दावणगेरे दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक का एक महत्वपूर्ण शहर है, जो अपने प्राकृतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। कपास का बड़ा केंद्र रह चुका है यह शहर कभी कर्नाटक का मैनचेस्टर कहा जाता था, हालांकि अब यह वाणिज्यिक केंद्र शिक्षण संस्थानों और एग्रो प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के एक बड़े हब के रूप में उभर रहा है। दावणगेरे 1997 को एक अलग जिला बनकर सामने आया जब इसे प्रशासनिक सुविधाओं के लिए चित्रदुर्ग के भूतपूर्व अविभाजित जिले से अलग किया गया।
अपनी खास भौगोलिक स्थित के लिए भी शहर काफी प्रसिद्ध है, यहां के पारंपरिक व्यंजन भी पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। इस लेख के माध्यम से जानिए अपने विभिन्न पर्यटन स्थलों के साथ दावणगेरे आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।
कुंडुवाड़ा केरे
दावणगेरे भ्रमण की शुरुआत आप यहां के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कुंडुवाड़ा केरे से कर सकते हैं। कुंडुवाड़ा केरे एक प्रमुख पिकनिक स्पॉट है जो पुणे-बैंगलोर एनएच - 4 बाईपास रोड के पास स्थित है। वीकेंड पर यहां पर्यटकों का आवागमन लगा रहता है। यहां का जलाशय भी मौजूद है, जो इस स्थल को खास बनाने का काम करता है। यहां से सूर्यादय और सूर्योदय के दृश्य काफी खूबसूरत नजर आते हैं। यह जलाशय शहर के लिए जलापूर्ति का काम भी करता है।
लगभग 253 एकड़ में फैला यह जलाशय का इस्तेमाल जल संरक्षण के लिए भी किया जाता है। एक शानदार अनुभव के लिए आप यहां आ सकते हैं, यहां के प्राकृतिक नजारे पर्यटकों को काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं।
ईश्वर मंदिर
दावणगेरे अपने धार्मिक स्थानों के लिए भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। आप यहां के लोकप्रिय ईश्वर मंदिर के दर्शन का सौभाग्यट प्राप्त कर सकते हैं। यह मंदिर बागली गांव में स्थित है, जो हरपनहल्ली नगर से 6 कि.मी की फासले पर है। मंदिर की वास्तुकला देखने लायक है, जिसे हौसला शैली में बनाया गया है। मंदिर के निर्माण में मिट्टी और प्लास्टर का उपयोग भी किया गया है। साउथ सेल के ध्वस्त होने के बाद मंदिर में केवल दो सेल ही बची हैं।
मंदिर की दीवारों और प्रवेशद्वारों को आकर्षक आकृतियों से सजाया गया है। आप यहां भगवान शिव की मूर्ति देख सकते हैं। इस मंदिर में भोलेनाथ के अलावा भगवान विष्णु, सुब्रमण्यम, भगवान ब्रह्मा और गणेश भगवान की भी मूर्तियां स्थापित है।
बाथी गुड्डा
इन स्थलों के अलावा आप यहां के अन्य पर्यटन स्थल बाथी गुड्डा की सैर का प्लान बना सकते है। यह एक पहाड़ी चोटी है, जो हरिहर से 5 कि.मी की दूरी पर स्थित है। यह पहाड़ी स्थल अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के साथ-साथ पक्षी विहार के लिए भी जाना जाता है। हरिहर और दावणगेरे शहरों के पर्यटक यहां वीकेंड पर सुकून भरा समय बिताने के लिए आते हैं।
यह पहाड़ी एक प्राचीन हिंदू मंदिर और चमन शाह वाली की दरगाह का निवास स्थान भी है। मंदिर के परिसर में विभिन्न फूलों के पौधे भी लगे है। वार्षिक उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में यहां भक्तों और पर्यटकों का आगमन होता है।
बेतुर
PC- Dineshkannambadi
दावणगेरे स्थित बेतुर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाला एक प्रसिद्ध स्थल है, जो दावणगेरे-जगलूर रोड पर जिला मुख्यालय से लगभग 6 किमी की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि यह स्थल कभीमध्यकालीन काल के दौरान त्रिभुवन मल्ला पांड्य की राजधानी थी। एक बड़ा भौगोलिक क्षेत्र अपने में समाए हुए बेतुर एक इतिहास प्रेमी के लिए किसी खजाने से कम नहीं। इस क्षेत्र का इस्तेमाल राजाओं द्वारा अपने पशुओं को रखने के लिए भी किया जाता था।
इसके अलावा आप यहां के प्रसिद्ध शिव मंदिर को भी देख सकते हैं, जो चालुक्य शैली की सुंदरता का प्रतिनिधित्व करता है। नए गंतव्य की तलाश करने वाले पर्यटक यहां आ सकते हैं।
बागली
PC- Dineshkannambadi
उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां के अन्य महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बागली में आ सकते है। बागली हरपनहल्ली के के पास स्थित है और 9वीं शताब्दी के संबंध रखने वाले कालेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। चालुक्य वास्तुकला शैली में बनाया गया यह मंदिर चारों तरफ से पंचलिंग मंदिरों से घिरा हुआ है। मंदिर का मुख्य भाग भगवान उगरा नरसिंह की नक्काशीदार मूर्ति को दर्शाता है, जबकि मंदिर की बाहरी दीवारों को जटिल आकृतियों और पत्थर की नक्काशी के साथ सजाया गया है।