कर्नाटक की खूबसूरती के बारे में जितना व्याख्या किया जाए, उतना कम है या यूं कह सकते हैं कि इसके बारे में सही से बताने के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे। यहां के हरियाली से भरपूर जंगल, हरी-भरी वादियां, झरने, धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल इसकी खूबसूरती बयां करते हैं। कुछ ऐसा ही यहां का जोग फॉल्स, गोकर्ण और मुरुदेश्वर, जहां प्राकृतिक खूबसूरती से लेकर धार्मिक व ऐतिहासिक खूबसूरती का समावेश देखने को मिलता है। अगर आप बैंगलोर शहर या उसके आसपास रहते हैं तो आपको कर्नाटक के जोग फॉल्स, गोकर्ण और मुरुदेश्वर की सैर जरूर करनी चाहिए।
बैंगलोर से जोग फॉल्स का सफर
बैंगलोर से करीब 430 किमी. दूर स्थित जोग वॉटरफॉल्स भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया के भी सबसे सुंदर फॉल्स में से एक है। मानसून के दिनों में जोग फॉल्स इतना खूबसूरत दिखाई देता है कि पर्यटक इसकी ओर खींचे चले आते हैं। यह वॉटरफॉल्स शरावती नदी पर बना है और देश के 10 सबसे ऊंचे जलप्रपातों में इसकी गिनती की जाती है। यहां पर बैठकर ऊपर से गिरते पानी के बौछारों का आनंद लेना मानिए जैसे ट्रिप की सारी थकान को मिटा देता है। यहां पास में ही शरावती वन्यजीव अभयारण्य है। जहां हरियाली से भरे प्राकृतिक नजारों को आप बैठकर निहार सकते हैं। अगर आपके पास थोड़ा और समय है तो इसके आसपास होन्नामारादु, तुंगा एनीकट डैम और लायन-टाइगर रिजर्व की सैर भी आप कर सकते हैं।
जोग फॉल्स से गोकर्ण की यात्रा
जोग फॉल्स से करीब 110 किमी. दूर स्थित गोकर्ण एक प्राचीन हिंदू तीर्थस्थल है, जो तीन ओर ऊंचे पहाड़ियों और एक ओर समुद्र से घिरा हुआ है। गोकर्ण में आप तीर्थस्थल और पर्यटन दोनों का आनंद ले सकते हैं। यहां छोटे-बड़े कई मंदिर है, जिनमें मुख्य रुप से- महाबलेश्वर मंदिर, आदि-गोकर्ण मंदिर, स्कंदेश्वर मंदिर, वीरभद्र मंदिर, ताम्र गौरी मंदिर शामिल है। इसके अलावा आप यहां समुद्री किनारों का भी आनंद ले सकते हैं। इनमें गोकर्ण समुद्रतट, कुडले समुद्रतट, ॐ समुद्रतट जैसे बीच शामिल है।
गोकर्ण से मुरुदेश्वर की सैर
गोकर्ण से करीब 80 किमी. दूर स्थित मुरुदेश्वर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है, जो तीन ओर समुद्र से घिरा हुआ है। समुद्री क्षेत्र होने के चलते इसके आसपास का नजारा बेहद खूबसूरत है। दरअसल, मुरुदेश्वर में भगवान में शिव को समर्पित एक मंदिर है, जिसमें भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा है, जो यहां का मुख्य आकर्षण है। करीब 123 फीट ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा विश्व की दूसरी सबसे ऊंची शिव प्रतिमा मानी जाती है।