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करीब 1400 साल पुराना है कर्नाटक का वीरुपाक्ष मंदिर, जानें मंदिर से संबंधित पूरी जानकारी

कर्नाटक के हम्पी में मौजूद वीरुपाक्ष मंदिर राज्य के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। पौराणिक कथाओं की मानें को हम्पी को ही रामायण काल में किष्किंधा कहा जाता है।

दक्षिण भारत अपनी खूबसूरती और मंदिरों के लिए जाना जाता है, जिनकी वास्तुकला और इतिहास आज भी लोगों को आश्चर्य में डाल सकता है। कर्नाटक का हम्पी शहर भी कुछ ऐसा ही है। यहां कई सारे मंदिर है, जिनका अपना-अपना इतिहास है। इसी में से एक है, यहां का वीरुपाक्ष मंदिर। बैंगलोर से करीब 350 किमी. दूर तुंगभद्रा नदी के किनारे पर स्थित वीरुपाक्ष मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। इस मंदिर में विराजित शिवलिंग दक्षिण की ओर झुका हुआ है।

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं की मानें तो हम्पी ही वो शहर है, जिसे रामायण काल में किष्किंधा कहा जाता था। कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने आशीर्वाद के रूप में रावणक को एक दिव्य शिवलिंग दिया तो शर्त के रूप में उससे कहा कि इस शिवलिंग को जहां भी रखोगे, फिर इसे उठा नहीं पाओगे, ये वहीं स्थापित हो जाएगा। लेकिन रावण ने थकान-वश एक चरवाहे को शिवलिंग दे दिया और कहा कि इसे जमीन पर नहीं रखना, लेकिन चरवाहे ने वो दिव्य शिवलिंग जमीन पर रख दी और वह वहीं स्थापित हो गई।

वीरुपाक्ष मंदिर का इतिहास

वीरुपाक्ष मंदिर का इतिहास

विक्रमादित्य द्वितीय की रानी लोकमाह देवी द्वारा 7वीं शाताब्दी में वीरुपाक्ष मंदिर को बनवाया गया था, जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है। मंदिर प्रांगण में आपको ७वीं शताब्दी की समृद्ध शिलालेख भी देखने को मिल जाएगी। इस मंदिर का इतिहास प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य से जुड़ा हुआ है। करीब 500 साल पहले इस मंदिर का गोपुरम बनाया गया है, जो 50 मीटर ऊंचा है। द्रविड़ स्थापत्य शैली में बना हुआ ये मंदिर भक्तों और पर्यटकों दोनों को आकर्षित करता है।

वीरुपाक्ष मंदिर का आकर्षण

वीरुपाक्ष मंदिर का आकर्षण

मंदिर परिसर भगवान शिव के अलावा और भी कई देवी-देवता है, जिनकी पूजा की जाती है। इस मंदिर की दीवारों पर की नक्काशी एवं कलाकृतियां किसी को भी अपना दीवाना बना सकती हैं, जिसे देखने के लिए हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। इस मंदिर भगवान गणेश और नंदी की विशाल प्रतिमा भी विराजित है, जो मंदिर का मुख्य आकर्षण माना जाता है। इस मंदिर पंपापटी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

वीरुपाक्ष मंदिर जाने का सही समय

वीरुपाक्ष मंदिर जाने का सही समय

हम्पी में स्थित सभी पर्यटन या धार्मिक स्थल पर वैसे तो आप सालभर जा सकते हैं लेकिन गर्मी और बारिश के मौसम में यहां जाने से बचना चाहिए। यानी आप अक्टूबर से लेकर अप्रैल तक जा सकते हैं और यहां के आसपास क्षेत्रों को भी घूम सकते हैं।

वीरुपाक्ष मंदिर कैसे पहुंचें?

वीरुपाक्ष मंदिर कैसे पहुंचें?

वीरुपाक्ष मंदिर तक पहुंचने के लिए यहां का नजदीकी एयरपोर्ट बेल्लारी हवाई अड्डा है, जो मंदिर परिसर से 65 किमी. दूर है। वहीं, यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन होस्पेट स्टेशन है, जो मंदिर परिसर से लगभग 15 किमी. दूर है। वहीं, यहां सड़क मार्ग से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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