जलियांवाला बाग, ब्रिटिश शासन काल दौरान हुए सबसे कुख्यात नरसंहार की कहानी बयान करता है जो भारतीयों पर एक गहरी छाप छोड़ गया है। 6.5 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला, जलियांवाला बाग पंजाब राज्य के पवित्र शहर अमृतसर में स्थित एक सार्वजनिक उद्यान है। विशाल राष्ट्रीय महत्व के, इस स्मारक स्थल को 13 अप्रैल 1961 को पंजाबी नव वर्ष के अवसर पर भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ड़ा. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा उद्घाटित किया गया। अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण, जलियांवाला बाग पर्यटन ने राज्य में आने वाले हर एक पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित किया है।
क्या हुआ था 13अप्रैल 1919 को?
जलियांवाला बाग नरसंहार कांड आज ही के दिन वर्ष 1913 में 13 अप्रैल को हुआ। इसी काले दिन को ब्रिटिश लेफ्टिनेंट जनरल रेगिनाल्ड डायर ने अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में बैसाखी के मौके पर इकट्ठे हजारों निहत्थे मासूम भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियां चलवाकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। जनरल रेगिनाल्ड डायर द्वारा किये इस नरसंहार में करीबन 2000 से अधिक भारतीय मारे गये थे, और कुछ अपनी जान बचाने के लिए जलियांवाला बाग में स्थित कुए में कूद गये थे।
जलियांवाला बाग त्रासदी के शहीदों की याद में 1961 में, 1919 के अमृतसर हत्याकांड़ के स्थल पर एक स्मारक का निर्माण किया गया जो क्रूर गोलीबारी का शिकार होकर शहीद हुए लोगों के स्मरण में बनाई गई है। आज भी, इस उद्यान की चारदीवारी पर दिखाई देने वाले गोलियों के निशान उस भयानक हत्याकांड़ की याद दिलाता हैं। वह कुआं जिस में लोग अपने आप को गोलियों से बचाने की कोशिश में कूदे और ड़ूब कर मर गए उसी तरह उद्यान में मौजूद है।
इस सार्वजनिक उद्यान के प्रवेश द्वार पर एक स्मारक पट्टिका है जिससे हमे हमारे इतिहास के बारे में पता चलता है।
कहां है जलियांवाला बाग़?
Pc: Hermitage17
जलियांवाला बाग अमृतसर के विख्यात स्वर्ण मंदिर से 200 कदम की दूरी पर स्थित है। जहां वर्ष 13 अप्रैल को एक शांतिपूर्ण जनसभा के दौरान जनरल ड़ायर के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों पर गोली चलाई। यह घटना, 13 अप्रैल 1919 में हुई, जिस में भारत के सैकड़ों निर्दोष नागरिक मारे गए।
इसी कुए में कूदे थे हजारों लोग
Pc:Amitoj911
जनरल रेगिनाल्ड डायर द्वारा किये इस नरसंहार में करीबन 2000 से अधिक भारतीय मारे गये थे, और कुछ अपनी जान बचाने के लिए जलियांवाला बाग में स्थित कुए में कूद गये थे। ये कुयां आज भी परिसर के अंदर मौजूद है, जिसे अब एक कमरे का रूप देकर बंद कर दिया गया है।
स्मारक
Pc: flicker
1919 के अमृतसर हत्याकांड़ के स्थल पर एक स्मारक का निर्माण किया गया जो क्रूर गोलीबारी का शिकार होकर शहीद हुए लोगों के स्मरण में बनाई गई है। आज भी, इस उद्यान की चारदीवारी पर दिखाई देने वाले गोलियों के निशान उस भयानक हत्याकांड़ की याद दिलाता हैं। इस दुखद घटना के लिए स्मारक बनाने हेतु आम जनता से चंदा इकट्ठा करके इस जमीन के मालिकों से करीब 5 लाख 65 हजार रुपए में इसे खरीदा गया था। 1997 में महारानी एलिज़ाबेथ ने इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी। 2013 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन भी इस स्मारक पर आए थे। विजिटर्स बुक में उन्होंनें लिखा कि "ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी।
'स्वतंत्रता की लौ'
Pc:Sukanta Pal
उद्यान के एक अन्य भाग में 'स्वतंत्रता की लौ', स्मरण की एक अनन्त लौ जलती है जिसे जलियांवाला बाग में हुए दुखद नरसंहार के दौरान मारे गए लोगों की स्मृति में जलाया गया है। जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा संचालित है।
स्वर्ण मंदिर
Pc:Vishal Kumar Giri
स्वर्ण मंदिर को श्री दरबार साहिब और श्री हरमंदिर साहिब (देवस्थान) के नाम से भी जाना जाता है। स्वर्ण मंदिर को धार्मिक एकता का भी स्वरूप माना जाता है। एक सिक्ख तीर्थ होने के बावजूद हरिमंदिर साहिब जी यानि स्वर्ण मंदिर की नींव सूफी संत मियां मीर जी द्वारा रखी गई थी। स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। यह देश का एक प्रमुख तीर्थस्थल है और यहां पूरे साल बड़ी संख्या में श्रद्धालू आते हैं। 19वीं शताब्दी की शुरुआत में महाराजा रणजीत सिंह ने इस गुरुद्वारे की ऊपरी छत को 400 किग्रा सोने के वर्क से ढंक दिया, जिससे इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा।
अमृत सरोवर
Pc:Jasleen Kaur
लंगर
Pc: flicker
लंगर यहां का एक प्रमुख आकर्षण है। आपको बताते चलें कि यहाँ लंगर गुरूद्वारे में पूजा के बाद मिलने वाला प्रसाद होता है। ज्ञात हो कि लंगर में दिया जाने वाला खाना शुद्ध शाकाहारी होता है जिसे बड़ी ही साफ़ सफाई के साथ बनाया और परोसा जाता है।