ऑरोविले पॉण्डिचेरी के निकट एक छोटा सा शाहर है..जहां दुनिया भर से लोग शांति और सुकून की तलाश में हर साल पहुंचते हैं।
'माँ' नाम से अधिक प्रसिद्ध मीरा अल्फासा द्वारा स्थापित ऑरोविले शहर का निर्माण 1968 में श्री अरबिंदो सोसायटी की एक परियोजना के रूप में शुरु किया गया था। इस शहर को बसाने का सिर्फ एक ही मकसद रहा कि यहां पर सभी इंसान जात-पात, ऊंच-नीच और भेद-भाव के बिना रहें।
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नगर के बीचोंबीच मातृमंदिर अवस्थित है, जिसे "एक उत्कृष्ट एवं मौलिक स्थापत्य उपलब्धि" के रूप में सराहना प्राप्त है। मातृमंदिर के भीतर एक कुंडलित ढलान ऊपर की ओर एक कान्तिमान श्वेत संगमरमर से बने वातानुकूलित कक्ष "व्यक्ति की चेतना को ढूंढने का स्थान" की ओर जाता है। अल्फासा के अनुसार, यह "भविष्य की अनुभूति के प्रतीक" का प्रतिनिधित्व करता है। जब सूर्य नहीं होता या डूब जाता है तो ग्लोब के ऊपर के सूर्य की रश्मि के स्थान पर एक सौर ऊर्जामान प्रकाश की किरण बिखेरी जाती है।
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राजनीति और धर्म का ओरोविल में कोई स्थान नहीं है। यहां के मकानों का मालिक उनमें रहने वाले नहीं बल्कि फाउंडेशन है।