उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में शामिल बिजनौर अपने सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। पर्यटन के लिहाज से जिले के आसपास कई ऐसे स्थल हैं जिन्हें सुविधाजनक यातायात माध्यमों के द्वारा आसानी से देखा जा सकता है। नए स्थलों की तलाश कर रहे दार्शनिक खोजी यहां आकर आनंद का अनुभव कर सकते हैं। सैलानी यहां ऐतिहासिक किले, भव्य मंदिर, अभयारण्य, आश्रम और नदियों के रमणीय दृश्यों का लुफ्त उठा सकते हैं। इन स्थलों के महत्व, विशेषताओं से संबंधित जानकारी के लिए इस लेख को जरूर पढ़ें।
दारानगर गंज
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दारानगर गंज अपने पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है, जानकारों के मुताबिक इस स्थल का संबंध महाभारत काल से है। कहा जाता है कौरवो-पांडवो के मध्य युद्ध छिड़ने से पहले हस्तिनापुर की महिलाओं और बच्चों को यहां स्थित विदुर कुटी के संरक्षण में यहां बसाया गया था। हस्तिनापुर की महिलाओं के यहां बसने से कारण इस स्थल का नाम पड़ा 'दारानगर'। धार्मिक-सास्ंकृतिक दृष्टि से यह स्थल पर्यटकों के मध्य काफी प्रसिद्ध है। अगर आप इस दौरान पर्यटन के धार्मिक पहलु को अपने अंदर जगह देना चाहते हैं तो यह स्थल आपके लिए यादगार साबित हो सकता है।
कैसे पहुंचे दारानगर
दारानगर पावन स्थल बिजनौर से 12 किमी की दूरी पर स्थित है, यहां पहुंचने के लिए आप बस या टैक्सी किसी का भी सहारा ले सकते हैं। बिजनौर जिला लखनऊ रेल मार्ग/सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है इसलिए यहां आने के लिए आपको ज्यादा तकलीफ उठाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर आप रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो आप लखनऊ से चंडीगढ़ लखनऊ एक्सप्रेस (15012) के जरिए यहां पहुंच सकते हैं।
विदुर कुटी
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बिजनौर से 11 किमी की दूरी पर स्थित विदुर कुटी उत्तर प्रदेश के धार्मिक पर्यटक स्थलों में शामिल है, जिसका संबध महाभारत काल से है। कहा जाता है कौरवो-पांडवो के बीच महाभारत युद्ध के पहले विदुर ने हस्तिनापुर की महिलाओं को सुरक्षित आश्रय देने के लिए यहीं एक कुटी की स्थापना की थी। बता दें कि विदुर की गिनती महाभारत काल के कुशल मनीषियों में होती है। विदुर कौरवो-पांडवो के काका और धृतराष्ट्र-पाण्डु के भाई थे। उत्तर-प्रदेश के धार्मिक स्थानों की खोज में निकले पर्यटक यहां आकर आनंद की अनुभूति कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
विदुर कुटी तक पहुंचने के लिए आपको बिजनौर से 11 किमी का सफर तय करना होगा। यहां तक पहुंचने के लिए सुविधाजनक सड़क मार्ग मौजूद है। आप यहां बस या टैक्सी के सहारे पहुंच सकते हैं। बिजनौर सड़क/ रेल मार्ग लखनऊ से जुड़ा हुआ है इसलिए आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। अच्छा होगा आप यहां दिन के वक्त आएं। यहां देर शाम रूकना थोड़ा तकलीफ भरा हो सकता है। अगर आप चाहें तो रात्रि विश्राम वापस बिजनौर में आकर कर सकते हैं।
नजीमाबाद
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दारानगर और विदुर कुटी के बाद अगर आप चाहे तो नजीमाबाद में स्थित ऐतिहासिक 'नजीब उद दौला फोर्ट' के अद्भुत दृश्यों का लुफ्त उठा सकते हैं। बता दें पर्यटन की दृष्टि से नजीमाबाद को 'हिमालय का द्वार' भी कहा जाता है। नवाब नजीब उद दौला द्वारा बसाए गए इस शहर को ऐतिहासिक महत्व देता यहां खड़ा ये किला पर्यटकों के मध्य खास आकर्षण का केंद्र है। ऐसा कहा जाता है यह फोर्ट ब्रिटिश काल के दौरान डाकू सुल्ताना के छिपने की जगह बन गया था। शायद इसलिए पर्यटक यहां आना ज्यादा पसंद करते हैं।
कैसे पहुंचे
नजीमाबाद शहर बिजनौर से मात्र 37 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं। यह शहर सड़क और रेल मार्ग दोनों से जुड़ा है। बिजनौर से आप मसूरी एक्सप्रेस(14041) के जरिए मात्र 55 मिनट में यहां पहुंच सकते हैं। अगर आप चाहें तो यहां बस या टैक्सी के सहारे भी यहां तक का सफर तय कर सकते हैं।
जहानाबाद
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बिजनौर के आसपास मौजूद ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों में शुमार जहानाबाद घूमने के लिहाज से बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। यह शहर भारत में मुगल शासकों के आगमन के बाद अपने अस्तित्व में आया । बता दें कि इस शहर के पीछे एक ऐसा इतिहास जुड़ा है जिससे ज्यादा लोग वाकिफ नहीं। कहा जाता है एक बार किसी जहरीले सर्प ने मुगल बादशाह शाहजहां की बेगम को जख्मी कर दिया था, जिसके बाद वहां के किसी संत से सांप के जहर का शिकार बनी शाहजहां की बेगम की जान बचाई थी। बादशाह ने खुश होकर तोहफे से तौर पर जहानाबाद शहर उस संत के नाम कर दिया।
कैसे पहुंचे
जहानाबाद शहर बिजनौर से 39 किमी (NH34) दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए आपको बिजनौर से बस या टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी। अगर आप रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो आप लखनऊ से चंडीगढ़ लखनऊ एक्सप्रेस (15012) के जरिए यहां पहुंच सकते हैं।