उत्तर प्रदेश धार्मिक राज्य के रूप में भी जाना जाता है। यहां पर आपको कई ऐसे मंदिर मिल जाएं, जो हजारों साल पुराने हैं। ऐसे मंदिर के सौंदर्यीकरण को लेकर केंद्र सरकार व राज्य सरकार की ओर से तमाम कोशिशे की जा रही है, जिससे मंदिर को नई भव्यता मिल सकें और मंदिर प्रांगण में आने वाले श्रद्धालुओं को भी किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो। लेकिन कुछ ऐसे भी मंदिर है, जिनके इतिहास, रहस्य और आकर्षण पर खुद प्रशासन की नजर लग गई है, जिससे इन मंदिरों का कायाकल्प आज तक नहीं हो पाया है।
9वीं शाताब्दी में हुआ था निर्माण
आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो है तो हजार साल पुराना और सौंदर्यीकरण की बात भी चल रही है लेकिन इसका प्रोजेक्ट दो अधिकारियों के बीच में फंस कर रह गया है। जी हां, उत्तर प्रदेश के महोबा में स्थित एक 1100 साल पुराना मंदिर है, जो पुरातत्व विभाग के अधीन आता है। इस मंदिर का निर्माण 9वीं शाताब्दी में चंदेल शासक राजा कीर्तिवर्मन ने करवाया था।
प्रोजेक्ट के जरिए पर्यटकों को लुभाने की कोशिश
दरअसल, महोबा में ऐतिहासिक सूर्य मंदिर है, जिसके परिसर में लाइट डेकोरेशन और सड़क निर्माण का काम महोबा के डीएम मनोज कुमार द्वारा करवाया जा रहा था, लेकिन मौके पर पहुंचकर भारतीय पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर ने काम रूकवा दिया। इससे अब ये दोनों अधिकारी आमने-सामने आ गए है और मंदिर का प्रोजेक्ट बीच में ही लटककर रह गया है। डीएम की ओर से मंदिर के कायाकल्प का ये प्रोजेक्ट पर्यटकों को लुभाने के लिए किया जा रहा था। अब ऐसे में ये अधिकारी इस प्रोजेक्ट को लेकर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
क्या था प्रोजेक्ट
डीएम ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए खंडहर होते जा रहे इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए एक कोशिश की थी, इसके लिए नगरपालिका परिषद प्रशासन की ओर से करीब 40 लाख रुपया आवंटित किया गया था, जिसके अंतर्गत लाइट व हाइटेक डेकोरेशन और सड़क निर्माण का काम होना था, जो डीएम की ओर से करवाया जा रहा था। अब भारतीय पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर ने मौके पर पहुंचकर प्रोजेक्ट को रूकवा दिया और कहा कि इससे मंदिर को और नुकसान होगा, इसके चलते इस परिसर में अलग से कोई काम नहीं होगा। इसके बाद डीएम ने मंदिर परिसर में सुरक्षाबल तैनात कर दिया है। सुरक्षाकर्मियों की मानें तो 4-5 दिनों में मंदिर का यह प्रोजेक्ट फिर से शुरू कर दिया जाएगा।