ओडिशा स्थित भद्रक राज्य का एक महत्वपूर्ण शहर है, जो अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। इस शहर का नाम मां भद्रकाली के नाम पर पड़ा है, जिनका एक मंदिर यहां सालंदी नदी के किनारे स्थित है। शहर के अतीत पर नजर डालने से पता चलता है, कि यह शहर कभी मुगल काल के दौरान एक महत्वपूर्ण प्रांत हुआ करता था। जिसके बाद यह कई शक्तिशाली शासकों के अधीन चला गया।
यहां की यात्रा कई मायनों में आपके लिए खास हो सकती है, आप यहां यात्रा के दौरान प्राचीन स्थलों, मंदिर और समुद्री किनारों को देख सकते हैं। साथ ही ओडिशा की लोक संस्कृति यहां के पारंपरिक व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं। इस लेख के माध्यम से जानिए यह ऐतिहासिक स्थल आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।
भद्रकाली मंदिर
PC- Lincon Mishra
भद्रक भ्रमण की शुरुआत आप यहां के सबसे प्रसिद्ध भद्रकाली मंदिर के दर्शन से कर सकते हैं। यह गांव मुख्य शहर से 8 कि.मी की दूरी पर अहरपाड़ा गांव में स्थित है। यह मंदिर इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है कि यहां की देवी के नाम से शहर का नामकरण हुआ है। यह मंदिर हर सुबह श्रद्धालुओं के लिए सुबह 6.30 बजे से दोपहर 1 बजे तक और फिर 3 बजे से रात के 9.30 बजे तक खुला रहता है।
यहां मां काली की पूजा भद्रकाली के रूप में की जाती है। यहां देवी की मूर्ति ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर से बनी है, और देवी यहां शेर पर बैठी हुई नजर आती हैं। अगर आप भद्रक आएं, तो यहां देवी के दर्शन करना न भूलें।
अखण्डलमानी
PC- Odisha1
भद्रकाली मंदिर के अलावा आप यहां के अन्य प्रसिद्ध मंदिर अखण्डलमानी के दर्शन कर सकते हैं। भद्रक से लगभग 52 किमी दूर पर यह मंदिर आरडी में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। यहां भोलेनाथ को 'बाबा अखण्डलमानी' के नाम से संबोधित किया जाता है। मंदिर के इतिहास पर नजर डालें, तो पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण कोनिका के राजा श्री हरिहर भांजा उनकी रानी सत्यभाामा के द्वारा किया गया था।
यह मंदिर लगभग 150 फीट ऊंचा है, जिसके निर्माण के लिए खास पत्थर ललितगिरि पहाड़ियों से लाए गए थे। माना जाता है कि मंदिर का मुख्य प्रवेश कक्ष श्री नारसिंह प्रताप कुमार नामक ऋषि द्वारा बनाया गया था । मंदिर की आसपास की दीवारों को बनाने का काम श्री दर्शन शेखर दास नामक प्रसिद्ध ऋषि द्वारा किया गया था।
धामरा पोर्ट
PC- Saileshpat
धार्मिक स्थानों के अलावा आप यहां के अन्य पर्यटन स्थलों की सैर का प्लान बना सकते हैं। आप यहां धामरा पोर्ट को देखने के लिए आ सकते हैं। धामरा पोर्ट कनिका पैलेस से करीब 5 किमी दूर पर वैतरणी नदी के तट पर एक प्राचीन बंदरगाह है। अतीत की याद ताजा करने के लिए यहां एक टावर और कुछ प्राचीन संरनचाएं बनी हुई हैं।
जिन्हें आप यहां आकर देख सकते हैं। भ्रद्रक भ्रमण के दौरान आप यहां की यात्रा कर सकते हैं। खासकर इतिहास प्रेमियों के लिए यह स्थल काफी ज्यादा मायने रखता है।
रक्त तीर्थ
PC- Ssgapu22
उपरोक्त स्थलों के अलावा आप भद्रक जिले के वासुदेवपुर से 16 किमी दूर स्थित रक्त तीर्थ को देख सकते हैं। यह स्थल भारत के इतिहास के काफी गहराई से जुड़ा हुआ है। इसे बलिदान स्थल भी कहते है। इस भू-खंड एक बंगाल की खाड़ी और स्थानीय दो नदियों से घिरा हुआ है। माना जाता है कि इस स्थल का इस्तेमाल भारत के स्वतंत्रता सेनानी एक सुरक्षित गढ़ के रूप में किया करते थे। नदियों से घिरे होने के कारण यहां पुलिस या किसी प्रशासनिक अफसर का यहां आना मुमकिन नहीं था। चारों तरफ से सुरक्षित होने के कारण इस स्थल पर अकसर क्रांतिकारियों की गुप्त सभाएं लगती थीं।
माना जाता है कि इस अचानक पुलिस का आगमन हो गया था, जिसके बाद यहां पुलिस द्वारा अंधाधुंध गोलियां जलियांवाला बाग हत्याकांड की तरह चलाई गईं, जिसमें कई बेकसूर लोग मारे गए। इस बड़े हत्याकांड के बाद इस स्थल को दूसरा 'जलियांवाला बाग' कहा जाने लगा।
कैसे करें प्रवेश
भद्रक ओडिशा का एक प्रसिद्ध नगर है, जहां आप तीनों मार्गों से आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा भुवनेश्वर एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप भद्रक रेलवे स्टेशन का सहार ले सकते हैं। अगर आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। बेहतर सड़क मार्गों से भद्रक शहर के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।