का अनोखा अनुभव प्राप्त करने के लिए आप यहां आ सकते हैं।