मध्य प्रदेश की धरती पर लंबे समय तक कई राजवंशों और साम्राज्यों का शासन रहा है। इस दौरान इस राज्य में कई सांस्कृतिक स्थलों का निर्माण किया गया था। मध्य प्रदेश में स्थित कतनी को घूमने की दृष्टि से ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है लेकिन इस छोटे-से कस्बे का इतिहास और शानदार इमारतें महाकौशल, बुंदेलखंड और बघेलखंड के समय की याद दिलाती हैं। देश के सबसे लंबे रेल जंक्शन वाले कतनी में अनेक दर्शनीय स्थल हैं और ये शहर कतनी नदी के तट पर बसा है।
कतनी के नाम के पीछे एक दिलचस्प ऐतिहासिक कथा प्रचलित है। इतिहास के अनुसार कतनी नामक गांव उन बहादुर लोगों को समर्पित किया गया था जो दूसरों के सिर काटते थे। ब्रिटिश काल से भी कुछ ऐसी ही कहानी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि कतनी वो जगह है जहां वे विद्रोहियों और लुटेरों के सिर काट देते थे और लोगों को डराने के लिए उन्हें चौक पर लटका देते थे।
मध्य प्रदेश के इस छोटे-से कस्बे की ना केवल संस्कृति मशहूर है बल्कि इसके ऐतिहासिक स्थल और इमारतें भी आपको मध्य प्रदेश के इतिहास के बारे में जानने में मदद करेंगी। आइए जानते हैं कतनी की उन जगहों के बारे में जो इस कस्बे को ऐतिहासिक बनाती हैं।
कतनी के दर्शनीय स्थल
विजयराघवगढ़ किला
कतनी से 1 घंटे की ड्राइव की दूरी पर स्थित है ऐतिहासिक विजयराघवगढ़ किला। इस किले में भगवान विजयराघव का मंदिर भी है और ये इस राज्य का सबसे प्राचीन और सबसे सुंदर किला है। सन् 1820 में बने इस किले का निर्माण चूना और बलुआ पत्थर से करवाया गया था। पिछले कुछ सालों में इस किले में कई बदलाव किए गए हैं।
1857 के विद्रोह ने इस ऐतिहासिक किले के अद्भुत वास्तुशिल्प को खराब कर दिया था लेकिन इसकी दीवारें आज भी समृद्ध इतिहास और संस्कृति की गाथाएं गाती हैं। यहां पर अंताह पुरम, गुप्त द्वार, समाधि स्थल, रंग महल, विजयराघव गढ़ में सीता मंदिर आदि देख सकते हैं।
बहोरीबंद
कतनी में दर्जनों मंदिर हैं। बहोरीबंद में 12 फीट ऊंची जैन तीर्थांकारा शांतिनाथ की मूर्ति स्थापित है। पर्यटकों के बीच ये मूर्ति अत्यंत अध्यात्मिक महत्व रखती है। प्राचीन समय के शासकों द्वारा इस मूर्ति का निर्माण करवाया गया था। इस जगह पर सूर्य देवता और भगवान नारायण शैशयनी की भी मूर्ति स्थापित है। बहोरीबंद में कई मूर्तियां और नक्काशियां हैं। इकसे अलावा यहां भगवान विष्णु के दस अवतारों के चित्र भी हैं।
रूपनाथ
कतनी के स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के बीच रूपनाथ एक पवित्र धार्मिक स्थल है। अद्भुत वास्तुकला और पौराणिक महत्व रखने वाली इस मंदिर की दीवारें अद्भुत हैं। मंदिर के केंद्र में भगवान शिव की पंचलिंगा मूर्ति स्थापित है।
रूपनाथ मंदिर में तीन कुंड या तालाब भी स्थित हैं जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करते हैं। इन कुंडों में सबसे ऊपर राम कुंड है फिर बीच में लक्ष्मण कुंड और फिर सबसे नीचे सीता कुंड है। मान्यता है वनवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने कुछ समय यहां बिताया था।
जागृति पार्क
कतनी में कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक इमारते हैं। यहां की मूर्तियां आपको इस जगह के समृद्ध इतिहास का अहसास दिलाएंगी। जागृति पार्क भी कुछ ऐसा ही है जहां पर इतिहास को वर्तमान में पिरोया गया है। यहां पर बड़ी ही खूबूसरती से पेड़ों को लगाया गया है और यहां पर डक ट्रेन और साइंस पार्क भी है। पार्क में खाने और मनोरंजन की व्यवस्था की गई है। दोस्तों और परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए ये जगह बेहतरीन है।
बिलहरी
कतनी का आर्कियोलॉजिकल कॉप्लेक्स है बिलहरी जहां पर कई ऐतिहासिक अजूबे मौजूद हैं। इस जगह के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के बारे में बात करते हुए बिलहरी के मंदिरों को कैसे भूल सकते हैं। पहले बिलहरी को पुष्पवटी के नाम से जाना जाता है। इस जगह पर सदियों पुरानी मूर्तियां मौजूद हैं। बिलहरी में हिंदू देवता भगवान शिव और भगवान विष्णु के अनेक मंदिर हैं।
कैसे पहुंचे कतनी
वायु मार्ग द्वारा: कतनी का नजदीकी एयरपोर्ट जबलपुर में है जोकि कतनी से 100 किमी दूर है।
रेल मार्ग द्वारा: कतनी में रेलवे स्टेशन है जिसे देश का सबसे बड़ा और व्यस्ततम रेलवे जंक्शन कहा जाता है। इसलिए कतनी पहुंचने का सबसे सही रास्ता रेल मार्ग ही है। देश के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों से कतनी के लिए नियमित ट्रेनें चलती हैं।
सड़क मार्ग द्वारा: वाराणसी, नागपुर, भोपाल, रायपुर, इलाहाबाद, हैदराबाद और बैंगलोर से कतनी सड़क मार्ग के ज़रिए जुड़ा हुआ है। देश का सबसे लंबा नेशनल हाईवे 7 स शहर से होकर गुज़रता है।
आने का सही समय
सर्दी के मौसम यानि अक्टूबर से मार्च के बीच कतनी आना सही रहता है। इस दौरान कतनी का मौसम बहुत सुहावना रहता है और यहां पर दशहरे के पर्व का आयोजन भी किया जाता है।