दक्षिण भारत में स्थित मैसूर, कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी के साथ साथ दूसरा सबसे बड़ा शहर है। बैंगलूर आने वाले पयर्टक इस खूबसूरत शहर की यात्रा अवश्य करते हैं। शहर के सांस्कृतिक माहौल, संगीत, कला , पेंटिंग और नृत्य प्रदर्शन के विजयनगर साम्राज्य के सांस्कृतिक प्रभाव से अलंकृत है। मैसूर का आकर्षण शहर की समृद्ध विरासत की गवाही है।
पर्यटक यहां कई खूबसूरत मंदिर देख सकते हैं, जिनमे चामुंडी देवी मंदिर शामिल है, इसके अलावा वैभवशाली चर्च, मशहूर मैसूर पैलेस आदि। मैसूर पर्यटकों के बीच सिर्फ घूमने के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि यहां आने वाले पर्यटक कभी खाली हाथ नहीं जाते, अरे मेरा मतलब है कि, बिना शॉपिंग किये हुए नहीं जाते। आप सोच रहे होंगे कि, क्यों तो जनाब मैसूर में शॉपिंग करने के कई सारे कारण है, जिनमे से एक है सिल्क साड़ी, जो महिलायों को खूब भाती है। तो आइये जानते हैं मैसूर के ऐसा क्या है, जो पर्यटकों को अपनी जेब हल्की करने पर मजबूर कर देता है।
मैसूर सिल्क साड़ी
जिस तरह उत्तर भारत में बनारस की साड़ी लोगो के बीच लोकप्रिय है, ठीक वैसे ही दक्षिण भारत में सिल्क साड़ी लोकप्रिय है। मैसूर सिल्क की साड़ियों की सबसे बड़ी ख़ास बात ये है कि ये शुद्ध रेशम और जरी के काम से बनाई जाती हैं जिन्हें यहां की स्थानीय फैक्ट्रियों में तैयार किया जाता है।तो अगर आप वाकई दक्षिण भारत दर्शन के दौरान अपने प्रियजनों के लिए कुछ खरीदना चाहते हैं, तो उन्हें मैसूर सिल्क साड़ी गिफ्ट करें, यकीन मानिए उन्हें आपका यह तोहफा बेहद पसंद आएगा।Pc:Kiranravikumar
चन्दन का तेल/साबुन
आज चंदन की लकड़ी का इस्तेमाल करके बनाए गए प्रोडक्ट्स जैसे संदल के साबुन, अगरबत्ती तेल और शो पीस के लिए मैसूर पूरी दुनिया में मशहूर है।
कॉफ़ी पाउडर
अगर आप कॉफ़ी के शौक़ीन हैं, तो आपको मैसूर से कॉफ़ी पाउडर अवश्य लेना चाहिए, अगर आप चाहें तो आप मैसूर के पास स्थित कूर्ग की ओर भी कॉफ़ी खरीदने के लिए रुख कर सकते हैं।
अगरबत्ती
यूं तो बाजार में विभिन्न प्रकार की अगरबत्तियां मौजूद है, लेकिन फिर आपको मैसूर की अगरबत्ती अवश्य खरीदनी चाहिए।
मैसूर पेटिंग
अगर आपको चित्रकारी/पेंटिंग का शौक है, तो आप मैसूर से पेंटिंग्स भी खरीद सकते हैं।Pc:Durgada Krishnappa
चन्नापटना के खिलौने
चन्नापटना, मैसूर से 83 किलोमीटर दूर एक छोटा सा शहर है। ये शहर पूरे कर्नाटक में अपने खास लकड़ी के खिलौनों के कारण एक विशेष मुकाम रखता है। स्थानीय लोगों में लकड़ी के इन खिलौनों को चन्नापटना खिलौनों के नाम से जाना जाता है। इतिहासकारों कि मानें तो चन्नापटना में इन खिलौनों की शुरुआत टीपू सुल्तान के समय की है। ज्ञात हो कि राज्य में उत्पन्न होने वाली अलग अलग लकड़ियों से इन खूबसूरत खिलौनों का निर्माण किया जाता है।Pc:Pratheepps
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