हिमालय का खूबसूरत अंश, उत्तराखंड हमेशा से ही उन एवडेंचर के शौकीनों और प्रकृति प्रेमियों का लिए एक शहद प्रात्र रहा है, जो अज्ञात और दूरस्थ स्थानों की सैर करना अपना शौक समझत हैं। लेकिन इन सबके अलावा उत्तराखंड अपने ऐतिहासिक स्थल भंडारों के लिए भी काफी प्रसिद्ध रहा है। देवो की भूमि के नाम से विख्यात यह पहाड़ी भू-भाग कई महान ऋषि और साधु-संतों की तपोस्थली भी रहा है। इसके अलावा यह एक व्यापारिक केंद्र भी रहा है काभी समय तक यहां से व्यापारी तिब्बत के साथ नमक और अन्य वस्तुओं का क्रय-विक्रय किया करते थे।
चंद और कत्यूरी साम्राज्य ने उत्तराखंड के गौरवशाली इतिहास को बनाने में काफी मदद की है। इसके अलावा इस राज्य में कई प्रतिष्ठित हिंदू और सिख धार्मिक स्थान भी मौजूद हैं। ये वो पौराणिक स्थान भी है जिसका संबंध महाभारत काल से भी रहा है। आज के इस विशेष लेख में जानिए उत्तराखंड स्थित चुनिंदा सबसे खास ऐतिहासिक स्थानों के बारे में।
द्वाराहाट, अल्मोड़ा जिला
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उत्तराखंड से रानीखेत से लगभग 34 किमी दूर द्वाराहाट नाम का एक ऐतिहासिक गांव मौजूद हैं जो कभी कत्यूरी साम्राज्य का हिस्सा था। इस खास स्थल को स्वर्ग का मार्ग भी बताया जाता है। द्वाराहाट अपने खूबसूरत प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है जिनपर आप गुर्जारी स्कूल ऑफ आर्ट का प्रभाव है देख सकते हैं। ऐतिहासिक स्थलों के प्रेमी इस स्थल की यात्रा कर सकते हैं।
यहां उन्हें 55 ऐतिहासिक मंदिरों को देखने का मौका मिलेगा। आप इन मंदिरों की खास वास्तु और शिल्पकला को देख सकते हैं, जिसका श्रेय कत्यूरी राजवंश को जाता है। ये वो राजवंश था जिसने काफी लंबे समय तक कुमाऊं पर राज किया।
चौखुटिया, अल्मोड़ा जिला
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रंगिलो गेवर के रूप में प्रसिद्ध अल्मोड़ा स्थित चौखुटिया उत्तराखंड के मुख्य ऐतिहासिक स्थलों में गिना जाता है। इस प्राचीन स्थल को प्रसिद्धि कत्यूरी राजवंश के कारण मिली। अगर आप उत्तराखंड का समृद्ध इतिहास देखना चाहते हैं तो इस स्थान की सैर का प्लान जरूर बनाएं। कत्यूरी शासन काल के दौरान बनाए गए पुराने किले और मंदिर यहां के मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं।
पौराणिक किवदंतियों के अनुसार इस स्थान पर पांडव राजकुमारों का भी आगमन हुआ था, इस वजह से यह स्थान पौराणिक महत्व भी रखता है। माना जाता है कि चौखुटिया में स्थित पांडुखोली गुफा पांडवों के द्वारा ही बनाई गई थी। काठगोदाम के रास्ते आप यहां तक आराम से पहुंच सकते हैं।
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लोहाघाट, चंपावत जिला
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उत्तराखंड के चंपावत जिले में लोहावती नदी के तट पर स्थित लोहाघाट इतिहास में महत्व रखने वालों के लिए एक आदर्श स्थान है। यह खास स्थल अपने प्राचीन मंदिरों के लिए ज्यादा जाना जाता है। यह स्थान कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है जिनकी वजह से यह स्थान उत्तराखंड के इतिहास में दर्ज हो पाया है। आप यहां प्राचीन काल के कई अवशेषों को देख सकते हैं।
इसके अलावा चंपावत का यह स्थान अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है। अकसर यहां आसपास के पर्यटक वीकेंड मनाने के लिए आते हैं। यहां आप एबॉट माउंट, मायावती आश्रम, झुमा देवी, अद्वैत आश्रम स्थलों की सैर का आनंद ले सकते हैं।
नरेंद्र नगर, टिहरी गढ़वाल
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नरेंद्र नगर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र का उल्लेखनीय शहर माना जाता है, जो कभी टिहरी रियासत का हिस्सा हुआ करता था। काफी लंबे समय तक यहां शाह शासको ने राज किया। शाह राजवंश के महाराजा नरेंद्र शाह से नाम पर इस स्थान का नाम नरेंद्र नगर रखा गया। दरअसल यहां पहाड़ी पर नरेंद्र शाह ने एक महल का निर्माण करवाया था।
यह महल उनके नाम से ही जाना जाता है। नरेंद्रनगर का मुख्य आकर्षण यह ऐतिहिसक महल ही है। हालांकि अब इस महल में शाह राजवंश का कोई भी सदस्य नहीं रहता। लेकिन पर्यटन के लिहाज से ये देखने लायक जगह है।
कलसी, देहरादून जिला
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उपरोक्त स्थानों के अलावा आप देहरादून स्थित कलसी स्थान के भ्रमण का प्लान बना सकते हैं। यह स्थान अपने पत्थर के बने 10 फीट ऊंचे और 8 फीट चौड़े अशोक स्तंभ के लिए जाना जाता है। यह अशोक स्तंभ दकपठार (देरहादून) से लगभग 5 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां सैलानी इसी खास प्राचीन स्मारक को देखने के लिए आते हैं। इस अशोक स्तंभ पर कई शोधकर्ता अध्ययन कर चुके हैं। उनमें से कई शोधकर्ताओं का मानना है कि यह अशोक स्तंभ 450ईसा पूर्व के दौरान बनाया गया होगा।
अशोक काल के दौरान बनाया गया ये पीलर एक समृद्ध युग का प्रतीक माना जाता है। ये नगर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। प्राकृतिक दृष्टि से भी यह एक शानदार स्थल माना जाता है। आप देहरादून के रास्ते यहां तक पहुंच सकते हैं।